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Baisakhi 2025: बैसाखी का क्या है इतिहास? जानिए फसलों के इस त्योहार का महत्व

Baisakhi or Vaisakhi 2025 Date: बैसाखी, जिसे सिख नववर्ष भी कहा जाता है, पंजाब और सिख समुदाय का प्रमुख पर्व है. यह कृषि उत्सव के साथ-साथ खालसा पंथ की स्थापना का धार्मिक दिन भी है.

Baisakhi or Vaisakhi 2025 Date: बैसाखी, जिसे सिख नववर्ष भी कहा जाता है, पंजाब और सिख समुदाय का प्रमुख पर्व है. यह कृषि उत्सव के साथ-साथ खालसा पंथ की स्थापना का धार्मिक दिन भी है.

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FE Hindi Desk
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Baisakhi 2025 Date

Baisakhi 2025 Date: मुख्य रूप से सिख समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला वैसाखी पर्व अब करीब है. जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें. Photograph: ((Image: IE File))

Baisakhi or Vaisakhi 2025 Date: बैसाखी पंजाब और सिख समुदाय के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार (Festival Season) है. यह मुख्य रूप से कृषि उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जब किसान अपनी फसल काटने की खुशी मनाते हैं. यह सिख धर्म के लिए धार्मिक दृष्टि से भी खास है, क्योंकि सन् 1699 में इसी दिन सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. इस वजह से बैसाखी को सिख नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है. यह पर्व इस साल कब मनाई जाएगी, इसके महत्व और इतिहास के बारे में आइए जानते हैं.

खालसा पंथ की स्थापना का प्रतीक

बैसाखी का इतिहास 1699 से जुड़ा है, जब दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. यह दिन सिख धर्म के इतिहास में क्रांतिकारी साबित हुआ क्योंकि गुरु जी ने पांच प्यारे चुने और उन्हें अमृतपान कराकर खालसा बनाया. यह घटना न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण थी, बल्कि सामाजिक समानता और वीरता का भी प्रतीक बनी.

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कृषि से जुड़ा उत्सव

बैसाखी पंजाब के किसानों के लिए खास महत्व रखती है. यह समय होता है जब रबी की फसल, विशेषकर गेहूं की कटाई शुरू होती है. किसान इस दिन को प्रकृति के प्रति आभार जताने और अच्छी फसल की खुशी मनाने के रूप में देखते हैं. खेतों में काम करने वाले किसान नई फसल की शुरुआत के साथ नए जोश और उमंग से त्योहार का स्वागत करते हैं.

उत्सव की झलकियां

बैसाखी के दिन सुबह-सवेरे लोग गुरुद्वारों में जाकर अरदास करते हैं और गुरबाणी सुनते हैं. गुरुद्वारों में विशेष दीवान सजाए जाते हैं और लंगर की व्यवस्था की जाती है. कड़ा प्रसाद, केसरी चावल, और फिरनी जैसे पारंपरिक व्यंजन इस पर्व की मिठास को बढ़ाते हैं.

इसके अलावा, बैसाखी के मौके पर भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां पारंपरिक पंजाबी लोकनृत्य भांगड़ा और गिद्दा की प्रस्तुतियां होती हैं. ढोल की थाप पर नाचते लोग पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर देते हैं.

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सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव

बैसाखी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है. यह दिन जहां सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है, वहीं समाज में भाईचारे और समानता का संदेश भी देता है.

इस दिन मनाई जाएगी बैसाखी

इस साल बैसाखी पर्व रविवार 13 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा.

Festival Season