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Gold: फिर से बढ़ने लगी सोने की चमक, इसे नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं ये फैक्टर

Gold surging again: बॉन्ड बाजार में मंदी, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का दबाव, और डॉलर की कमजोरी के कारण लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की खरीदारी बढ़ा सकते हैं.

Gold surging again: बॉन्ड बाजार में मंदी, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का दबाव, और डॉलर की कमजोरी के कारण लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की खरीदारी बढ़ा सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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Gold surging again

Gold surge: पिछली रात एक औंस सोना 3,218 यूएस डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक की सबसे ऊंची कीमत है. (Image : Freepik)

Gold is surging again:सोने की चमक (Gold Prices Gains) इन दिनों और भी तेज हो गई है. इसकी कीमत हर दिन नया रिकॉर्ड बना रही है. पिछली रात एक औंस सोना 3,218 यूएस डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक की सबसे ऊंची कीमत है. बीते एक साल में सोना करीब 37% महंगा हो चुका है. हालांकि मार्च में एक औंस सोना जब 3,000 यूएस डॉलर के पार गया, तब थोड़ी गिरावट भी देखने को मिली. इसकी वजह ये रही कि शेयर बाजार में भारी गिरावट के कारण कई ट्रेडर्स को नुकसान हुआ और उन्हें पैसों की जरूरत पड़ी. ऐसे में उन्होंने अपनी सोने की जमा पूंजी बेचनी शुरू कर दी, ताकि वो पैसे जुटा सकें.

अब एक बार फिर सोने की कीमत 3,000 यूएस डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई है और लगातार ऊपर जा रही है. इस समय सोना करीब 3,200 यूएस डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड हो रहा है. इसकी बड़ी वजह है अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव, जिसके चलते लोग सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की तरफ रुख कर रहे हैं. भारत में आज सोने की कीमत 93,380 रुपये प्रति 10 ग्राम है और यह धीरे-धीरे 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े की ओर बढ़ रही है.

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नीचे दिया गया चार्ट दिखाता है कि सोने की कीमत पहले 3,000 यूएस डॉलर प्रति औंस से नीचे गिरी, और फिर वहां से फिर से ऊपर चढ़ने लगी.

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Photograph: (Source: Tradingeconomics)

सोना इस साल की शुरुआत से अब तक 400 यूएस डॉलर से ज्यादा महंगा हो चुका है. इसके पीछे कई वजहें हैं जो सोने के पक्ष में काम कर रही हैं. लोग सोने में निवेश क्यों कर रहे हैं, इसके तीन बड़े कारण माने जा रहे हैं:

  • बॉन्ड बाजार में गिरावट
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरें घटाने का दबाव,
  • और डॉलर की कमजोरी

बॉन्ड बाजार में गिरावट

अमेरिका के ट्रेजरी बॉन्ड्स को अब तक दुनिया में सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, क्योंकि ये सीधे अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थित होते हैं. लेकिन हाल ही में लोगों का यह भरोसा एक झटके में हिल गया. इसकी वजह बने डोनाल्ड ट्रंप, जो 9 अप्रैल से नई टैक्स रिजीम यानी ट्रंप टैरिफ लागू करने को लेकर अड़े रहे. ट्रंप टैरिफ लागू करने की उनकी जिद ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया, और टैरिफ लागू होने से एक दिन पहले ही अमेरिकी ट्रेजरी मार्केट में बड़ी गिरावट आ गई.

इस अनिश्चितता ने लोगों को सोने की ओर मोड़ा, जिसे मुश्किल समय में 'सेफ हेवन' यानी सुरक्षित निवेश माना जाता है. उस दिन अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड्स पर जबरदस्त बिकवाली का दबाव बना, जिससे बॉन्ड की कीमतें गिर गईं और उनका रिटर्न (यील्ड) तेज़ी से बढ़ गया. 10 साल वाले US ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड 4.5% तक पहुंच गई, जो छह हफ्तों में सबसे ज्यादा थी.

हालांकि बाद में माहौल थोड़ा शांत हुआ. ट्रंप ने चीन को छोड़कर बाकी देशों पर टैरिफ लगाने को 90 दिनों के लिए टाल दिया. हो सकता है कि बॉन्ड मार्केट में गिरावट ने ट्रंप को अपना रुख नरम करने पर मजबूर किया हो. लेकिन इस घटना ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया कि क्या US ट्रेजरी बॉन्ड्स अब भी उतने ही सुरक्षित हैं, जितना उन्हें माना जाता है?

इस तरह की अनिश्चितता में, जब निवेशकों को भरोसेमंद जगह की तलाश होती है, उन्होंने सोने की ओर रुख किया. यह हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि जब बॉन्ड असुरक्षित लगने लगें, तो सोना एक भरोसेमंद विकल्प बन जाता है. इसलिए ही तो कहा जाता है — जब 10 साल के US बॉन्ड की यील्ड तेज़ी से बढ़ती है, तो सोना और भी चमकने लगता है. और यही कारण है कि सोने को 'गॉड्स ऑफ ओन करेंसी' (God’s Own Currency) कहा जाता है.

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डॉलर और सोना: क्या है कनेक्शन?

अमेरिकी डॉलर इन दिनों दबाव में है. ट्रंप की प्रोटेक्शन पॉलिसी यानी संरक्षणवादी नीतियों के कारण दुनियाभर के निवेशक डॉलर से जुड़ी संपत्तियों को बेच रहे हैं. चाहे वो शेयर हों या बॉन्ड, निवेशक अब डॉलर में निवेश करना कम कर रहे हैं.

