/financial-express-hindi/media/media_files/Qb8taxRYECUKQyK3tdEa.jpg)
Fitch Ratings Report : फिच रेटिंग्स ने कहा है कि RBI से मिला 2.11 लाख करोड़ रु के डिविडेंड की वजह से सरकार चाहे तो फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य से आगे निकल सकती है. (File Photo : Reuters)
Fitch Ratings says RBI dividend can help Govt meet or even go beyond fiscal deficit target for FY25: अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से मिला भारी भरकम डिविडेंड न सिर्फ फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य हासिल करने में भारत सरकार की मदद कर सकता है, बल्कि सरकार इस मामले में अपने टारगेट से आगे भी निकल सकती है. रिजर्व बैंक ने हाल ही में भारत सरकार को अपने मुनाफे में से डिविडेंड यानी लाभांश के तौर पर 2.11 लाख करोड़ रुपये की रकम देने का फैसला किया है. यह आरबीआई की तरफ से भारत सरकार को किया जाने वाला अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस ट्रांसफर है. फिच रेटिंग्स का कहना है कि भारत में चुनाव बाद बनने वाली सरकार जब जुलाई में अपना नया बजट पेश करेगी, तो यह साफ हो जाएगा कि इस मोटी सरकार का इस्तेमाल वो किस तरह से करती है.
चुनाव बाद पेश बजट से साफ होगी तस्वीर
फिच रेटिंग्स के मुताबिक भारत में चुनाव बाद पेश होने वाले बजट में आने वाली सरकार के सामने दो विकल्प मौजूद होंगे. पहला विकल्प तो यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को मौजूदा स्तर पर बनाए रखते हुए आरबीआई से मिले अतिरिक्त फंड का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने और उम्मीद से ज्यादा बढ़े खर्चों और रेवेन्यू में आई गिरावट की भरपाई के लिए किया जाए. वहीं, सरकार चाहे तो आरबीआई से मिले पूरे अतिरिक्त फंड का इस्तेमाल राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसदी से भी नीचे ले जाने के लिए करने का रास्ता भी चुन सकती है. सरकार इनमें से किस विकल्प का चुनाव करेगी, उससे पता चलेगा कि मीडियम टर्म में उसकी फिस्कल प्रायोरिटी यानी राजकोषीय प्राथमिकताएं क्या हैं.
जीडीपी के 5.1% से भी नीचे जा सकता है राजकोषीय घाटा
फिच रेटिंग्स के मुताबिक अगर सरकार ने रिजर्व बैंक से मिली रकम का इस्तेमाल मुख्यतौर पर अपना राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) कम करने के लिए किया तो वह वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए रखे गए जीडीपी के 5.1 फीसदी के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकती है. इतना ही नहीं, फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि अगर सरकार ने इस रकम का इस्तेमाल खर्च बढ़ाने के लिए नहीं किया, तो FY25 में फिस्कल डेफिसिट को 5.1 के लक्ष्य से कम पर भी सीमित किया जा सकता है. भारत सरकार ने अगले वित्त वर्ष यानी 2025-26 (FY26) में फिस्कल डेफिसिट को घटाकर जीडीपी के 4.5 फीसदी के बराबर लाने का लक्ष्य घोषित किया है. इस लिहाज से आरबीआई का डिविडेंड उस लक्ष्य की तरफ बढ़ने का एक अच्छा मौका साबित हो सकता है.
भविष्य में डिविडेंड का यह स्तर बने रहना मुश्किल
हालांकि इसके साथ ही फिच रेटिंग्स ने यह भी कहा है कि रिजर्व बैंक ने इस बार जितना भारी डिविडेंड सरकार को दिया है, जरूरी नहीं कि आने वाले वर्षों में भी यही स्तर बनाए रखे. फिच रेटिंग्स ने इस बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है कि आरबीआई से सरकार को कितने पैसे मिलेंगे, इस बारे में मीडियम टर्म में काफी अनिश्चितता है और हम नहीं मानते कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में डिविडेंड मौजूदा ऊंचे स्तर पर बना रहेगा. एजेंसी के मुताबिक इस ट्रांसफर पर आरबीआई के एसेट्स के परफॉर्मेंस और रुपये के एक्सचेंज रेट के साथ ही साथ इस बात का भी असर पड़ेगा कि रिजर्व बैंक अपनी बैलेंस शीट में कितना बड़ा बफर रखना चाहता है. फिच रेटिंग्स ने कहा है कि आरबीआई ने इस बार अपने मुनाफे का विस्तृत ब्योरा नहीं दिया है, फिर भी लगता है कि उसे फॉरेन एसेट्स पर ऊंचे ब्याज से हुई कमाई का बड़ा योगदान है. मौजूदा वित्त वर्ष में आरबीआई ने सरकार को जो लाभांश दिया है, वो भारत की जीडीपी के 0.6 फीसदी के बराबर है, जबकि पहले अनुमान लगाया गया था कि आरबीआई का लाभांश जीडीपी के 0.3 फीसदी के बराबर रहेगा. इस लिहाज से आरबीआई ने सरकार को उम्मीद से दोगुनी रकम दे दी है.