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GEN Z Protest: सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क पर उतरे नेपाल के GEN Z, झड़प में 9 युवा की मौत और 80 से ज्यादा घायल

Nepal GEN Z Protests: नेपाल में ओली सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ ऑनलाइन शुरू हुआ आंदोलन सड़कों पर पहुंचा. GEN Z ने संसद के पास बैरिकेड्स तोड़े, जिसके बाद पुलिस से झड़प हुई.

Nepal GEN Z Protests: नेपाल में ओली सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ ऑनलाइन शुरू हुआ आंदोलन सड़कों पर पहुंचा. GEN Z ने संसद के पास बैरिकेड्स तोड़े, जिसके बाद पुलिस से झड़प हुई.

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FE Hindi Desk
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1995 से 2010 के बीच जन्मे युवाओं को Gen Z बताया जाता है. (Image: X)

नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार द्वारा हाल ही में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने और बढ़ते भ्रष्टाचार से नाराज GEN Z यानी नई पीढ़ी वाले युवा भारी संख्या में सोमवार को सड़क पर उतर आए. नेपाल की राजधानी काठमांडू में करीब 10 हजार से ज्यादा युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को नेपाल में संसद की ओर मार्च कर रहे युवाओं को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं. ये युवा सोशल मीडिया पर लगे बैन और सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.

9 GEN Z की मौत, 80 से ज्यादा घायल

बताया जा रहा है कि ऑनलाइन शुरू हुआ यह आंदोलन सोमवार को तेजी से राजधानी काठमांडू की सड़कों पर फैल गया और GEN Z नेपाल की पार्लियामेंट के पास पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर अंदर घुसने लगे. स्थिति बिगड़ने पर पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हुई. हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस ने गोलीबारी की, आंसू गैस छोड़ी और पानी की बौछारें कीं. इस दौरान 9 GEN Z की मौत और 80 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. बढ़ते तनाव के बीच अधिकारियों ने पूरे काठमांडू के संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सोमवार को नेपाल में संसद की ओर मार्च कर रहे युवाओं को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं. ये युवा सोशल मीडिया पर लगे बैन और सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. दरअसल, नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते फेसबुक (Facebook) समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया था क्योंकि उन्होंने सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था. सरकार का कहना है कि फेक आईडी से नफरत फैलाने, फेक न्यूज फैलाने और धोखाधड़ी जैसे अपराध सोशल मीडिया के जरिए बढ़ रहे थे. स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने संसद भवन के आसपास कर्फ्यू लगा दिया. पुलिस को भीड़ काबू करने के लिए पानी की बौछारें, लाठीचार्ज और रबर की गोलियों का इस्तेमाल करने के आदेश दिए गए.

भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं

प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर युवा, जिनमें छात्र भी थे, स्कूल-कॉलेज की यूनिफॉर्म में राष्ट्रीय झंडे और तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे. उनके नारे थे – “भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं”, “सोशल मीडिया पर से बैन हटाओ”, और “युवा बनाम भ्रष्टाचार”. नेपाल के लोगों में यह धारणा गहरी है कि भ्रष्टाचार व्यापक है, और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार पर भी वादे पूरे न करने के आरोप लगते रहे हैं.

नेपाल की 3 करोड़ आबादी में से करीब 90% लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि सोशल मीडिया बैन ने गुस्सा और बढ़ा दिया है. हालांकि, यह भी सच है कि सिर्फ नेपाल ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, ब्राज़ील, भारत, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी सरकारें सोशल मीडिया और बड़ी टेक कंपनियों पर नकेल कसने की कोशिश कर रही हैं. उनका कहना है कि इससे फेक न्यूज, डेटा प्राइवेसी, ऑनलाइन खतरे और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर नियंत्रण किया जा सकेगा. मगर जानकारों का मानना है कि ऐसे कदमों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट पड़ सकती है.

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समाचार एजेंसी एपी ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि सोमवार को नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर 10 हजार लोग उतर आए, जिन्होंने सरकार के उस फैसले का विरोध किया जिसमें Facebook, X (Twitter) और YouTube समेत ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया गया है. सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने देश में रजिस्ट्रेशन और सरकारी निगरानी के नियमों का पालन नहीं किया.

प्रदर्शनकारियों ने कांटेदार तार की बैरिकेडिंग तोड़ी और संसद भवन को घेर लिया, जिससे दंगारोधी पुलिस को पीछे हटना पड़ा. पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारें कीं, लेकिन भारी भीड़ के सामने खुद को बचाने के लिए संसद परिसर के भीतर चली गई. हालात बिगड़ते देख सरकार ने संसद, सचिवालय, राष्ट्रपति भवन और शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया.

भीड़ ने लाल-नीले राष्ट्रीय झंडे लहराते हुए नारे लगाए – “सोशल मीडिया पर बैन बंद करो, भ्रष्टाचार बंद करो”. इस प्रदर्शन को Gen Z प्रोटेस्ट कहा गया, क्योंकि इसमें ज्यादातर 1995 से 2010 के बीच जन्मे युवा शामिल थे.

सरकार का कहना है कि नेपाल में इस्तेमाल होने वाले करीब दो दर्जन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बार-बार नोटिस भेजकर कहा गया था कि वे देश में आधिकारिक तौर पर रजिस्टर हों. जिन्होंने पालन नहीं किया, उन पर पिछले हफ्ते से बैन लगा दिया गया. हालांकि TikTok, Viber और तीन अन्य प्लेटफॉर्म्स ने रजिस्ट्रेशन पूरा कर लिया है और वे चालू हैं.

सरकार ने संसद में एक नया विधेयक भी पेश किया है, जिसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में लायजन ऑफिस या प्रतिनिधि नियुक्त करने की बाध्यता होगी. सरकार का कहना है कि इससे प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही और जिम्मेदारी तय होगी. लेकिन विपक्षी दल और अधिकार संगठनों का आरोप है कि यह कानून सेंसरशिप थोपने और असहमति की आवाज़ दबाने का जरिया है.

बता दें कि नेपाल ने नवंबर 2023 में TikTok पर बैन लगाया था, यह कहते हुए कि इससे “सामाजिक सद्भाव बिगड़ता है और अश्लील सामग्री फैलती है.” हालांकि बाद में TikTok ने स्थानीय कानूनों का पालन करने का वादा किया, तो बैन हटा लिया गया. इसी तरह नेपाल ने 2018 में पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स पर भी पाबंदी लगाई थी.

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