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पुलवामा में भारतीय सेना का एक बख्तरबंद वाहन.(PTI)
India Pakistan Tension : पाकिस्तान के साथ लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच सरकार ने सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने सेना की जरूरतों को देखते हुए भारत फोर्ज और महिंद्रा जैसी प्राइवेट डिफेंस कंपनियों से संपर्क किया है. इन कंपनियों को खास निर्देश दिए गए हैं कि वे हथियारों और उपकरणों की सप्लाई बढ़ाएं. इसमें एंटी-ड्रोन सिस्टम, गोला-बारूद और ऐसे बख्तरबंद वाहन शामिल हैं, जिन्हें आधुनिक हथियारों जैसे लोइटरिंग बम और गाइडेड मिसाइलों के साथ जोड़ा जा सके. इसका मकसद पाकिस्तान हमलों का जोरदार और सटीक जवाब देना है.
रिपोर्ट के मुताबिक इन निजी कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऑर्डिनेंस फैक्टरी द्वारा पहले से तैयार किए जा रहे इक्विपमेंट के अलावा, खास तरह के गोला-बारूद सहित कुछ हथियारों का प्रोडक्शन बढ़ाएं. सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि इन कंपनियों को जल्द ही आगामी बैठक के लिए बुलाया जा सकता है.
2025 में हुआ Bharat Forge और सरकार के साथ अहम कॉन्ट्रैक्ट
भारत फोर्ज की पुणे के पास जेऊरी में एक बड़ी फैक्ट्री है, जहां रक्षा से जुड़ी चीजें जैसे बंदूकें, वाहन, छोटे और मझोले हथियार और दूसरे सिस्टम बनाए और जोड़े जाते हैं. इस साल की शुरुआत में कंपनी ने रक्षा मंत्रालय के साथ एक बड़ा समझौता किया है, जिसके तहत वह 184 देसी तोपें यानी ATAGS (एडवांस टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम) सप्लाई करेगी. 155/52 मिमी की यह तोप DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) के साथ मिलकर बनाई गई है.
देश में ही बनी ATAGS तोप 48 किलोमीटर तक गोले दाग सकती है. इसमें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक सिस्टम लगा है, जिससे इसे चलाना और संभालना आसान है और ज्यादा मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होती, जैसा कि दूसरी हाइड्रोलिक तोपों में होता है. यह तोप 18 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है, जबकि सामान्य टो की गई तोपें सिर्फ 8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं. ATAGS एक बार में 6 गोले दाग सकती है, जबकि सामान्य तोपें सिर्फ 3. खास बात यह है कि इसमें पहले से मौजूद गोला-बारूद का इस्तेमाल बिना किसी बदलाव के किया जा सकता है.
महिंद्रा को मिल चुकी है हथियार और गोला-बारूद बनाने की इजाजत
रिपोर्ट के मुताबिक महिंद्रा कंपनी को सरकार से छोटे हथियार और उससे जुड़ा गोला-बारूद बनाने की इजाजत मिल चुकी है. यह कंपनी भारतीय सेना के लिए बख्तरबंद गाड़ियां और दूसरी सैन्य गाड़ियां भी बनाती है. महिंद्रा ‘मार्क्समैन’ नाम की एक खास गाड़ी बनाती है जो शहरों में लड़ाई (शहरी युद्ध) के लिए तैयार की गई है. इसके अलावा कंपनी ‘रक्षक’ नाम की बख्तरबंद सैन्य गाड़ी भी बनाती है, जो जवानों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होती है.
देश में ही बन रहे हैं 65% डिफेंस इक्विपमेंट
भारतीय सेना ने कुछ समय पहले कंपनियों से 23mm एंटी-ड्रोन गोला-बारूद बनाने के लिए जानकारी मांगी थी. यह काम ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत किया जा रहा है, जिसे सेना की एयर डिफेंस यूनिट देख रही है. 'मेक इन इंडिया' शुरू होने के बाद देश में डिफेंस प्रोडक्शन तेजी सेबढ़ा है. वित्त वर्ष 2023-24 में यह रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. आज देश में करीब 65% डिफेंस इक्विपमेंट देश के अंदर ही बन रहे हैं, जबकि करीब 10 साल पहले 65-70% तक चीजें विदेश से मंगाई जाती थीं.
डिफेंस प्रोडक्शन में अहम भूमिका निभा रही हैं ये कंपनियां
भारत में अब प्राइवेट कंपनियां जैसे भारत फोर्ज, महिंद्रा और टाटा ग्रुप डिफेंस सेक्टर में अहम भूमिका निभा रही हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में इन कंपनियों ने कुल डिफेंस प्रोडक्शन में 21% का योगदान दिया. ये कंपनियां नवाचार (इनोवेशन) और बेहतर काम की रफ्तार (एफिशिएंसी) को भी बढ़ावा दे रही हैं. देश का डिफेंस प्रोडक्शन अब सिर्फ 16 सरकारी कंपनियों (PSUs) तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें 430 से ज्यादा लाइसेंसधारी निजी कंपनियां और करीब 16,000 छोटे-छोटे उद्योग (MSMEs) भी शामिल हो गए हैं.