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इसी दौरान, 13.33 लाख नए युवा मतदाता जिन्होंने 18 साल की उम्र पूरी कर ली है, उन्होंने भी नाम जुड़वाने के लिए फार्म जमा किए हैं. (Image: IE File)
Bihar Voter List Revision: बिहार में मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और अब 1 सितंबर तक क्लेम और आपत्तियां दर्ज कराने की आखिरी तारीख है. चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ड्राफ्ट लिस्ट से हटाए गए करीब 65 लाख मतदाताओं में से अब तक सिर्फ 29,872 लोगों ने अपने नाम दोबारा शामिल करने के लिए आवेदन किया है. इस दौरान, 13.33 लाख नए मतदाताओं, जिन्होंने 18 साल की उम्र पूरी कर ली है या उससे ऊपर के लोगों, ने भी अपना नाम पहली बार वोटर लिस्ट में जुड़वाने के लिए डायरेक्ट फार्म 6 जमा किए हैं.
दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का कल तक मौका
चुनाव आयोग ने 24 जून को जारी आदेश में कहा था कि बिहार के सभी 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं को 25 जुलाई तक एन्युमरेशन फार्म भरना जरूरी था. इसके आधार पर 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट जारी की गई, जिसमें मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई. ड्राफ्ट से जिन 65 लाख नामों को हटाया गया, उन्हें मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, लापता या एक से अधिक जगह पर नाम दर्ज होने होने की वजह से हटाया गया. अगर किसी का नाम गलत तरीके से छूट गया है या कोई अपात्र नाम लिस्ट में रह गया है, तो उसके लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का समय रखा गया है.
राजनीतिक दलों ने दर्ज कराई 103 आपत्तियां
शनिवार को चुनाव आयोग ने पहली बार अलग-अलग आंकड़े जारी किए. अब तक 29,872 दावे (नाम जोड़ने के लिए) और 1,97,764 आपत्तियां (नाम हटाने के लिए) मिली हैं. चुनाव आयोग की गाइड लाइन के मुताबिक तय 7 दिन की अवधि में इनमें से 33,771 मामलों का निपटारा भी हो चुका है. राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों ने कुल 103 आपत्तियां और 25 दावे दर्ज कराए हैं.
13.33 लाख नए मतदाताओं ने नाम जुड़वाने के लिए किया आवेदन
नए मतदाताओं से आए 13.33 लाख फॉर्मों में से करीब 61,248 फॉर्म निपटाए जा चुके हैं. दावे-आपत्तियों की आखिरी तारीख 1 सितंबर है, लेकिन संबंधित अधिकारी 25 सितंबर तक इन पर निर्णय ले सकते हैं. बिहार की फाइनल वोटर लिस्ट 30 सितंबर को जारी होगी.
आयोग ने यह भी कहा है कि 2003 के बाद जिनका नाम वोटर लिस्ट में जुड़ा है, उन्हें जन्मतिथि या जन्मस्थान का सबूत देना होगा. वहीं, 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता का भी जन्म प्रमाण या नागरिकता संबंधी दस्तावेज़ दिखाना जरूरी है. यह नियम नागरिकता कानून, 1955 के अनुरूप है. पहले तक केवल सेल्फ डिक्लेरेशन (self-declaration) पर्याप्त होती थी, जिसमें नागरिक होने का दावा करना ही काफी था. इस नए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी.