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Saving Income Tax: नई रिजीम में भी बचा सकते हैं इनकम टैक्स, नौकरीपेशा लोगों को इन डिडक्शन का मिलेगा फायदा

Saving Income Tax in New Regime: नई इनकम टैक्स रिजीम में ज्यादातर टैक्स छूटों का फायदा नहीं मिलता, लेकिन दो डिडक्शन ऐसे हैं, जिनका लाभ सैलरी पाने वाले लोग न्यू रिजीम में भी ले सकते हैं.

Saving Income Tax in New Regime: नई इनकम टैक्स रिजीम में ज्यादातर टैक्स छूटों का फायदा नहीं मिलता, लेकिन दो डिडक्शन ऐसे हैं, जिनका लाभ सैलरी पाने वाले लोग न्यू रिजीम में भी ले सकते हैं.

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Viplav Rahi
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How to Save Income Tax in New Regime: कुछ ऐसे डिडक्शन मौजूद हैं, जिनका लाभ नौकरीपेशा कर्मचारी नई इनकम टैक्स रिजीम में भी ले सकते हैं. (Image : Pixabay)

How to Save Income Tax in New Tax Regime: नई इनकम टैक्स रिजीम में ज्यादातर टैक्स एग्जम्पशन और डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता. इसके एवज में सरकार ने न्यू इनकम टैक्स रिजीम अपनाने वालों की 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी को टैक्स फ्री करके उसे आकर्षक बनाने की कोशिश की है. इसके अलावा कुछ ऐसे डिडक्शन हैं, जिनका लाभ सैलरी पर काम करने वाले नौकरीपेशा कर्मचारियों को नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में भी मिल सकता है. दरअसल 2023 के बजट में सरकार ने पुरानी टैक्स रिजीम (Old Income Tax Regime) में तो कोई अहम बदलाव नहीं किया, लेकिन न्यू टैक्स रिजीम को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए 2023 के बजट में सरकार ने इसमें कुछ फायदे बढ़ा दिए, जो 1 अप्रैल 2023 से लागू हैं. इनका लाभ आप मौजूदा वित्त वर्ष (2023-24) में ले सकते हैं.

 स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ 

वेतनभोगी कर्मचारियों को पुरानी टैक्स रिजीम में 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) का लाभ पहले से मिलता आ रहा है. लेकिन 1 अप्रैल 2023 से यह लाभ न्यू टैक्स रिजीम में भी मिलने लगा है. इसका मतलब ये है कि अगर आपका सालाना टैक्सेबल वेतन 7 लाख 50 हजार रुपये है, तो भी आपको कोई टैक्स नहीं भरना पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि 7 लाख रुपये तक का सालाना वेतन तो नई टैक्स रिजीम में पहले से ही टैक्स फ्री है. इसमें 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ जोड़ दें तो यह रकम 7.5 लाख रुपये हो जाती है. इनकम टैक्स रिटर्न या ITR भरते समय स्टैंडर्ड डिडक्शन को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 16(ia) के तहत वेतन/पेंशन से होने वाली आय (Income from salaries/pension) के हेड में क्लेम किया जाता है. 

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स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनर्स के अलावा फैमिली पेंशन पाने वालों को भी मिलता है. लेकिन कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए जहां स्टैंडर्ड डिडक्शन की रकम 50 हजार रुपये है, वहीं फैमिली पेंशन पाने वालों के लिए यह अमाउंट सिर्फ 15 हजार रुपये है. फेमिली पेंशन को आईटीआर में “अन्य स्रोतों से आय” (Income from other sources) के हेड में रखा जाता है. 

NPS में जमा रकम पर डिडक्शन 

न्यू टैक्स रिजीम के तहत नौकरीपेशा कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में जमा की गई रकम पर भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिल सकता है. लेकिन इसका फायदा लेने के लिए कुछ शर्तों का पूरा होना जरूरी है. पहली शर्त है कि एनपीएस में यह रकम एंप्लॉयर द्वारा अपने कर्मचारी के टियर-1 (Tier-I) NPS अकाउंट में जमा की जानी चाहिए. दूसरे, यह राशि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के वेतन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. सरकारी कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 14 फीसदी की है. वेतन की इस परिभाषा में बेसिक सैलरी के साथ ही महंगाई भत्ता भी शामिल है. नौकरीपेशा लोग इस डिडक्शन का लाभ इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCD (2) के तहत ले सकते हैं. चूंकि यह पैसा एंप्लॉयर ही कर्मचारी के खाते में जमा करते हैं, इसलिए आम तौर पर इस डिडक्शन का लाभ लेने के लिए आपको अपने एंप्लॉयर के पास कोई प्रूफ या डॉक्युमेंट जमा करने की जरूरत नहीं पड़ती. आपके एनपीएस खाते में जमा की गई इस रकम का जिक्र आपके फॉर्म 16 के पार्ट B (Part B of Form 16) में मिलेगा.

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कितने वेतन पर नहीं देना पड़ेगा टैक्स?

यहां बताए दोनों डिडक्शन का लाभ जोड़ दें तो 7.5 लाख रुपये से ज्यादा वेतन पाने वालों को भी इनकम टैक्स देने से पूरी राहत मिल सकती है. मिसाल के तौर पर अगर किसी का सालाना वेतन 8 लाख रुपये है, तो 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को माइनस करने के बाद उसकी टैक्सेबल सैलरी 7.5 लाख रुपये रह जाएगी. अब अगर उसका एंप्लॉयर उसके टियर-1 एनपीएस एकाउंट में 50 हजार रुपये जमा कर दे, तो टैक्सेबल इनकम और घटकर 7 लाख रुपये रह जाएगी. जिस पर न्यू टैक्स रिजीम के तहत उसे कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वैसे 8 लाख रुपये का सालाना वेतन पाने वाले कर्मचारी का एंप्लॉयर उसके एनपीएस खाते में सालाना 80 हजार रुपये तक जमा कर सकता है, जिस पर सेक्शन 80CCD (2) के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.

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