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Retirement planning for late starters: रिटायरमेंट प्लानिंग में देर पर अफसोस करने की जगह आगे की ओर देखें और सही ढंग से बचत और निवेश फौरन शुरू कर दें.
Retirement planning for late starters: क्या आपने रिटायरमेंट की प्लानिंग और उस पर अमल करने में देर कर दी है और अब घबरा रहे हैं कि जब अगले कुछ वर्षों में हर महीने वेतन मिलना बंद हो जाएगा तो आपका खर्च कैसे चलेगा? ये बात सही है कि रिटायरमेंट के लिए बचत और निवेश का काम जितनी जल्दी शुरू कर दिया जाए, उतना अच्छा रहता है. इससे न सिर्फ आपको ज्यादा पैसे जमा करने का वक्त मिलता है, बल्कि आपकी निवेश की गई रकम भी कंपाउंडिंग की मदद से तेजी बढ़ती रहती है. लेकिन अगर आप किसी भी वजह से ऐसा नहीं कर पाए, तो अब सिर्फ पछताने से कुछ नहीं होगा.
जब जागे, तभी सवेरा
वैसे रिटायरमेंट की तैयारी में देर करने वाले आप अकेले नहीं हैं. एक सर्वे के मुताबिक भारत के सिर्फ 33 फीसदी कामकाजी लोग ही रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त बचत और निवेश करते हैं. लेकिन अब इस बात पर अफसोस करने की बजाय, समझदारी इसमें है कि 'जब जागे, तभी सवेरा' वाली कहावत पर अमल करते हुए आगे की ओर देखें और अपने रिटायरमेंट के लिए फौरन बचत और निवेश करना शुरू कर दें, ताकि वक्त रहते पर्याप्त रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund) जा कर सकें. तो आइए समझते हैं कि यह जरूरी काम देर से शुरू करने वालों को रिटायरमेंट की तैयारी के लिए बचत और निवेश की कौन सी रणनीति अपनानी चाहिए. इसके लिए आपको सही योजना पर स्टेप-बाय-स्टेप अमल करना होगा.
स्टेप 1 : मौजूदा खर्च का हिसाब लगाएं
सबसे पहले यह चेक करें कि आपका हर महीने का खर्च यानी आर्थिक जरूरतें क्या और कितनी हैं. इसके लिए खाने-पीने, कपड़े, बिजली, इंटरनेट, दवाओं और स्थानीय ट्रांसपोर्ट समेत हर तरह के रेगुलर खर्च का हिसाब लगाने के साथ ही घर के रख-रखाव और जरूरी यात्राओं का बजट भी बनाएं. हर तरह के मौजूदा खर्च को जोड़कर आपका हर महीने का बजट निकल आएगा. यह भी ध्यान में रखें कि रिटायरमेंट के बाद अगर आपके कुछ खर्च कम होंगे, तो उम्र बढ़ने के कारण मेडिकल ट्रीटमेंट का खर्च बढ़ भी सकता है.
स्टेप 2 : भविष्य के खर्च का अनुमान
अपने मौजूदा बजट को जोड़ने के बाद उसी आधार पर आपको अपने रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों का अनुमान लगाना होगा. इसके लिए आपको अपने मौजूदा खर्च को इंफ्लेशन यानी महंगाई दर के हिसाब से एडजस्ट करके जोड़कर भविष्य की लागत (Future Cost) का कैलकुलेशन करना होगा. मिसाल के तौर पर अगर अभी आपका महीने का खर्च 50 हजार रुपये आ रहा है और सालाना महंगाई दर 6 फीसदी रहने का अनुमान है, तो 10 साल बाद आपको उतनी ही चीजों के लिए करीब 90 हजार रुपयों की जरूरत पड़ेगी. ये कैलकुलेशन आप किसी ऑनलाइन इनफ्लेशन कैलकुलेटर की मदद से भी कर सकते हैं. मौजूदा खर्चों की फ्यूचर कॉस्ट बताने वाला ऐसा एक कैलकुलेटर आपको सेबी की वेबसाइट पर भी मिल जाएगा. इतना ही नहीं, आपको अपने इस बजट को आगे भी हर साल 6 फीसदी या महंगाई दर के हिसाब से बढ़ाना होगा.
स्टेप 3 : इमरजेंसी फंड का अंदाजा लगाएं
रेगुलर खर्चों का अनुमान लगाने के बाद आपको अपने करीब 6 महीने के खर्च के बराबर रकम इमरजेंसी फंड के तौर पर भी रखनी होगी. यह रकम आप किसी ऐसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकते हैं, जिसे कम समय में निकाला जा सकता है. इस रकम को आप बैंक के शॉर्ट टर्म एफडी, लिक्विड फंड्स, डेट म्यूचुअल फंड जैसे एसेट्स में बांटकर रख सकते हैं. अगर आपका महीने का खर्च 90 हजार रुपये आता है, तो आपको इमरजेंसी फंड के रूप में करीब 5.5 लाख रुपये रखने होंगे.
