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इस बार भगवान भास्कर 15 जनवरी की भोर में मकर राशि में करवट लेंगे. ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा.
Makar Sankranti 2024 (मकर संक्रांति 2024):मकर संक्रांति का पर्व भगवान भास्कर यानी सूर्य भगवान के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है. उत्तर भारत में लोग इस पर्व को खिचड़ी, महाराष्ट्र में ताल गुल, दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से मनाते है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्नान दान और भगवान सूर्य की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. हर साल लोगों द्वारा मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व और उसके महत्व के बारे में आइए जानते हैं..
मकर संक्रांति पर्व मनाने के पीछे धार्मिक मान्यता
पौराणिक को लेकर लोगों के बीच कई मान्यताएं हैं. मान्यता है कि भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव शनिदेव के पिता हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जहां के एक महीने तक रहते हैं. शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. इस तरह से मकर संक्रांति पिता और पुत्र के मिलन के रूप में देखा जाता है.
अन्य मान्यता के अनुसार, पृथ्वी लोक असुरों के आतंक से परेशान हो गया था. ऐसे में भगवान विष्णु ने सभी असुरों का संहार करके उनके सिरों को काटकर मंदरा नामक पर्वत में गाड़ दिया था. इसी के कारण मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.
मकर संक्रांति मानने के पीछे वैज्ञानिक कारण
धार्मिक मान्यता के अलावा मकर संक्रांति मनाने का वैज्ञानिक कारण भी है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं, जिससे ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाता है. इस बार यह घटना 15 जनवरी को होगी और इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में करवट लेंगे और उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी. शरद ऋतु धीरे-धीरे समाप्त होती है और बसंत का आगमन होता है. धीरे-धीरे सूरज की किरणें सीधी पढ़ने से मौसम में गर्माहट आती है, जिससे ठंड की ठिठुरन समाप्त हो जाती है. फसलों में विकास तेज होने लगता है.
मकर संक्रांति 2024 महत्व
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. इसके साथ ही इस दिन से खरमास समाप्त हो जाते हैं और मांगलिक और शुभ काम एक बार फिर से शुरू हो जाते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के साथ-साथ दान करना लाभकारी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, चावल आदि का दान करना लाभकारी माना जाता है. इस दिन इन चीजों को दान करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. मकर संक्रांति के दिन पोंगल, उत्तरायण, माघ बिहु जैसे कई नामों से जाना जाता है.
कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति
इस साल मकर संक्रांति मनाने की तारीख को लेकर लोगों के मन में आसमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ पंचांग में मकर संक्रांति 14 जनवरी तो वहीं कुछ में 15 जनवरी को बताया गया है. मान्यता है कि जब सूर्य एक से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं. इस बार भगवान भास्कर 15 जनवरी की भोर में मकर राशि में करवट लेंगे. ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा. इस दिन प्रातःकाल स्नान और दान का महत्व अधिक रहता है और इसके लिए तड़के का समय ही उत्तम रहता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 45 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे. ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. 15 जनवरी को पुण्य काल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही महा पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजे तक है. इसके साथ मकर संक्रांति का क्षण दोपहर 02 बजकर 55 मिनट तक है.