scorecardresearch

बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट की अंतिम सुनवाई आज, क्या चुनाव तारीखें घोषित होने के बाद भी रद्द हो जाएगी नई वोटर लिस्ट?

Bihar Election 2025: आगामी बिहार चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए दो फेज में चुनाव होने हैं. पहले फेज में 6 नवंबर और दूसरे फेज में 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.

Bihar Election 2025: आगामी बिहार चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए दो फेज में चुनाव होने हैं. पहले फेज में 6 नवंबर और दूसरे फेज में 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.

author-image
FE Hindi Desk
New Update
Supreme Court

Bihar Polls 2025: बिहार SIR पर आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई होनी है. (Photo File: ANI)

Bihar Assembly Election 2025: चुनाव तारीखों की घोषणा के साथ बिहार में सियासी पारा चढ़ चुका है. सोमवार को जैसे ही चुनाव आयोग ने 243 सीटों वाली विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की तारीखों का ऐलान किया, राज्य में आचार संहिता लागू हो गई. लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल भी चर्चा में है कि क्या वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और वैध थी? यही मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर है, जहां आज इस पर अंतिम बहस होने जा रही है.

बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट की अंतिम सुनवाई आज

बिहार में चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही वोटर लिस्ट से जुड़ा विवाद फिर सुर्खियों में आ गया है. चुनाव आयोग ने सोमवार को बताया कि राज्य में दो फेज में मतदान होगा, और इसके लिए वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण अब पूरी तरह पूरा कर लिया गया है. इस प्रक्रिया के तहत राज्य में करीब 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 14 लाख नए मतदाता पहली बार सूची में शामिल हुए हैं. SIR की यह प्रक्रिया शुरू से ही विवादों में रही. कई संगठनों ने आरोप लगाया कि इसमें पारदर्शिता की कमी है और लाखों नाम बिना उचित कारण के हटाए गए हैं. इसी को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने पहले इस मामले की सुनवाई खारिज कर दी थी. उस समय चुनाव आयोग ने दलील दी थी कि अदालत को इस पर फैसला तभी देना चाहिए जब रिवाइज्ड वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन हो जाए. 24 जून से शुरू SIR की यह प्रक्रिया अब जबकि पूरी हो चुकी है, अदालत आज इस मामले में अंतिम बहस सुनेगी.

Also read : Bihar Elections Schedule OUT: बिहार में 6 और 11 नवंबर को होंगे मतदान, आपके इलाके में कब होगी वोटिंग, सीट के हिसाब से डिटेल चेक करें

चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद क्या SC हस्तक्षेप कर सकेगी?

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) की प्रक्रिया अब आधिकारिक तौर पर शुरू हो गई है. चुनाव आयोग ने कार्यक्रम की घोषणा कर दी है, और अब सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई, जिसमें वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन की वैधता को चुनौती दी गई है, इस चुनाव पर असर डालने की संभावना बहुत कम है. दरअसल, संविधान का अनुच्छेद 329 यह साफ कहता है कि एक बार जब चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तब अदालतें उसमें दखल नहीं दे सकतीं.

चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही अदालतें आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं करतीं. अनुच्छेद 329 के तहत अदालतें न तो परिसीमन या सीटों के बंटवारे से जुड़े कानूनों पर सवाल उठा सकती हैं, न ही चुनाव के बीच में उसे रोक सकती हैं. किसी चुनाव को चुनौती केवल परिणाम घोषित होने के बाद दी जा सकती है, वह भी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 80 के तहत, जिसमें उम्मीदवार या मतदाता को 45 दिनों के भीतर संबंधित उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करनी होती है.

Also read : By Polls Date OUT: बिहार के साथ राजस्थान, झारखंड समेत इन सात राज्यों में कुल 8 सीट पर होंगे उपचुनाव, इस दिन पड़ेंगे वोट

सुप्रीम कोर्ट कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि “चुनाव” शब्द का मतलब पूरे चुनावी क्रम से है, जो अधिसूचना जारी होने से लेकर नतीजों की घोषणा तक चलता है. 1952 के प्रसिद्ध एन पी पोनुस्वामी बनाम रिटर्निंग ऑफिसर मामले में अदालत ने यह सिद्धांत तय किया था कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोर्ट दखल नहीं दे सकती.

हालांकि, हाल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मतदाता सूची में कोई गंभीर गड़बड़ी या अवैधता पाई जाती है, तो न्यायिक जांच से इंकार नहीं किया जा सकता. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “अगर हमें लगे कि कोई गैरकानूनी काम हुआ है, तो हम ज़रूर देखेंगे.”

इस मामले में एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत से अगली सुनवाई जल्द करने की मांग की थी, क्योंकि अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होनी थी.

वैसे चुनाव प्रक्रिया के दौरान अदालतों द्वारा हस्तक्षेप करना बेहद दुर्लभ है. सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के चुनावों पर आए एक फैसले में भी कहा था कि अदालतें तभी दखल देंगी जब सरकार या चुनाव आयोग का कोई कदम उम्मीदवारों के बीच बराबरी का माहौल बिगाड़े. अन्यथा अदालतें आमतौर पर दूर रहने की नीति अपनाती हैं, ताकि चुनाव प्रक्रिया में कोई रुकावट या देरी न हो.

बिहार में यह स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया 24 जून से शुरू हुई थी. इसमें 7 करोड़ 89 लाख मतदाताओं को कहा गया था कि वे 25 जुलाई तक अपने विवरण जमा करें. 2003 के बाद मतदाता सूची में जुड़े लोगों से जन्म तिथि और नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज मांगे गए थे.

इस प्रक्रिया के बाद जारी 30 सितंबर की अंतिम मतदाता सूची में अब 7 करोड़ 42 लाख मतदाता शामिल हैं. करीब 68 लाख 50 हजार नाम हटाए गए हैं और 21 लाख 53 हजार नए नाम जोड़े गए हैं. इन्हीं सूचियों के आधार पर नवंबर में मतदान होगा. इस SIR प्रक्रिया की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसकी अंतिम सुनवाई आज होनी है.

बिहार चुनाव के लिए तारीखें घोषित 

सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में दो फेज में मतदान होगा. पहला मतदान 6 नवंबर को और दूसरा 11 नवंबर को होगा. मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी. पहले चरण की अधिसूचना 10 अक्टूबर और दूसरे चरण की 13 अक्टूबर को जारी की जाएगी.

Supreme Court Bihar Election 2025 Bihar Assembly Elections Bihar