/financial-express-hindi/media/media_files/In84tfk2ucI8Jb6hcIo7.jpg)
Electoral bond case: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने मोदी सरकार के लाए चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करते हुए उस पर रोक लगा दी है. विपक्ष इस मसले को लेकर मोदी सरकार पर लगातार तीखे हमले कर रहा है. (Photo : PTI/Video grab)
SBI submits complete details of electoral bonds including unique numbers to ECI: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी केंद्रीय चुनाव आयोग को दे दी है. एसबीआई ने चुनाव आयोग को इस बार जो आंकड़े दिए हैं, उसमें इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनीक अल्फान्यूमरिक नंबर (Unique Alphanumeric Numbers) भी शामिल हैं, जो उसने पिछली बार मुहैया नहीं कराने पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार झेली थी. अपनी उस गलती को सुधारने के बाद स्टेट बैंक ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दायर किया, जिसमें कहा है कि एसबीआई ने देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश का पूरी तरह से पालन किया है. माना जा रहा है कि चुनावी बॉन्ड के अल्फा-न्यूमरिक नंबर जारी होने के बाद यह पता चल जाएगा कि चुनावी बॉन्ड के जरिए किस डोनर ने, किसी राजनीतिक पार्टी को कब और कितना चंदा दिया है. देश में अगले लोकसभा आमचुनाव (General Election 2024) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में राजनीतिक चंदे का मुद्दा राजनीतिक घमासान का बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
SBI ने कड़ी फटकार के बाद माना आदेश
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी का पूरी तरह खुलासा नहीं करने पर एसबीआई को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में बैंक सेलेक्टिव रवैया नहीं अपना सकता और उसे चुनावी बॉन्ड की सभी ‘‘संभावित’’ जानकारियों का खुलासा करना पड़ेगा. इसमें वो यूनीक बॉन्ड नंबर भी शामिल हैं जिनसे चंदा देने वाले और बॉन्ड हासिल करने वाले राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा. सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई चेयरमैन को चुनावी बॉन्ड से जुड़े सभी विवरण मुहैया कराने के बाद हलफनामा दाखिल करके आदेश के पालन की जानकारी देने के लिए गुरुवार, 21 मार्च 2024 को शाम 5 बजे तक का समय दिया था.
सुरक्षा कारणों से नहीं सौंपे दलों, बॉन्ड खरीदारों के KYC
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया है कि बैंक ने इस बार चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड की रकम के साथ ही उसका स्पेसिफिक अल्फा-न्यूमरिक नंबर भी सौंप दिया है. हालांकि इसके साथ ही एसबीआई ने यह भी कहा है कि उसने राजनीतिक दलों और चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के KYC डिटेल की जानकारी नहीं दी है, क्योंकि इससे संबंधित पक्षों की सिक्योरिटी को खतरा हो सकता है. हलफनामे के मुताबिक बैंक द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में बॉन्ड को एनकैश करने यानी भुनाए जाने की तारीख, राजनीतिक पार्टी का नाम, बॉन्ड का यूनीक नंबर, बॉन्ड की रकम, बैंक खाते के आखिरी चार नंबर और पेमेंट ब्रांच कोड शामिल हैं. इसके अलावा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले का नाम, उसका URN नंबर, जर्नल की तारीख, बॉन्ड खरीदने की तारीख, एक्सपायरी डेट, बॉन्ड जारी करने वाली ब्रांच के कोड और स्टेटस की सूचना भी चुनाव आयोग को सौंपी गई है.
15 फरवरी को आया था एतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को सुनाए गए एतिहासिक फैसले में मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए रद्द कर दिया था. इसके साथ ही कोर्ट ने बॉन्ड जारी करने वाले एसबीआई (SBI) को निर्देश दिया था कि वो बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए. इसी आदेश के मुताबिक चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड का तमाम ब्योरा 13 मार्च तक सार्वजनिक करना था. लेकिन SBI ने दी गई डेडलाइन तक निर्देश का पालन करने की जगह कोर्ट से 30 जून 2024 तक का समय मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने SBI की यह अर्जी खारिज करते हुए उसे कड़ी फटकार लगाई और अवमानना की कार्रवाई करने की चेतावनी दी. इसके बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड से जुड़े कुछ आंकड़े अगले ही दिन चुनाव आयोग को सौंप दिए. लेकिन तब भी बॉन्ड के यूनीक नंबर नहीं दिए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को जब फिर से डांट लगाई, तब जाकर आदेश का पालन हुआ है.