/financial-express-hindi/media/media_files/pUvGSYFI97ocyf5XYc4o.jpg)
आत्मनिर्भर तिलहन अभियान के अलावा वित्र मंत्री ने डेयरी विकास, मत्स्य संपदा योजना को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन और एक्वापार्क्स बनाने का भी एलान किया. (Image : Express File)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को कहा कि सरकार किसान हित के लिए तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर खाद्य तेलों के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति बनाएगी और डेयरी किसानों को समर्थन देने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरू करेगी. वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार फूड प्रासेंसिंग स्तर और किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिए फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देगी. इस दौरान उन्होंने नैनो डीएपी (डाइ-अमोनियम फॉस्फेट) यूरिया के इस्तेमाल को सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विस्तारित किए जाने की बात कही. आत्मनिर्भर तिलहन अभियान के अलावा वित्र मंत्री ने डेयरी विकास, मत्स्य संपदा योजना को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन और एक्वापार्क्स बनाने का भी एलान किया.
सीतारमण ने कहा 'किसान हमारे 'अन्नदाता' हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में मूल्य-वर्धन और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हमारी सरकार उपज एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, दक्षतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण और मार्केटिंग एवं ब्रांड तैयार करने सहित फसल कटाई के उपरांत चलाए जाने वाले कार्यकलापों में निजी और सार्वजनिक निवेश को और बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया को सफलतापूर्वक अपनाए जाने के बाद सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी का प्रयोग किया जाएगा.
खाद्य तेल के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी
वर्ष 2022 में घोषित पहल से आगे बढ़ते हुए सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के मामले में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए कार्यनीति तैयार की जाएगी. इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए रिसर्च, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक पैमाने पर अपनाने, बाजार संपर्कों, खरीद, मूल्य-वर्धन और फसल बीमा को शामिल किया जाएगा.
डेयरी विकास के लिए की जाएगी तैयारियां
डेयरी किसानों की सहायता के लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा. खुरपका रोग को नियंत्रित करने के प्रयास पहले से चल रहे हैं. भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है लेकिन देश में दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादकता कम है. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रसंस्करण एवं पशुपालन के लिए अवसंरचना विकास निधि जैसी मौजूदा योजनाओं की सफलताओं पर आधारित होगा.
मत्स्य संपदा योजना को बढ़ावा देने से होगा रोजगार सृजन
प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके उद्देश्य इस प्रकार होंगे. जलकृषि उत्पादकता को प्रति हैक्टेयर मौजूदा 3 टन से बढ़ाकर 5 टन करना, निर्यात को दोगुना बढ़ाकर 1 लाख करोड़ तक पहुंचाना और निकट भविष्य में रोजगार के 55 लाख अवसरों का सृजन करना. वित्र मंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने मछुआरों की सहायता करने के महत्व को समझते हुए अलग मत्स्यपालन विभाग की स्थापना की थी. नतीजतन इनलैंड और जलकृषि उत्पादन दोगुना हो गया है. वर्ष 2013-14 से सीफूड का निर्यात भी दोगुना हो गया है.
एक्वापार्क्स का होगा निर्माण
सरकार ने पांच इंटीग्रेटेड एक्वापार्क्स बनाने का एलान भी किया है.
इन योजनाओं के जरिए नारी शक्ति पर जोर
लखपति दीदी
नौ करोड़ महिलाओं के तिरासी लाख स्व-सहायता समूह सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता से ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बदलाव ला रहे हैं. इनकी सफलता से अब तक लगभग एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं. वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. उन्हें सम्मानित करके उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान की जाएगी. इस सफलता से उत्साहित होकर लखपति दीदी का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने का निर्णय लिया गया है.
आयुष्मान भारत
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य देखरेख सुरक्षा में सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी शामिल किया जाएगा.
जानिए किसान हित के लिए सरकार ने बीते कुछ वर्षों में क्या कदम उठाए?
खाद्य तेलों की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है.
तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान, देश ने लगभग 165 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया, जिसका मूल्य 1.38 लाख करोड़ रुपये था.
सीतारमण ने कहा, ‘‘किसान हमारे 'अन्नदाता' हैं. हर साल, पीएम-किसान सम्मान योजना के तहत, सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
पीएम फसल बीमा योजना के तहत चार करोड़ किसानों को फसल बीमा दिया जाता है. ये कई अन्य कार्यक्रमों के अलावा, देश और दुनिया के लिए भोजन पैदा करने में ‘अन्नदाता’ की सहायता कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र समावेशी, संतुलित, उच्च विकास और उत्पादकता के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि इन्हें किसान-केंद्रित नीतियों, आय सहायता, मूल्य और बीमा समर्थन के माध्यम से जोखिमों के ‘कवरेज’ और स्टार्टअप के माध्यम से प्रौद्योगिकियों और नवोन्मेषण को बढ़ावा देने की सुविधा मिल रही है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर, 2023 में समाप्त हुए चालू तेल वर्ष में देश का वनस्पति तेल आयात 16 फीसदी बढ़कर 167.1 लाख टन हो गया. जिससे पिछले तेल वर्ष 2021-22 (नवंबर-अक्टूबर) में भारत ने 144.1 लाख टन वनस्पति तेल का आयात किया था.
मूल्य के बारे में, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि देश का खाद्य तेल आयात वित्त वर्ष 2022-23 में 1.38 लाख करोड़ रुपये का था, जो 2021-22 के 1.57 लाख करोड़ रुपये से कम है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘खुरपका और मुंहपका जैसी बामारियों को नियंत्रित करने के प्रयास पहले से ही जारी हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, लेकिन दुधारू पशुओं की उत्पादकता कम है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना से 38 लाख किसानों को लाभ हुआ है और 10 लाख रोजगार पैदा हुए हैं.
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना ने 2.4 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और साठ हजार व्यक्तियों को ‘क्रेडिट लिंकेज’ से सहायता प्रदान की है. अन्य योजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने और उत्पादकता और आय में सुधार के प्रयासों को पूरक बना रही हैं.
मत्स्य पालन क्षेत्र में, वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने मछुआरों की सहायता के महत्व को समझते हुए मत्स्य पालन के लिए एक अलग विभाग स्थापित किया है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके चलते अंतर्देशीय और जलीय कृषि उत्पादन दोगुना हो गया है. वित्त वर्ष 2013-14 से समुद्री खाद्य निर्यात भी दोगुना हो गया है.’
वित्त मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट ने 1,361 मंडियों को एकीकृत कर दिया है और इसमें तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य का कारोबार हो रहा है एवं 1.8 करोड़ किसानों को सेवाएं मिल रही हैं. सीतारमण ने इस बात को रेखांकित किया, ‘‘80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त राशन के माध्यम से भोजन की चिंता समाप्त हो गई है. ‘अन्नदाता’ की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य समय-समय पर उचित रूप से बढ़ाया जाता है.