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Amitabh Bachchan: अमिताभ बच्चन को बढ़ती उम्र में आ रहीं कई दिक्कतें, पैंट पहनने से लेकर चलने फिरने में हो रही मुश्किल

मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने कहा कि यह दौर हर किसी की जिंदगी में आता है. जवानी में सब कुछ आसान लगता है, लेकिन बढ़ती उम्र धीरे-धीरे रफ्तार कम कर देती है और जिंदगी की गाड़ी को संभलकर चलाने की सलाह देती है.

मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने कहा कि यह दौर हर किसी की जिंदगी में आता है. जवानी में सब कुछ आसान लगता है, लेकिन बढ़ती उम्र धीरे-धीरे रफ्तार कम कर देती है और जिंदगी की गाड़ी को संभलकर चलाने की सलाह देती है.

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FE Hindi Desk
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Amitabh Bachchan

डॉक्टरों ने अमिताभ बच्चन को आराम करने, ज्यादा देर खड़े न रहने और ट्राउजर पहनने की सलाह दी है. (Image: X/@SrBachchan)

Amitabh Bachchan Opens Up on Aging Struggles: From Wearing Trousers to Walking Difficulties: अमिताभ बच्चन ने उम्र के असर को खुले तौर पर स्वीकार किया है. उन्होंने बताया कि अब ट्राउजर पहनने जैसे आसान काम भी उनके लिए मुश्किल हो गए हैं और डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने घर में सहारे के लिए हैंडल बार्स लगवाए हैं. दवाइयां और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं. इसके बावजूद वे रिटायर होने के मूड में नहीं हैं और अब भी छोटे पर्दे पर दमदार वापसी कर रहे हैं.

मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने हाल ही में खुलासा किया कि अब उन्हें साधारण काम जैसे ट्राउजर पहनना भी मुश्किल लगने लगा है. हालांकि वे 83 साल की उम्र के करीब पहुंच रहे हैं, लेकिन अभी भी रिटायर होने के मूड में नहीं हैं और अपनी दमदार मौजूदगी से दर्शकों को प्रभावित कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने लोकप्रिय टीवी गेम शो कौन बनेगा करोड़पति (KBC) के 17वें सीजन की शुरुआत की और छोटे पर्दे पर शानदार वापसी की. ओल्ड से लेकर न्यू तक कई पीढ़ियों में फैले विशाल फैनबेस के साथ, बच्चन को भारतीय सिनेमा के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है.

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बचपन जैसा दिल जवान बनाए रखने की कोशिशों के बावजूद, अब लगता है कि बढ़ती उम्र का असर बिग बी पर साफ दिखाई देने लगा है. हाल ही में उन्होंने बताया कि अब उन्हें साधारण काम भी मुश्किल लगने लगे हैं, जैसे ट्राउजर पहनना. बच्चन ने यह भी खुलासा किया कि उनके बंगले ‘जलसा’ में अब हर जगह हैंडल बार्स लगाए गए हैं ताकि उन्हें सहारा मिल सके.

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रविवार को अपने ब्लॉग में उन्होंने उन भावनाओं को साझा किया जो वे हर हफ़्ते अपने घर के बाहर जुटे फैंस से मिलने के बाद महसूस करते हैं. बच्चन ने लिखा कि उन्हें अब भी यकीन नहीं होता कि इतने लोग सिर्फ उनकी एक झलक पाने के लिए आते हैं. जब वे सीढ़ियां चढ़कर फैंस के सामने खड़े होते हैं, तो उनकी तालियां और उत्साह उनके हौसले को मजबूत कर देते हैं और वे सारा प्यार और सम्मान महसूस करने लगते हैं.

अमिताभ बोले - पुराने चेहरे नहीं आते अब नजर 

उन्होंने यह भी लिखा कि वे अब यह नोटिस करने लगे हैं कि कई पुराने नियमित चेहरे नजर नहीं आते. इस पर बच्चन ने सवाल किया—"क्या मैं अब बहुत आम और अनचाहा हो गया हूं? क्या लोग इस 5-10 मिनट की मौजूदगी से ऊब गए हैं, जिसके लिए वे दोपहर से ही आकर खड़े रहते हैं? क्यों और किसलिए?"

अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा कि अब उनके दिन का रूटीन दवाइयों और जरूरी चीजों के हिसाब से तय होता है. इसमें जिम जाकर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज भी शामिल है ताकि वे ठीक से चल-फिर सकें. उन्होंने मजाकिया अंदाज में लिखा - “पहले जो काम आसानी से हो जाते थे, लगता था उन्हें फिर से शुरू करना आसान होगा. लेकिन नहीं! बस एक दिन की कमी से ही दर्द और चलने-फिरने की दिक्कतें बढ़ जाती हैं.”

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बच्चन ने यह भी बताया कि जो साधारण काम पहले बिल्कुल आसान लगते थे, अब उन्हें करने से पहले दिमाग लगाना पड़ता है. उन्होंने लिखा—“ट्राउजर पहनने जैसी छोटी-सी बात भी अब मुश्किल हो गई है. डॉक्टर कहते हैं, ‘मिस्टर बच्चन, खड़े होकर पैंट पहनने की कोशिश मत कीजिए, बैठकर पहनीए… वरना बैलेंस बिगड़ सकता है और आप गिर सकते हैं.’ पहले तो मुझे इस पर हंसी आती थी, लेकिन बाद में समझ आया कि डॉक्टर सही कह रहे थे.”

उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की दिक्कतों से निपटने के लिए उनके घर जलसा में हर जगह हैंडल बार्स लगाए गए हैं ताकि सहारा मिल सके. बच्चन ने कहा—“छोटी-सी चीज, जैसे हवा से उड़कर डेस्क से गिरा कागज उठाना भी अब बड़ा काम लगता है. पहले लगता है कि कर लेंगे, लेकिन तुरंत एहसास होता है कि यह अब आसान नहीं रहा. शरीर की रफ्तार पहले जैसी नहीं रही और अब हर चीज अनिश्चित लगने लगी है.”

हर किसी की जिंदगी में आता है ये दौर: अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन ने अपनी गहरी इच्छा जताई कि उनके किसी भी फैन को जिंदगी का ऐसा दौर न देखना पड़े. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सच तो यह है कि ऐसा समय हर किसी की जिंदगी में आता है. बच्चन ने लिखा—“जिंदगी का ढलान तो जन्म से ही शुरू हो जाता है. दुखद है, लेकिन यही हकीकत है. जवानी में इंसान हर मुश्किल को आसानी से पार कर लेता है, लेकिन बढ़ती उम्र अचानक ब्रेक लगा देती है और कहती है—‘जिंदगी की गाड़ी संभाल कर चलाओ, वरना तेज रफ़्तार का झटका गिरा भी सकता है.’”

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