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नए साल पर ISRO की शानदार शुरुआत, रेडिएशन का अध्ययन करने के लिए XPoSat लॉन्च

एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट यानी XPoSat सैटेलाइट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ के रहस्यों की स्टडी करने में मदद करेगा.

एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट यानी XPoSat सैटेलाइट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ के रहस्यों की स्टडी करने में मदद करेगा.

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Mithilesh Kumar
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इसरो के सबसे भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) से अंतरिक्ष में ले जाने वाले पेलोड में से एक को महिलाओं ने बनाया है.

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो (ISRO) ने नए साल की शानदार शुरूआत की. इसरो ने सोमवार को अपने पहले एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट यानी एक्सपोसैट (XPoSat) को लॉन्च किया. यह सैटेलाइट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा. पीएसएलवी-सी58 रॉकेट अपने 60वें मिशन पर मुख्य पेलोड XPoSat को लेकर गया और उसे पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया. बाद में वैज्ञानिकों ने पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पोअम) प्रयोग करने के लिए सैटेलाइट की कक्षा को कम कर इसकी ऊंचाई 350 किलोमीटर तक कर दी. इसरो के सबसे भरोसेमंद पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) से अंतरिक्ष में ले जाने वाले पेलोड में से एक को महिलाओं ने बनाया है, जिसके कारण भारतीय स्पेस एजेंसी ने इसे देश के लिए प्रेरणा बताया है. 

एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने मदद करेगा XPoSat : एस सोमनाथ

मिशन नियंत्रण केंद्र में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ‘‘आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं. एक जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल अभियान पूरा हुआ. पीएसएलवी-सी58 ने प्रमुख सैटेलाइट एक्सपोसैट को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया. उन्होंने कहा- इस प्वॉइंट से पीएसएलवी के चौथे चरण की कक्षा सिमटकर निचली कक्षा में बदल जाएगी जहां पीएसएलवी का ऊपरी चरण जिसे ‘पोअम’ बताया गया है वह पेलोड के साथ प्रयोग करेगा और उसमें थोड़ा वक्त लगेगा. एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा. यह, ऐसा अध्ययन करने के लिए इसरो का पहला समर्पित वैज्ञानिक सैटेलाइट है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाले कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था.

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मिशन की लाइफ 5 साल होने की उम्मीद 

अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने कहा, ‘‘यह भी बता दूं कि सैटेलाइट को जिस कक्षा में स्थापित किया गया है वह उत्कृष्ट कक्षा है. लक्षित कक्षा 650 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है और झुकाव 001 डिग्री है जो बहुत उत्कृष्ट कक्षीय स्थितियों में से एक है. दूसरी घोषणा यह है कि सैटेलाइट के सौर पैनल को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है.’’ एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र और ज्यामिति की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक ​​​​उपकरण के रूप में कार्य करता है. इस मिशन की कालावधि करीब पांच वर्ष है.

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ऐसी उम्मीद है कि एक्सपोसैट दुनियाभर के खगोल विज्ञान समुदाय को काफी लाभ पहुंचाएगा. समय और स्पेक्ट्रम विज्ञान आधारित अवलोकन की इसकी क्षमता के अलावा ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे और सक्रिय गैलेक्सीय नाभिक जैसी आकाशीय वस्तुओं के एक्स-रे ध्रुवीकरण माप के अध्ययन से उनकी भौतिकी की समझ में सुधार लाया जा सकता है. इससे पहले, पीएसएलवी रॉकेट ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया.

पीएसएलवी ने यहां पहले अंतरिक्ष तल से सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी थी. प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी. इस दौरान बड़ी संख्या में यहां आए लोगों ने जोरदार तालियां बजायीं.

अंतरिक्ष एजेंसी ने अप्रैल 2023 में पोअम-2 का इस्तेमाल कर ऐसा ही वैज्ञानिक प्रयोग किया था. मिशन निदेशक जयकुमार एम. ने कहा, ‘‘मुझे पीएसएलवी की 60वीं उड़ान की सफलता का जश्न मनाने के लिए बेहद खुशी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो चीजें इस मिशन को और दिलचस्प बनाती हैं उनमें नयी प्रौद्योगिकियां हैं जिन्हें पोअम 3 प्रयोग में दिखाया जा रहा है, हमारे पास सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा वाली बैटरी, रेडियो सैटेलाइट सेवा...है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एक पेलोड पूरी तरह से महिलाओं द्वारा बनाया सैटेलाइट है. मुझे यह लगता है कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को दिखाता है... और सभी पेलोड भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में हो रहे सुधारों को दिखाते हैं.’’

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वह केरल के तिरुवनंतपुरम में ‘एलबीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर वुमेन’ के सदस्यों द्वारा बनाए सैटेलाइट का जिक्र कर रहे थे. सोमनाथ ने कहा कि महिलाओं द्वारा निर्मित सैटेलाइट न केवल इसरो बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है. उन्होंने कहा, ‘‘वीसैट टीम ने इसरो के साथ मिलकर एक सैटेलाइट बनाया है और हम पीएसएलवी पोअम पर इसे भेजकर बहुत खुश हैं. यह न केवल इसरो बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है. जब लड़कियां विज्ञान की पढ़ाई पर अपना समय लगा रही हैं और जब वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं तो हमें उन सभी की प्रशंसा करनी चाहिए. इसलिए वीसैट टीम को बधाई.

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