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Lebanon में पेजर, रेडियो सेट और वॉकी टॉकी से हुए धमाकों ने सारी दुनिया को चौंका दिया है. (Image : PTI/AP)
Lebanon Pager, Radio Blasts: लेबनान में हजारों पेजर, वॉकी टॉकी और रेडियो सेट जगह-जगह बमों की तरह फट पड़े. कुछ जगहों पर सोलर पैनल को भी बम की तरह इस्तेमाल करके विस्फोट कराए जाने की खबरें भी आई हैं. अंदेशा है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह को निशाना बनाने के इरादे से इस कार्रवाई को अंजाम दिया है. फिलहाल इन हमलों के निशाने पर भले ही हिजबुल्लाह और लेबनान के आम लोग हों, लेकिन पेजर और रेडियो उपकरणों का बमों की तरह इस्तेमाल किया जाना, पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है. ये धमाके दिखाते हैं कि तकनीक का हिंसक इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है.
कैसे कराए गए विस्फोट?
हालांकि इन धमाकों के बारे में पक्के तौर पर कोई दावा नहीं किया जा सकता, लेकिन अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक बमों की तरह फटने वाले उपकरणों में निर्माण के दौरान या उनकी सप्लाई चेन में घुसपैठ करके विस्फोटक डाले गए थे. बाद में दूर से सिग्नल भेजकर विस्फोट कराया गया. बताया जा रहा है कि इन उपकरणों में PETN विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया है. एक अनुमान के मुताबिक ऐसे कम से कम 5,000 पेजर तैयार किए गए थे.
क्या है लेबनान के धमाकों का संदेश
कुल मिलाकर लेबनान के पेजर और रेडियो धमाकों का संदेश यह है कि हमलावर घर-घर में फैले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बड़ी खामोशी से विस्फोटक बमों में बदल सकते हैं और जब चाहें धमाका कर सकते हैं. कुछ जानकारों का तो कहना है कि कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खतरनाक हो सकता है. स्मार्टफोन, लैपटॉप जैसे उपकरणों के जरिये भी ऐसे हमले किए जा सकते हैं. डराने वाली बात ये है कि आपके घर में रखे ऐसे उपकरण कब घातक हथियारों में तब्दील हो जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा. चिंता की बात यह भी है कि कई बार हमें ठीक से पता नहीं होता कि हमारे मोबाइल कहां बन रहे हैं, उनमें किस तरह का मालवेयर या स्पाइवेयर पहले से मौजूद है. भारत समेत सभी देशों को इस घटना से सबक लेकर अपने सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करना होगा. ताकि इस तरह के छिपे हुए हमलों को रोका जा सके.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई
पेजर, वॉकी टॉकी और रेडियो को बमों में बदलकर किए गए हमलों की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया सकते हैं कि इस मसले पर विचार करने के लिए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई है. 15 सदस्यों वाली इस परिषद की बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि हिज़बुल्लाह को निशाना बनाने के लिए किए गए पेजर और रेडियो ब्लास्ट, लेबनान में तनाव को गंभीर रूप से बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा है कि इस स्थिति को और खराब होने से रोकने के लिए सभी पक्षों को हरसंभव प्रयास करने चाहिए. गुटेरेस ने कहा कि इन उपकरणों को बम की तरह इस्तेमाल करने का मकसद किसी बड़े फौजी ऑपरेशन से पहले रणनीतिक कार्रवाई करना भी हो सकता है. उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि पेजर और रेडियो जैसी आम नागरिकों के काम में आने वाली चीजों को हथियारों की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उनके प्रवक्ता स्टेफान दुजारिक ने कहा कि गुटेरेस ने सभी संबंधित पक्षों से अपील की है कि वे संयम बरतें ताकि तनाव और न बढ़े.
भारत के लिए भी चिंता की बात
ये हमले पूरी दुनिया के सामने एक नए खतरे की तरह सामने आए हैं. इस तरह की घटनाएं भारत समेत बाकी देशों के लिए भी बड़ी चेतावनी हैं, क्योंकि इससे पता चलता है कि हमलावर टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किस कदर खतरनाक हो चुका है. भारत में भी संचार उपकरणों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है, जिन्हें हम अब तक विकास का पैमाना भी मानते रहे हैं. लेकिन अब अचानक ही उनके साथ संभावित खतरे जुड़ गए है. जिन्हें देखते हुए टेक्नोलॉजिकल डिवाइसेज यानी तकनीकी उपकरणों के खतरनाक इस्तेमाल से निपटने के लिए पहल किया जाना जरूरी हो गया है.
क्या हो सकते हैं सुरक्षा उपाय
- सभी कम्युनिकेशन डिवाइसेज के इंपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन की निगरानी होनी चाहिए ताकि उनमें किसी तरह के छेड़छाड और दुरुपयोग को रोका जा सके.
- सुरक्षा एजेंसियों को तकनीकी उपकरणों के खतरनाक इस्तेमाल से जुड़ी नई आशंकाओं और खतरों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.
- लोगों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संभावित खतरों के बारे में बताना जरूरी है. अपने डिवाइस में किसी भी असामान्य गतिविधि पर ध्यान देना चाहिए.
- लेबनॉन की घटनाएं दुनिया भर में सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. आज के दौर में, टेक्नॉलजी के दुरुपयोग का असर सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं है. इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता है. इसलिए, सभी देशों को मिलकर सुरक्षा और तकनीकी विकास के बीच संतुलन बनाना होगा और एक साझा निगरानी नेटवर्क बनाने कै लिए काम करना होगा.