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GDP growth rate projection : एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी तिमाही के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 6.9 % से 7.1% के बीच रहने का अनुमान है. (Image : Financial Express)
SBI Ecowrap latest report says GDP growth for the Q2FY24 should be at 6.9-7.1%, to push up FY24 growth rate: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के इकनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने देश की अर्थव्यवस्था के बारे में उत्साहजनक अनुमान जारी किए हैं. एसबीआई इकोरैप की इस रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.9 से 7.1 फीसदी के बीच, यानी औसतन 7 फीसदी, रहने की उम्मीद है.SBI ने अपनी पिछली रिपोर्ट में भी मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. एसबीआई रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की वजह से पूरे वित्त वर्ष (FY24) के दौरान देश की जीडीपी विकास दर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के अनुमान से ज्यादा रहने की उम्मीद है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश की जीडीपी विकास दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है.
कृषि, सर्विस सेक्टर में रही तेजी
SBI Ecowrap की इस रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर तिमाही के देश के कृषि, सर्विस सेक्टर और कंजम्प्शन एक्सपेंडीचर में तेजी की बदौलत घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती नजर आई है. SBI रिसर्च टीम ने ये तमाम अनुमान 30 हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स के आधार पर जारी किए हैं. एसबीआई ने अर्थव्यवस्था के बारे में सही अनुमान लगाने के लिए एक आर्टिफीशियल न्यूरल नेटवर्क (ANN) मॉडल विकसित किया है, जिसके प्रोजेक्शन अब तक काफी सटीक रहे हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर तिमाही के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के भारी कैपिटल एक्सपेंडीचर ने भी अर्थव्यवस्था को तेजी देने में मदद की है.
ग्लोबल ग्रोथ से जुड़ी चिंताएं बरकरार
घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार के तमाम संकेतों के बावजूद ग्लोबल ग्रोथ रेट से जुड़ी चिंताएं बनी हुई हैं. अमेरिकी लेबर मार्केट में थोड़ी कमजोर नजर आ रही है. नॉन फार्म पेरोल के आंकड़ों में 9 में से 8 महीनों के दौरान गिरावट का रुझान देखने को मिला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं ने अगर आने वाले दिनों में खर्च में कटौती की, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक बार फिर मंदी की ओर बढ़ सकती है. अमेरिकी में नवंबर 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा वहां की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी अर्थव्यवस्था में सुस्ती को रोकने की पूरी कोशिश करेगी.
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती का अस्थायी असर एक्सपोर्ट की प्रतिस्पर्धी क्षमता पर पड़ने की आशंका है. ऐसे माहौल में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान वस्तुओं और सेवाओं के नेट एक्सपोर्ट (net exports of goods and services) का घाटा बढ़कर 21 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. इस दौरान गुड्स के ट्रेड में डेफिसिट बढ़ गया था, जबकि सर्विसेज के नेट सरप्लस में बढ़ोतरी देखी गयी थी. रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में गुड्स ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गया, जबकि सर्विस ट्रेड सरप्लस सुधरकर 40 अरब डॉलर हो गया, इससे वस्तुओं और सेवाओं का नेट एक्सपोर्ट डेफिसिट 20 अरब डॉलर रह गया. साल दर साल आधार पर यह वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के नेट एक्सपोर्ट की तुलना में 55 प्रतिशत अधिक है.
ICRA ने भी लगाया है 7% विकास दर का अनुमान
एसबीआई की रिपोर्ट सामने आने से एक दिन पहले रेटिंग एजेंसी ICRA भी दूसरी तिमाही के दौरान भारत की ग्रोथ रेट 7 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जाहिर कर चुकी है. इक्रा ने मंगलवार को जारी अनुमानों में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर सालाना आधार पर घटकर 7 फीसदी रह जाएगी, जो वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 7.8 फीसदी थी. इसकी तुलना में देश की जीवीए ग्रोथ रेट पहली तिमाही के 7.8 फीसदी से घटकर दूसरी तिमाही में 6.8 फीसदी रह जाने का अनुमान है.