स्टेप 4 : कितना रखें रिटायरमेंट कॉर्पस
अपने मंथली बजट का अनुमान लगाने के बाद आपको यह कैलकुलेट करना होगा कि हर महीने इतनी रेगुलर इनकम के लिए आपको कितने बड़े रिटायरमेंट कॉर्पस की जरूरत होगी. अगर आपका रिटायरमेंट के बाद का हर महीने का खर्च 90 हजार रुपये आता है, तो इतनी रेगुलर इनकम के लिए आपको 8 फीसदी रिटर्न के हिसाब से करीब 2.14 करोड़ रुपयों के रिटायरमेंट कॉर्पस की जरूरत पड़ेगी. इसमें इमरजेंसी फंड को भी जोड़ दें तो यह रकम करीब 2.20 करोड़ रुपये निकलती है.
स्टेप 5 : मौजूदा आर्थिक स्थिति का हिसाब लगाएं
भविष्य की जरूरतों का अनुमान लगाने के बाद आपको यह देखना चाहिए कि आपके पास अभी बचत और निवेश के तौर पर कितना फंड उपलब्ध है. इसके लिए आपको अपने सेविंग्स अकाउंट यानी बचत खाते, बैंक एफडी, एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF), बीमा पॉलिसी, पीपीएफ अकाउंट और शेयर-बॉन्ड वगैरह में निवेश किए गए पैसों का हिसाब लगाकर देखना होगा. सारी बचत और निवेश को जोड़कर देख लें कि अभी आपकी नेटवर्थ कितनी है. मान लीजिए, अगर आपको पास अभी करीब 50 लाख रुपये की ऐसी बचत मौजूद है, जिसका इस्तेमाल आप रिटायरमेंट फंड के लिए कर सकते हैं, तो आपको अभी कम से 1.70 करोड़ रुपये और जुटाने होंगे.
स्टेप 6 : हर महीने कितना करना होगा निवेश
10 साल में करीब 1.70 करोड़ रुपये का कॉर्पस जमा करने के लिए आप इस रणनीति पर अमल कर सकते हैं:
आपकी मौजूदा 50 लाख रुपये की बचत को अगर फिक्स्ड रिटर्न वाले इंस्ट्रमेंट्स में लगाते हैं, जहां करीब 8 फीसदी सालाना रिटर्न मिलता है, तो 10 साल में यह रकम करीब 1.07 करोड़ रुपये हो जाएगी.
इसके अलावा अगर आप हर महीने 35 हजार रुपये SIP के रूप में निवेश करते हैं, तो 10 फीसदी के सालाना कंजर्वेटिव रिटर्न के हिसाब से 72 लाख रुपये का कॉर्पस जमा हो जाएगा. सालाना रिटर्न अगर 12 फीसदी रहा, तो आप करीब 81 लाख रुपये का रिटायरमेंट कॉर्पस जमा कर पाएंगे.
एसआईपी पर इतना औसत रिटर्न पाने के लिए आपको अधिकांश निवेश ELSS और दूसरे इक्विटी फंड में करना होगा. ELSS में निवेश पर आप टैक्स की बचत भी कर पाएंगे.
अगर आप अपनी मौजूदा 50 लाख रुपये की बचत फिक्स्ड रिटर्न वाले एसेट्स में लगाते हैं, तो आपका रिस्क भी बैलेंस हो जाएगा.
इस तरह से आप सही ढंग से योजना बनाकर चलें, तो देर से शुरूआत करने के बावजूद रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त कॉर्पस बना सकते हैं. अगले दस साल में आपकी आमदनी में जो भी बढ़ोतरी होती है, उसे अगर आप एसआईपी को स्टेप-अप करके निवेश करते रहेंगे, तो आप अपने रिटायरमेंट फंड को और भी बेहतर बना सकते हैं. हमने रिटायरमेंट कॉर्पस का अनुमान 8 फीसदी के सालाना रिटर्न के आधार पर लगाया है, जो फिक्स्ड रिटर्न वाले एसेट्स में निवेश पर आधारिक है. अगर आप इसका एक हिस्सा इक्विटी फंड में लगा देते हैं, तो महंगाई को मात दे पाएंगे. हर महीने 35 हजार रुपयों का निवेश करने के लिए हो सकता है आपको अपने खर्चों में कुछ कटौती करनी पड़े, लेकिन रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित और आरामदेह जिंदगी बिताने के लिए ऐसा करना जरूरी है.