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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश करेंगी. (File Phto : PTI)
Full Budget 2024, Goldman Sachs note on expectations : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट का झुकाव किस ओर रहेगा? क्या सरकार कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर अपना खर्च बढ़ाएगी? या फिर खर्च को संतुलित रखते हुए रिजर्व बैंक से डिविडेंड के तौर पर मिली मोटी रकम का इस्तेमाल फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया जाएगा? सरकार का ज्यादा फोकस बड़ी पूंजी की जरूरत वाले (Capital Intensive) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर रहेगा या रोजगार बढ़ाने वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देना उसकी प्राथमिकता में रहेगा? 23 जुलाई को पेश होने वाले फुल बजट से पहले ये तमाम सवाल लोगों के मन में हैं, जिन पर ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय सबके सामने रखी है.
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को जारी एक नोट में आगामी पूर्ण बजट के बारे में अपनी उम्मीदों (Budget Expectations) को विस्तार से पेश किया है. इस नोट में कहा गया है कि मोदी सरकार के नए बजट में कल्याणकारी खर्च (Welfare Expenditure) की ओर झुकाव तो रहेगा, लेकिन इसके साथ ही ज्यादा रोजगार पैदा करने और खेती-बाड़ी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी खास ध्यान दिया जाएगा.
बजट से गोल्डमैन सैक्स की 10 बड़ी उम्मीदें
1. रोजगार बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर जोर : गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि बजट में टैक्सटाइल्स, रेडिमेड गारमेंट और दूसरे रोजगार को बढ़ावा देने वाली मैन्युफैक्चरिंग (labor-intensive manufacturing) गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. इन क्षेत्रों में रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए फिस्कल इन्सेंटिव (Fiscal incentives) दिए जा सकते हैं.
2. छोटे और मंझोले उद्योगों के लिए समर्थन : बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार वाले उद्योगों (MSME) के लिए कर्ज की सुविधाएं और अन्य आर्थिक सहयोग बढ़ाए जाने की उम्मीद है, क्योंकि ये उद्योह रोजगार पैदा करने और आर्थिक स्थिरता (economic stability) के लिए काफी अहम हैं.
3. सर्विस सेक्टर के निर्यात को बढ़ाना : आगामी बजट में सरकार सर्विस सेक्टर के निर्यात (Services Exports) को बढ़ावा देने पर भी काफी जोर दे सकती है. खास तौर पर ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) के विस्तार पर ध्यान दिया जा सकता है. सर्विस सेक्टर के ग्लोबल मार्केट में भारत की पहले से मजबूत स्थिति को और आगे बढ़ाने के लिहाज से ऐसा करना काफी अहम है.
4. खेती के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश : उम्मीद है कि सरकार फूड इंफ्लेशन के ऊंचे स्तर से निपटने के लिए बजट में कृषि के बुनियादी ढांचे (Agricultural Infrastructure) में निवेश बढ़ा सकती है. इसमें कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं का निर्माण, सिंचाई नेटवर्क को बढ़ाना और ग्रेडिंग और सॉर्टिंग इकाइयों की स्थापना जैसे कदम शामिल हैं.
5. फूड सप्लाई चेन को बेहतर बनाना: फूड प्राइसेस में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए सरकार आगामी बजट में घरेलू फूड सप्लाई चेन को बेहतर बनाने पर जोर दे सकती है. इसमें फूड प्रोसेसिंग, डेयरी कोऑपरेटिव और फिशरी यानी मछली पालन जैसी गतिविधियों के विस्तार में निवेश को बढ़ावा देना शामिल है.
6. स्लम री-डेवलपमेंट और हाउसिंग : बजट में प्रमुख शहरों में स्लम री-डेवलपमेंट को प्राथमिकता देने और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए अप्रूवल को आसान बनाने के लिए कदम उठाए जाने की संभावना है. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए पीने के साफ पानी की व्यवस्था पर भी बजट में खास जोर दिए जाने की संभावना है.
7. एनर्जी सिक्योरिटी : गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक आने वाले बजट में देश की एनर्जी सिक्योरिटी के लिए भी विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं. साथ ही सरकार ग्रीन एनर्जी की दिशा में आगे बढ़ने के उपायों को प्रोत्साहन देने पर भी फोकस कर सकती है.
8. बुनियादी ढांचे का विकास : बुनियादी ढांचे के विकास, खास तौर पर रेलवे नेटवर्क पर बजट में काफी ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. बजट में भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में नए रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए खास प्रावधान भी किया जा सकता है.
9. असंगठित श्रमिकों के लिए बीमा : बजट में टैक्सी, ट्रक और तिपहिया वाहनों के ड्राइवरों समेत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों (unorganized sector workers) के लिए बीमा की सुविधा देने के मकसद से कोई नई योजना भी पेश की जा सकती है. ऐसा सामाजिक सुरक्षा का लाभ ज़्यादा से ज़्यादा श्रमिकों तक पहुंचाने की सरकार की कोशिश के तहत किया जा सकता है.
10. RBI के डिविडेंड का इस्तेमाल : सार्वजनिक कर्ज के भारी बोझ (high public debt) के बावजूद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा 2.1 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम डिविडेंड दिए जाने के कारण सरकार को काफी राहत मिली है. यह रकम अनुमानों से करीब दोगुनी है. इस पैसे का इस्तेमाल सरकार कैपिटल एक्सपेंडीचर बढ़ाने, वेल्फेयर स्कीम्स और सब्सिडी के लिए कर सकती है. साथ ही सरकार फिस्कल डेफिसिट को भी 5.1 फीसदी के टारगेट के दायरे में ही रखना चाहेगी.
विकास और वेलफेयर में संतुलन
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि आगामी बजट में मोदी सरकार ग्रोथ और वेलफेयर के बीच संतुलन बनाकर चलने की कोशिश करेगी. यानी कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही साथ आर्थिक प्रोत्साहनों पर भी खर्च बढ़ाया जा सकता है. साथ ही बजट में बेरोजगारी और इंफ्लेशन को कम करने का भी प्रयास सरकार की तरफ से किए जाने की उम्मीद है. इसके लिए उन सेक्टर्स को प्राथमिकता दी जाएगी जो फिस्कल डिसिप्लिन बनाए रखते हुए रोजगार के मौके बढ़ाने और कीमतों को स्थिर करने में योगदान कर सकते हैं. इसके साथ ही मोदी सरकार आर्थिक नीति और पब्लिक फाइनेंस के मामले में अपना दीर्घकालीन सोच या नजरिया भी पेश कर सकती है.