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वित्त मंत्री ने अपने 2025-26 के बजट में कहा था कि आरबीआई और सरकारी वित्तीय संस्थानों से सरकार को कुल 2.56 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिलेगा. (Image: Reuters)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस वित्त वर्ष में लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये का बड़ा डिविडेंड सरकार को दिया है, जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ावा मिलेगा. यह जानकारी एसबीआई के अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट में दी गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में आरबीआई और अन्य सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों से लगभग 2.56 लाख करोड़ रुपये की डिविडेंड राशि मिलने का अनुमान लगाया था. लेकिन आरबीआई के हालिया डिविडेंड के बाद यह राशि बजट अनुमान से ज्यादा हो जाएगी.
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एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, इस डिविडेंड से सरकार का राजकोषीय घाटा कम होकर देश की कुल आर्थिक उत्पादन (जीडीपी) का 4.2 प्रतिशत रह सकता है. इससे सरकार लगभग 70,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च भी कर सकती है.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 27 प्रतिशत ज्यादा है. यह बढ़ोतरी केंद्रीय बैंक ने अपने जोखिम भंडार (बफर) की सीमा बढ़ाने के बाद हुई है.
आरबीआई की यह कमाई मजबूत डॉलर बिक्री, विदेशी मुद्रा लाभ और ब्याज आय में वृद्धि के कारण हुई है. जनवरी में आरबीआई ने एशिया के अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा बेची थी. सितंबर 2024 में देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब डॉलर तक पहुंच गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई की नकदी स्थिति इस वित्त वर्ष भी मजबूत रहने की उम्मीद है. इसमें खुले बाजार से खरीदारी, डिविडेंड हस्तांतरण और अगले साल के भुगतान संतुलन की बेहतर स्थिति शामिल है. आरबीआई के इस बड़े डिविडेंड से सरकार को आर्थिक मजबूती मिलेगी और देश की विकास दर बढ़ाने में मदद मिलेगी.