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मकर संक्रांति के दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं, जिससे ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाता है. (Image: Express)
Makar Sankranti 2024 Kab Hai: नए साल में त्योहारों की शुरूआत मकर संक्रांति के साथ होती है. उत्तर भारत में खिचड़ी, महाराष्ट्र में ताल गुल, दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से जाना जाने वाला यह त्योहार अपने आप में कई महत्व समेटे हुए है. कड़ाके की ठंड के बीच मकर संक्रांति पर्व का लोगों के बेसब्री से होता है क्योंकि इस दिन से ही सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जिसके चलते उनके ताप में वृद्दि होती है और इस कारण गर्मी बढ़ती है और लोगों को भयंकर सर्दी से निजात मिलती है और यही नहीं इसी के साथ ही खरमास का महीना भी खत्म होता है और शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं.
मकर संक्रांति मानने के पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण?
धार्मिक मान्यता के अलावा मकर संक्रांति मनाने का वैज्ञानिक कारण भी है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं, जिससे ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाता है. इस बार यह घटना 15 जनवरी को होगी और इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में करवट लेंगे और उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी. शरद ऋतु धीरे-धीरे समाप्त होती है और बसंत का आगमन होता है. धीरे-धीरे सूरज की किरणें सीधी पढ़ने से मौसम में गर्माहट आती है, जिससे ठंड की ठिठुरन समाप्त हो जाती है. फसलों में विकास तेज होने लगता है.
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मकर संक्रांति का क्या है धार्मिक महत्व
मान्यता है कि भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव शनिदेव के पिता हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जहां के एक महीने तक रहते हैं. शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. इस तरह से मकर संक्रांति पिता और पुत्र के मिलन के रूप में देखा जाता है.
इस साल मकर संक्रांति मनाने की तारीख को लेकर लोगों के मन में आसमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ पंचांग में मकर संक्रांति 14 जनवरी तो वहीं कुछ में 15 जनवरी को बताया गया है. मान्यता है कि जब सूर्य एक से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं.
कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति
इस बार भगवान भास्कर 15 जनवरी की भोर में मकर राशि में करवट लेंगे. ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा. इस दिन प्रातःकाल स्नान और दान का महत्व अधिक रहता है और इसके लिए तड़के का समय ही उत्तम रहता है.
मकर संक्रान्ति के दिन स्नान का पुण्यकाल
इस बार भगवान भास्कर 14 जनवरी को देर रात यानी 15 जनवरी को तड़के 2 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से मकर में जाएंगे और इस वजह से त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा, मकर संक्रांति वाले दिन स्नान का पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह 07:15 बजे से रात 6: 21 बजे तक रहेगा. मकर संक्रान्ति का महा पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 17 मिनट से 9 बजकर 4 मिनट रहेगा. उसी दिन सुबह 9:06 बजे से सुबह 10:04 बजे तक लाभ-उन्नति मुहूर्त रहेगा.