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दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा निर्दोष साबित, हाईकोर्ट ने किया बरी, पहले मिली थी उम्रकैद

HC acquits Saibaba: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने 2014 से जेल में बंद जी एन साईबाबा को निर्दोष बताते हुए उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है. कोर्ट ने इस मामले में 6 और सह-अभियुक्तों को भी बरी कर दिया है.

HC acquits Saibaba: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने 2014 से जेल में बंद जी एन साईबाबा को निर्दोष बताते हुए उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है. कोर्ट ने इस मामले में 6 और सह-अभियुक्तों को भी बरी कर दिया है.

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FE Hindi Desk
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दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा 2014 से नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. (File Photo: Indian Express)

Bombay HC acquits DU ex-professor GN Saibaba and others in Maoist links case: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा को बेगुनाह मानते हुए माओवादियों से संबंध होने के आरोपों से बरी कर दिया है. उन्हें पहले इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में उनके साथ आरोपी बनाए गए 6 अन्य सह-अभियुक्तों को भी बरी कर दिया है. इनमें से एक अभियुक्त पांडु नरोटे की जेल में ही मौत हो चुकी है. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पिछले साल सितंबर में ही पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी चुनौती

हाईकोर्ट के जस्टिस विनय जी जोशी और जस्टिस वाल्मीकि एसए मेनेजेस की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि वे सभी आरोपियों को बरी कर रहे हैं, क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर सका है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपियों के खिलाफ UAPA के कड़े प्रावधानों के तहत केस चलाने के लिए बाद में ली गई मंजूरी को भी खारिज कर दिया है. हालांकि अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाने की मांग नहीं की है, लेकिन उसने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का इरादा जाहिर किया है. 

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अक्टूबर 2022 में भी हाईकोर्ट ने बरी किया था 

14 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की एक और बेंच ने भी साईबाबा को न सिर्फ बरी कर दिया था, बल्कि उनके खिलाफ यूएपीए के तहत मंजूरी लिए बिना चलाए गए ट्रायल को भी निरस्त कर दिया था. महाराष्ट्र सरकार ने उसी दिन इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाते हुए साईबाबा की तरफ से दायर अपील पर हाईकोर्ट की अलग बेंच द्वारा नए सिरे से सुनवाई किए जाने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश का पालन करते हुए हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में जस्टिस विनय जी जोशी और जस्टिस वाल्मीकि एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने दोबारा मामले की सुनवाई की जो, पिछले साल सितंबर में पूरी हो गई.

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साईबाबा 2014 से कैद में, एक आरोपी की जेल में मौत 

54 साल के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर से उठ नहीं सकते हैं. उन्हें 2014 से गिरफ्तार करके नागपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है. 2017 में महाराष्ट्र के गढचिरौली जिले की सेशन कोर्ट ने साईबाबा और 6 अन्य आरोपियों को माओवादियों से संबंध रखने और देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप में सजा सुनाई थी. अदालत ने जिन सात आरोपियों को बरी किया है, उनके नाम हैं - जीएन साईबाबा, महेश तिर्की, हेम मिश्रा, नारायण सांगलीकर, पांडु नरोटे, प्रशांत राही और विजय तिर्की. इनमें विजय तिर्की को 10 साल की कैद की सजा दी गई थी, जबकि बाकी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. पांडु नरोटे की पिछले साल स्वाइन फ्लू का इंफेक्शन होने के बाद जेल में ही मौत हो चुकी है. ट्रायल कोर्ट ने इन आरोपियों को यूएपीए और आईपीसी के कई प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया था. लेकिन हाईकोर्ट ने उस फैसले को गलत मानते हुए इन सभी को बरी कर दिया है. 

Supreme Court Bombay High Court