इसी का असर यह हुआ है कि डॉलर इंडेक्स, जो अमेरिकी डॉलर की ताकत को दुनिया की दूसरी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मापता है, तेजी से नीचे गिर रहा है.

पिछले 3 महीनों में डॉलर इंडेक्स 109 से गिरकर 100 से नीचे आ गया है. यह तीन साल का सबसे निचला स्तर है.

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Photograph: (Source: MacroMicro)

 वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, यूरो की मजबूती और डॉलर की कमजोरी ने हाल के समय में सोने की कीमतों को ऊपर ले जाने में अहम भूमिका निभाई है.

अभी व्यापारिक तनाव अमेरिका और चीन के बीच सबसे ज्यादा है. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर भारी टैरिफ लगाए हैं. लेकिन चीन ने इससे आगे बढ़कर अपने बड़े बैंकों से कहा है कि वे डॉलर की खरीद कम करें.

इस स्थिति में सोने की "सुरक्षित निवेश" (Safe-Haven) वाली छवि को फायदा हो रहा है. जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोना दुनियाभर के निवेशकों को ज्यादा आकर्षक लगता है, खासकर उन देशों के लिए जहां मुद्रा डॉलर नहीं है.

याद रखें: जब डॉलर कमजोर पड़ता है, तो सोना और ज्यादा चमकता है.

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अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर दर घटाने का दबाव

अमेरिका में महंगाई कम हो रही है, जो सोने के लिए अच्छा समाचार है.

मार्च में अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की जानकारी उम्मीद से कम रही, जिससे अमेरिका के फेडरल रिजर्व से दर में कटौती की उम्मीदें बढ़ी हैं. फेडरल रिजर्व की नीति दर वर्तमान में 4.25%-4.50% के बीच है, जो जनवरी से स्थिर है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल पर दरें घटाने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन पॉवेल ने बार-बार कहा है कि दरों में कटौती केवल आंकड़ों पर निर्भर करेगी.

बाजारों को उम्मीद है कि 2025 के दूसरे हिस्से में 50-100 बेसिस प्वाइंट्स की दर में कटौती हो सकती है. यह सोने के लिए ऊँची कीमतों तक पहुंचने का एक अच्छा अवसर हो सकता है. हालांकि, अगर टैरिफ से जुड़ी महंगाई बढ़ती है, तो यह सोने के निवेशकों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है.

महत्वपूर्ण टिप: जब ब्याज दरें गिरती हैं, तो सोने की कीमतें बढ़ती हैं.

ये फैक्टर भी सोने में तेजी के लिए हो सकते हैं जिम्मेदार

इन प्रमुख वजहों के अलावा दूसरे फैक्चर भी हैं जो सोने में तेजी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. सोना हमेशा केंद्रीय बैंकों, व्यक्तियों और उद्योगों की खरीदारी सूची में रहा है. इससे बड़े फंड हाउसेस भी गोल्ड ETF में निवेश कर रहे हैं. ये गोल्ड ETF, जो भौतिक सोने की कीमतों को करीब से ट्रैक करते हैं, भी एक लोकप्रिय विकल्प बन गए हैं.

इन वैश्विक गोल्ड ETF में भारी निवेश हो रहा है. पिछले हफ्ते, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने तीन सालों में सबसे अधिक गोल्ड-बैक्ड ETF निवेश की रिपोर्ट दी.

ये अहम फैक्टर भी तेजी के लिए है जिम्मेदार

डॉलर, ब्याज दरों में कटौती, बॉन्ड की बिक्री, आदि सभी एक ऐसे बड़े घटनाक्रम का परिणाम हैं, जिसमें पूरी दुनिया उलझी हुई है. वह घटना है - ट्रम्प के टैरिफ और खासकर, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध.

ट्रम्प ने देशों को चेतावनी दी है कि अगर वे प्रतिशोध नहीं लेना चाहते तो उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा. लेकिन चीन ने इसका उल्टा किया. चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर ड्यूटी बढ़ाकर 84% कर दी, जिसके बाद ट्रम्प ने चीनी आयातों पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया! शुक्रवार को, चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर ड्यूटी और बढ़ाकर 125% कर दी.

अमेरिका और चीन दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं, और अगर व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो एक वैश्विक मंदी आ सकती है, जिससे निवेशक सोने में निवेश करने लगेंगे.

ट्रम्प ने 90 दिनों के लिए प्रतिकारात्मक टैरिफ को स्थगित कर दिया है. बाजारों को पता है कि यह सिर्फ एक अस्थायी विराम है, और अर्थव्यवस्थाओं को चीजें सामान्य होने से पहले कुछ समय के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

हाल फिलहाल में सोने की कीमतें स्थिर हैं, और बेचने का दबाव फिलहाल कम हो गया है.

विश्लेषकों के अनुसार, सोना अब शायद अपनी रैली के अंतिम चरण में पहुंचने वाला है, और अप्रैल में इसका उच्चतम स्तर देखा जा सकता है. सोने की कीमत $3,200 से ऊपर जाने की उम्मीद जताई गई थी, और यह पहले ही टेस्ट हो चुका है.

क्या सोने की कीमतें और ऊपर जाएंगी, यह देखना बाकी है.

यहां एक बाधा है जिसे ध्यान में रखना होगा - अगर मई या जून में अमेरिकी फेड दरें नहीं घटाता और पॉवेल एक ज्यादा आक्रामक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो मई और जून में सोने की कीमतों पर दबाव देखने को मिल सकता है.

(Credit : Sunil Dhawan)

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