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India Pakistan Tension : पाकिस्तान की खस्ताहाल इकॉनमी भारत के साथ जंग का झटका बर्दाश्त नहीं कर सकती. (AI Generated Image / ChatGPT)
War With India Will Destroy Already Fragile Pakistan Economy : इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF), चीन और अमेरिका समेत दुनिया भर से कर्ज लेकर घर चलाने वाले पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी जर्जर है कि वह किसी भी तरह की लंबी जंग का बोझ नहीं उठा सकता. ऐसे में यह सवाल उठता है कि अपनी आतंकवाद फैलाने वाली हरकतों के बाद अब भारत से टकराव को बढ़ाने में लगा पाकिस्तान क्या फुल स्केल वॉर यानी खुली जंग होने पर खुद को संभाल भी पाएगा? पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर (Operation SindooR) शुरू करने के साथ ही साथ भारत ने IMF द्वारा पाकिस्तान को लोन देने का भी विरोध किया है. जिससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. आइए जानते हैं पाकिस्तान की चरमराई इकॉनमी की 5 बड़ी कमजोरियां, जो उसे किसी भी लंबी लड़ाई में टिकने नहीं देंगी.
1. IMF के सहारे चलती अर्थव्यवस्था
सितंबर 2024 में पाकिस्तान ने IMF से 7 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज हासिल किया था. इसके बाद से देश की इकॉनमी में मामूली सुधार देखने को मिला, लेकिन अब भी हालात नाजुक हैं. IMF का ताजा आंकलन बताता है कि FY2025-26 में पाकिस्तान की ग्रोथ सिर्फ 3.1% रहेगी. जंग हुई तो ये आंकड़ा औऱ नीचे जाएगा. वैसे भी FY2022-23 में पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा -0.2% तक गिर गया था. आने वाले ट्रेंच के लिए IMF की कड़ी समीक्षा बाकी है और भारत फंड का दुरुपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किए जाने का मुद्दा उठाकर और मदद देने का विरोध कर रहा है.
2. सिर्फ 3 महीने लायक विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज 2024 में बढ़कर 130 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो चुका है, जिसमें अकेले 20% हिस्सा चीन का है. इसके मुकाबले पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 15 अरब डॉलर है, जो मुश्किल से 3 महीने का इंपोर्ट बिल चुकाने के लिए काफी है. आने वाले वित्त वर्ष में पाकिस्तान को 22 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज चुकाना है. ये आंकड़े बताे हैं कि पाकिस्तान की कमजोर माली हालत जंग होने पर उसे और भी बर्बाद कर देगी.
3. लगातार बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी
वर्ल्ड बैंक के मार्च 2025 के आकलन के मुताबिक पाकिस्तान में FY2023-24 में गरीबी दर 42.3% तक पहुंच गई है और सिर्फ एक साल में करीब 26 लाख और लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं. आर्थिक अस्थिरता, बाढ़, कोविड-19 और महंगाई जैसे फैक्टर्स ने पहल से ही पाकिस्तान की आम जनता की कमर तोड़ दी है. ऐसे में भारत से जंग का दुस्साहस पाकिस्तान के अंदरूनी हालात को और बिगाड़ सकता है.
4. इंपोर्ट के सहारे चल रही एनर्जी पॉलिसी
पाकिस्तान की एनर्जी पॉलिसी पूरी तरह इंपोर्ट की बैसाखी के सहारे चलती है. तेल और गैस के लिए इस्लामाबाद पूरी तरह से खाड़ी देशों पर निर्भर है. घरेलू प्रोडक्शन बेहद कम है, रिफाइनिंग क्षमता भी सीमित है. महंगे इंपोर्ट, सब्सिडी और बिजली चोरी की वजह से पावर सेक्टर में सर्कुलर डेब्ट लगातार बढ़ता जा रहा है. IMF भी चेतावनी दे चुका है कि ये एनर्जी क्राइसिस पाकिस्तान की विकास दर को लगातार नीचे की तरफ ले जा रही है.
5. राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर फिस्कल पॉलिसी
IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता, टैक्स चोरी, सब्सिडी की मांग और फिस्कल डिसिप्लिन की कमी उसे हर बार आर्थिक बेहतरी के रास्ते से भटका देती है. इसके अलावा खेती और उद्योगों की प्रोडक्टिविटी भी बेहद कमजोर है. देश का टैक्स बेस भी बहुत छोटा है, जिससे इस्लामाबाद में बैठी सरकारों के लिए रिसोर्स जुटाना मुश्किल हो जाता है. ये सभी वजहें पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर बना देती हैं.
कुल मिलाकर पाकिस्तान जब अपनी हर महीने की जरूरतें पूरी करने के लिए IMF के सामने झोली फैलाए लोन मांग रहा है, भारत के खिलाफ पहले तो आतंकवाद की आड़ में छद्म युद्ध छेड़ना और अब खुली लड़ाई की हिमाकत, उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकती है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था किसी भी जंग का झटका बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है. दूसरी ओर भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी इकॉनमी है और किसी भी हालात से बेहतर ढंग से निपट सकता है. इसलिए पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना अगर वाकई अपने देश की भलाई चाहते हैं, तो समझदारी इसी में है कि भारत के साथ टकराव की नहीं, अपनी नाजायज हरकतों और फटेहाल इकॉनमी, दोनों को सुधारने की राह चुनें.