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ECI advisory: चुनाव प्रचार में न हो बच्चों का इस्तेमाल, राजनीतिक दलों को इलेक्शन कमीशन की हिदायत

ECI advisory to political parties: केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को हिदायत दी है कि वे चुनाव प्रचार या इलेक्शन से जुड़ी प्रक्रिया के किसी भी काम में बच्चों का इस्तेमाल न करें.

ECI advisory to political parties: केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को हिदायत दी है कि वे चुनाव प्रचार या इलेक्शन से जुड़ी प्रक्रिया के किसी भी काम में बच्चों का इस्तेमाल न करें.

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FE Hindi Desk
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ECI to political parties: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को निर्देश दिया है कि वे चुनाव प्रचार या इलेक्शन से जुड़े किसी भी काम में बच्चों का इस्तेमाल न करें. (File Photo: Indian Express)

EC Election Commission cautions against use of children in electoral process: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है, जिसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार समेत निर्वाचन की प्रक्रिया से जुड़े किसी भी काम में बच्चों का इस्तेमाल नहीं करने की हिदायत दी गई है. इस बारे में राजनीतिक दलों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी रूप में बच्चों के इस्तेमाल के बारे में आयोग ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अमल करेगा. देश में अगले लोकसभा चुनाव (Election 2024) इसी साल अप्रैल-मई में होने हैं. 

चुनाव से जुड़ी किसी भी गतिविधि में बच्चों के इस्तेमाल पर रोक

आयोग की तरफ से भेजे गए आदेश में कहा गया है कि राजनीतिक दलों, नेताओं और उम्मीदवार चुनाव प्रचार से जुड़ी गतिविधियों में किसी भी तरह से बच्चों का इस्तेमाल नहीं करें. इन गतिविधियों में किसी बच्चे को गोद में उठाना, गाड़ी या रैलियों में बच्चों को लेकर जाना, पोस्टर-पर्चे बांटने या नारे लगाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल करना भी शामिल है. आयोग ने कहा कि यह पाबंदी किसी भी रूप में राजनीतिक अभियान से मिलती-जुलती गतिविधियों, जैसे कविताओं, गानों और राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न के साथ बच्चों को दिखाने पर भी लागू होगी. 

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दलों, उम्मीदवारों को बाल श्रम से जुड़े कानून याद दिलाए

चुनाव आयोग ने यह भी साफ किया है कि अगर कोई बच्चा अपने पेरेंट्स या गार्जियन के साथ किसी राजनेता के करीब नजर आता है, लेकिन चुनाव प्रचार में किसी तरह से शामिल नहीं है, तो उसे दिशा-निर्देश का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (child labour) से जुड़े कानूनों की याद दिलाते हुए उनका कड़ाई से पालन करने की हिदायत भी दी है. आयोग ने यह भी याद दिलाया है कि 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कहा था कि राजनीतिक दलों को चुनाव से जुड़ी गतिविधियों में नाबालिग बच्चों को शामिल होने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. इससे कुछ ही दिन पहले चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को निर्देश दे चुका है कि वे शारीरिक डिसेबिलिटी से पीड़ित लोगों (Persons with Disabilities - PwDs) का जिक्र करते समय सम्मानजनक ढंग से बात करें. 

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चुनावी मशीनरी को भी नियमों के पालन की हिदायत 

एक अलग निर्देश में आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों समेत पूरी चुनावी मशीनरी को हिदायत दी है कि चुनाव प्रक्रिया से जुड़े कामों में किसी भी स्तर पर बाल-श्रम का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. आयोग ने इससे जुड़े कानूनों और नियमों के पालन की जिम्मेदारी जिला चुनाव अधिकारी और रिटर्निंग ऑफिसर्स को सौंपी है. आयोग ने चेतावनी दी है कि अगर किसी अधिकारी के अधिकार-क्षेत्र में नियमों का उल्लंघन पाया गया, तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. 

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