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White Paper: मोदी सरकार के 'व्हाइट पेपर' की बड़ी बातें, यूपीए के कार्यकाल पर लगाए कई आरोप

White Paper against Manmohan Govt: एक दशक से देश की बागडोर संभाल रही मोदी सरकार ने लोकसभा में एक 'व्हाइट पेपर' पेश किया, जिसमें 10 साल पहले सत्ता से हट चुकी डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार पर बरसों से लगाए जा रहे आरोप दोहराए गए हैं.

White Paper against Manmohan Govt: एक दशक से देश की बागडोर संभाल रही मोदी सरकार ने लोकसभा में एक 'व्हाइट पेपर' पेश किया, जिसमें 10 साल पहले सत्ता से हट चुकी डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार पर बरसों से लगाए जा रहे आरोप दोहराए गए हैं.

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Viplav Rahi
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White Paper against UPA : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को 2004 से 2014 तक देश की बागडोर संभालने वाली डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ 'व्हाइट पेपर' पेश किया है. (Photo shared by ANI on X)

Modi Government brings White Paper against UPA : मोदी सरकार ने संसद में एक 'व्हाइट पेपर' पेश किया है, जिसमें 2004 से 2014 तक देश की बागडोर संभालने वाली डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की सरकार पर भ्रष्टाचार और आर्थिक बदइंतजामी समेत वे तमाम आरोप दोहराए गए हैं, जो बीजेपी पिछले एक दशक से लगाती आ रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह 'व्हाइट पेपर' गुरुवार को लोकसभा में पेश किया. उन्होंने 1 फरवरी को बजट पेश करते समय ही कहा था कि वे जल्द ही सदन में एक व्हाइट पेपर लाएंगी, जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार की आर्थिक बदइंतजामी (economic mismanagement) का खुलासा किया जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि वित्त मंत्री ने आरोपों से भरा यह व्हाइट पेपर ठीक उसी दिन पेश किया, जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में डॉ. मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ की है. 

मोदी सरकार के 'आरोप पत्र' की बड़ी बातें 

आइए देखते हैं कि मोदी सरकार ने दस साल पुरानी मनमोहन सरकार के खिलाफ व्हाइट पेपर के नाम से जो आरोप पत्र पेश किया है, उसकी बड़ी बातें क्या हैं: 

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  • रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि यूपीए के 10 साल का कार्यकाल गलत नीतिगत फैसलों और घोटालों से भरा हुआ था. 
  • रिपोर्ट में यूपीए सरकार पर कोयले और टेलिकॉम स्पेक्ट्रम की गैर-पारदर्शी ढंग से नीलामी करने का आरोप लगाया गया है. 
  • रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूपीए की सरकार में डिमांड को बढ़ाना देने के लिए जो स्टिमुलस जारी किया गया, वो लंबे समय तक चलने लायक नहीं था. 
  • रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सरकार ने सब्सिडी के गलत लक्ष्य तय किए और बैंकिंग सेक्टर ने लापरवाही से कर्ज दिए, जिसमें पक्षपात किए जाने के संकेत मिलते हैं. 
  • रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मनमोहन सिंह की सरकार को 2004 में मजबूत अर्थव्यवस्था मिली थी, लेकिन उसने अपने 10 साल के राज में उसकी हालत बिगाड़कर रख दी. 

  • रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सिंह की सरकार को 2004 में अपनी पिछली एनडीए सरकार से विरासत में जो मजबूत बुनियाद मिली थी, उसके आधार पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की कोई कोशिश नहीं की गई. 

  • रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2004 से 2008 तक देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी, लेकिन उसका श्रेय पिछली एनडीए सरकार के किए ज़माने में हुए आर्थिक सुधारों और बेहतर अंतरराष्ट्रीय हालात को जाता है. यूपीए सरकार ने उस ग्रोथ का श्रेय तो लिया, लेकिन उसे आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया.  

  • यूपीए सरकार ने 2008 की वैश्विक आर्थिक संकट के बाद किसी भी तरह से ऊंची विकास दर हासिल करने के चक्कर में अर्थव्यवस्था की व्यापक आर्थिक बुनियाद (macroeconomic foundations) को कमजोर कर दिया. 

  • वित्त वर्ष 2008-09 से वित्त वर्ष 2013-14 के 6 वर्षों के दौरान राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) के ऊंचे स्तर ने आम और गरीब परिवारों की मुश्किलें काफी बढ़ा दीं. 

  • 2009 से 2014 के दौरान महंगाई दर (Inflation) काफी ऊंची रही, जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ा. 

  • यूपीए के राज में देश को बैंकिंग क्राइसिस का सामना करना पड़ा. 

  • जुलाई 2011 में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 294 अरब डॉलर था, जो अगस्त 2013 में घटकर करीब 256 अरब डॉलर पर आ गया. 

  • नीतिगत योजनाएं बनाने और उन पर अमल करने के मामले में यूपीए सरकार का कामकाज बेहद कमजोर था, जिससे सरकारी योजनाओं का प्रभाव खत्म हो गया था. 

  • सरकार के फंड उत्पादक निवेश से ज्यादा कंजप्शन में आवंटित किए जा रहे थे. 

  • 2014 में कोयला घोटाले ने देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया था. 

  • 2G स्कैम और पॉलिसी पैरालिसिस की वजह से देश का टेलिकॉम सेक्टर एक दशक पीछे चला गया था. 

  • यूपीए के राज में निवेश का माहौल इतना खराब हो गया था कि घरेलू निवेशक बाहर जा रहे थे.

  • यूपीए की सरकार में नेतृत्व का संकट था. सरकार द्वारा जारी एक अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया जाना इसकी मिसाल है. 

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सत्ता में आने के 10 साल बाद पिछली सरकार पर आरोप क्यों?

रिपोर्ट में इस बात की सफाई भी दी गई है कि यूपीए सरकार के कामकाज पर यह व्हाइट पेपर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के सत्ता संभालने के 10 साल बाद क्यों पेश किया जा रहा है. इसमें दावा किया गया है कि मोदी सरकार को 2014 में कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी, लेकिन उस समय व्हाइट पेपर इसलिए नहीं पेश किया गया, क्योंकि ऐसा करने पर सबका विश्वास डगमगा जाता. व्हाइट पेपर में मोदी सरकार ने दावा किया है कि 2014 में सत्ता संभालने के बाद उसने अर्थव्यवस्था में ऐसे कई स्ट्रक्चरल रिफॉर्म किए हैं जिससे देश के मैक्रो-इकनॉमिक फंडामेंटल मजबूत हुए हैं. साथ ही सरकार ने बिजनेस फ्रेंडली माहौल बनाया है. दिलचस्प बात ये है कि सरकार की तरफ से यह व्हाइट पेपर पेश किए जाने से पहले गुरुवार को ही कांग्रेस (Congress) ने भी एक ‘ब्लैक पेपर’ जारी करके मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप  लगाए हैं. 

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