scorecardresearch

Gudi Padwa 2024: महाराष्ट में आज गुड़ी पड़वा तो इन राज्यों में मनाया जा रहा है उगादी, जानिए क्या है महत्व?

Gudi Padwa: गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में नए साल या फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. चैत्र महीने के पहले दिन यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत में मराठी और कोंकणी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है.

Gudi Padwa: गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में नए साल या फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. चैत्र महीने के पहले दिन यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत में मराठी और कोंकणी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है.

author-image
FE Hindi Desk
New Update
gudi-padwa

गुड़ी पड़वा दो शब्दों से बना है: 'गुड़ी' और 'पड़वा' जहां 'गुड़ी' का अर्थ हिंदू भगवान ब्रह्मा का ध्वज या प्रतीक है, और 'पड़वा' चंद्रमा के चरण के पहले दिन को संदर्भित करता है. (Designed by Rajan Sharma, IE)

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में नए साल या फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. चैत्र महीने के पहले दिन यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत में मराठी और कोंकणी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. गुड़ी पड़वा दो शब्दों से बना है- 'गुड़ी' और 'पड़वा'. गुड़ी शब्द का अर्थ जहां विजय पताका और पड़वा का प्रतिपदा से है. मान्यता ये भी है कि 'गुड़ी' हिंदू भगवान ब्रह्मा का ध्वज या प्रतीक है और 'पड़वा' चंद्रमा के चरण के पहले दिन को संदर्भित करता है. गुड़ी पड़वा को मराठी में गुढी पाडवा कहा जाता है.

महाराष्ट में आज गुड़ी पड़वा तो इन राज्यों में मनाया जा रहा है उगादी

महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों में हिंदू नववर्ष को नव-सवंत्सर कहा जाता है तो राज्य के कुछ इलाकों में लोग इसे गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2024) के रूप में मनाते हैं. दक्षिणी राज्यों में इसे उगादी (Ugadi 2024) कहते हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भी यह पर्व नए साल का प्रतीक है. इस साल मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को देशभर में खासकर महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. प्रतिपदा तिथि की शुरुआत इस साल 08 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो चुकी है जो अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगी.

Advertisment

Also Read : Chaitra Navratri 2024: शैल पुत्री की पूजा के साथ चैत्र नवरात्र आज से शुरू, अगले 9 दिन चलेंगे व्रत, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत हर डिटेल

गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा को लेकर कई मान्यताएं हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने गुड़ी पड़वा के दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया और दिनों, हफ्तों, महीनों और वर्षों की शुरुआत की. कुछ लोग इसे वह दिन भी मानते हैं जब राजा शालिवाहन ने अपनी जीत का जश्न मनाया था और लोगों ने उनके पैठन लौटने पर झंडा फहराया था. 'गुड़ी' को बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि गुड़ी पड़वा का त्योहार विधि-विधान के साथ मनाने से घर में सुख और समृद्धि आती है. घर के आसपास की निगेटिव एनर्जी पूरी तरह से खत्म हो जाती है. 

इस बार 9 अप्रैल 2024 को गुड़ी पड़वा का त्योहार है. मंगलवार की सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद लोगों ने अपने-अपने घरों में सुंदर-सुंदर गुड़ी लगाकर और उसकी पूजा किए. इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर हो जाती है. इस दिन खास तरह के व्यंजन जैसे की श्रीखंड, पूरनपोली, खीर आदि बनाई गई.

Also Read : Old vs New Tax Regime: पेंशन है कमाई का जरिया तो कौन सा टैक्‍स सिस्‍टम बेहतर, एक एक स्‍लैब और फायदा नुकसान देख लें

गुड़ी पड़वा एक वसंत त्योहार है जिसे गुड़ी नामक रंग-बिरंगे डंडों को खड़ा करने के साथ-साथ घरों के बाहर सुंदर रंगोली बनाकर मनाया जाता है, जिन्हें जीत और शुभता का प्रतीक माना जाता है. इस दिन, लोग पारंपरिक मिठाइयों का आनंद लेने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए एक साथ आते हैं. इस दिन घरों को सजाया जाता है और उत्सव के साथ इस त्योहार को मनाते हैं. गुड़ी पड़वा का त्यौहार परिवारों के लिए एक साथ आने, अपने घरों को साफ करने और उन्हें फूलों और रंगोली से सजाने का एक अवसर है. यह लोगों के लिए नए कपड़े पहनने, विशेष व्यंजन तैयार करने और अपने प्रियजनों के साथ मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करने का भी समय है.

उगादी पर्व का महत्व

चैत्र महीने के पहले दिन दक्षिण भारत में हिंदू नववर्ष के रूप में उगादी पर्व मनाया जाता है. ये दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व है. यह पर्व बसंत आगमन के साथ ही किसानों के लिए नई फसल के आगमन का भी अवसर होता है. उगादी के दिन सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है. यह पर्व प्रकृति के बहुत करीब लेकर आता है और इस दिन पच्चड़ी नाम का पेय पदार्थ बनाया जाता है जो काफी सेहतमंद होता है. इस शुभ दिन दक्षिण भारत में लोग नये व्यापार की शुरूआत, गृहप्रवेश जैसे नए काम का शुभारंभ भी करते हैं. दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व उगादी को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. ब्रह्मपुराण के अनुसार वैसे तो शिवजी ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था कि उनकी पूजा धरती पर नहीं की जाएगी. लेकिन आंध्रप्रदेश में उगादी के शुभ पर्व पर चतुरानन की पूजा की जाती है. कहावत है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने दुनिया की रचना की थी. उगादी को लेकर कई मान्यताएं हैं. दूसरी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. कहा जाता है कि भगवान राम और राजा युधिष्ठिर का इस दिन राज्याभिषेक हुआ था. इसके साथ ही सम्राट विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी. 

Navratri Festival