/financial-express-hindi/media/media_files/2025/05/25/3v5SAB2rF5rDgWZeMKp1.jpg)
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि बॉन्ड अब एक भरोसेमंद और स्थिर रिटर्न देने वाला निवेश विकल्प बनकर उभरा है. (Image: FE File)
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि बॉन्ड अब एक भरोसेमंद और स्थिर रिटर्न देने वाला निवेश विकल्प बनकर उभरा है. महंगाई, अमेरिका के ब्याज दरों में बदलाव, और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारणों से जहां शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है, वहीं बॉन्ड निवेशकों को निश्चित और अपेक्षाकृत सुरक्षित आय दे रहे हैं.
आनंद राठी ग्लोबल फाइनेंस के उपाध्यक्ष श्रीशा आचार्य के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में निफ्टी-50 इंडेक्स में 5.4% की गिरावट आई है, जबकि बॉन्ड लगातार स्थिर रिटर्न दे रहे हैं. सरकारी बॉन्ड इस समय 6.2% से 6.8% तक सालाना रिटर्न दे रहे हैं, जबकि AAA रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड पर 6.8% से 7.5% तक रिटर्न मिल रहा है. यह ऐसे निवेशकों के लिए खासतौर पर उपयोगी है जो जोखिम से बचना चाहते हैं और लंबी अवधि के लिए तय आय की तलाश में रहते हैं.
इंडिया बॉन्ड्स के सह-संस्थापक विशाल गोयनका का कहना है कि शेयर बाजार की चाल कई बार वैश्विक स्थितियों और नीतिगत बदलावों पर निर्भर करती है, जिससे अस्थिरता बनी रहती है. ऐसे समय में बॉन्ड एक ऐसा विकल्प है जो भरोसेमंद नकदी प्रवाह और पूंजी की सुरक्षा देता है. खासतौर पर सरकारी बॉन्ड और उच्च रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड निवेशकों को स्थिरता का भरोसा देते हैं.
पिछले पांच सालों में भले ही निफ्टी-50 ने 19.8% का कुल रिटर्न दिया हो, लेकिन इसमें उतार-चढ़ाव बहुत रहा है. वहीं, सुरक्षित माने जाने वाले सोने ने सालाना 16.32%, और 10 साल की सरकारी बॉन्ड ने औसतन 6.19%, जबकि AAA रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड ने सालाना 6.9% का रिटर्न दिया है.
साल 2024-25 में, जब निफ्टी-50 ने केवल 7.44% रिटर्न दिया, वहीं सोने ने 41.5% और सरकारी बॉन्ड ने 6.89%, जबकि उच्च रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड ने 8.03% का रिटर्न दिया. गोयनका के मुताबिक, बॉन्ड तेजी से पैसा नहीं बनाते, लेकिन यह एक स्थिर और भरोसेमंद आय का माध्यम जरूर हैं, जो निवेश के अस्थिर माहौल में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है.
हालांकि, बॉन्ड अभी भी खुदरा निवेशकों, खासकर युवाओं के बीच उतने लोकप्रिय नहीं हैं. इसका कारण यह है कि युवाओं को शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड जैसे विकल्पों में ज्यादा रोमांच और संभावनाएं दिखती हैं. साथ ही, बॉन्ड को आमतौर पर पेचीदा, कम रिटर्न देने वाला और कम प्रचारित निवेश विकल्प माना जाता है. लेकिन ‘आरबीआई रिटेल डायरेक्ट’ और डिजिटल बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स जैसे नए उपायों से अब यह स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है.
वैश्विक तुलना में भारत का बॉन्ड बाजार अभी शुरुआती स्तर पर है, लेकिन 2,690 अरब डॉलर के आकार तक पहुंच चुका है, जो बताता है कि इसमें संभावनाएं अपार हैं. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, हर निवेशक को अपनी उम्र और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर अपने पोर्टफोलियो में बॉन्ड को शामिल करना चाहिए. एक सामान्य नियम के तहत, आपकी उम्र जितनी है, उतना प्रतिशत निवेश बॉन्ड और अन्य तय आय वाले उत्पादों में होना चाहिए.