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Census 2027: एक आदमी की गिनती पर 102 रुपये खर्च करेगी सरकार, 2027 की जनगणना के लिए 14,619 करोड़ की डिमांड

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने 2027 की जनगणना के लिए सरकार से करीब 14,619 करोड़ रुपये की डिमांड की है. यानी इस बार हर नागरिक की गिनती पर औसतन 102 रुपये खर्च होने की अनुमान है.

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने 2027 की जनगणना के लिए सरकार से करीब 14,619 करोड़ रुपये की डिमांड की है. यानी इस बार हर नागरिक की गिनती पर औसतन 102 रुपये खर्च होने की अनुमान है.

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FE Hindi Desk
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Census Express file photo

इस जनगणना में 35 लाख से ज्यादा गिनती करने वाले कर्मचारी और सुपरवाइजर्स लगाए जाएंगे, जो 2011 की तुलना में 30% ज्यादा है. (Image: IE File)

Census 2027: भारत में 2027 की जनगणना को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने 2027 में होने वाली डिजिटल जनगणना (Digital Census) के लिए सरकार से करीब 14,619 करोड़ रुपये की डिमांड की है. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. गृह मंत्रालय के तहत आने वाला RGI इस बजट प्रस्ताव को फाइनेंस मिनिस्ट्री की एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (Expenditure Finance Committee - EFC) के पास भेज चुका है. EFC, वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली वह समिति है, जो सरकारी योजनाओं और प्रोजेक्ट्स की जांच-पड़ताल करती है. EFC की मंजूरी के बाद गृह मंत्रालय इसे कैबिनेट के सामने रखेगा. 2027 की जनगणना की खास बात यह है कि इसमें पहली बार जाति आधारित डेटा भी कलेक्ट किया जाना है.

जनगणना के दोनों फेज में बजट का होगा इस्तेमाल

रिपोर्ट के मुताबिक यह बजट जनगणना के दोनों फेज के लिए मांगा गया है. पहला फेज हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन होगा, जो अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा. इसमें घरों की स्थिति, सुविधाओं और परिवार के पास मौजूद संसाधनों की जानकारी ली जाएगी. दूसरा फेज जनगणना गिनती का होगा, जो फरवरी 2027 में पूरे देश में होगी. हालांकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड में इसे सितंबर 2026 में ही कर लिया जाएगा.

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सिटिजन खुद भी भर सकेंगे डिटेल

सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि देश में पहली बार जनगणना 2027 पूरी तरह डिजिटल होगी. इसके लिए खास मोबाइल ऐप तैयार किया जा रहा है, जिसके माध्यम से आंकड़े सीधे एकत्र किए जाएंगे. जनता को अपनी जानकारी खुद भरने (self-enumeration) का विकल्प भी मिलेगा, और जाति संबंधी आंकड़े भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से रिकॉर्ड किए जाएंगे. 30 अप्रैल को राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCPA) ने जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का फैसला किया था.

निगरानी के लिए तैयारियों में जुटा है RGI

इसके अलावा, रजिस्ट्रार जनरल RGI इस पूरी प्रक्रिया की रियल टाइम मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट के लिए एक सेंसस मॉनिटरिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (Census Monitoring & Management System - CMMS) नाम की एक वेबसाइट भी तैयार कर रहा है. जनगणना के लिए इस बार 35 लाख से अधिक गणनाकार और पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे, जो 2011 में तैनात किए गए 27 लाख कर्मचारियों से करीब 30% ज्यादा हैं.

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क्यों खास है 2027 की जनगणना?

केंद्र ने 16 जून को 2027 की जनगणना कराने की अपनी योजना की घोषणा की थी. यह पहली बार होगा कि दशकीय जनगणना में छह साल की देरी हुई है. दिसंबर 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021 में जनगणना कराने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का प्रस्ताव मंज़ूर किया था. उस समय 2021 की जनगणना को दो चरणों में कराने की योजना थी. अप्रैल से सितंबर 2020 तक मकान सूचीकरण और 9 से 28 फरवरी 2021 तक जनसंख्या गणना लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टालना पड़ा.

दशकीय जनगणना भारत में 1872 से लगातार हो रही है. 2027 की जनगणना कुल मिलाकर 16वीं दशकीय जनगणना होगी और आज़ादी के बाद यह आठवीं होगी. इस दौरान गांव, कस्बे और वार्ड स्तर पर जनसंख्या से जुड़ी कई जानकारियां जुटाई जाएंगी, जैसे आवास की स्थिति, सुविधाएं, संपत्ति, धर्म, अनुसूचित जाति और जनजाति, भाषा, साक्षरता और शिक्षा, आर्थिक गतिविधियां, प्रवास और प्रजनन दर.

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