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New Election Commissioners: सरकार ने रिटायर्ड IAS अधिकारियों सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला किया है. (Photos: Ministry of Parliamentary Affairs and X/@NHAI_Official)
Two New Election Commissioners selected by PM Modi led panel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त करने का फैसला किया है. यह जानकारी समिति के इकलौते विपक्षी सदस्य और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दी है. चौधरी ने गुरुवार को समिति की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद अपने घर पर पत्रकारों से कहा कि दो चुनाव आयुक्तों के सेलेक्शन के लिए समिति के सामने 6 नाम आए और समिति के बहुमत के आधार पर संधू और कुमार के नाम मंजूर किए गए. ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में रहे हैं और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का कदम उनके कार्यकाल के दौरान ही उठाया गया था. चुनाव आयोग में दो आयुक्तों के पद अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफा देने की वजह से खाली हुए थे.
शॉर्ट लिस्ट नाम पहले नहीं दिए : चौधरी
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली तीन सदस्यीय समिति में विपक्ष के एकमात्र सदस्य चौधरी ने कहा कि उन्होंने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर असहमति नोट दिया है क्योंकि उन्हें नामों के बारे में पहले से जानकारी नहीं दी गई थी. अधीर रंजन चौधरी ने सेलेक्शन प्रक्रिया पर अपनी असहमति दर्ज कराते हुए कहा कि सरकार ने मांगने के बावजूद उन्हें शॉर्ट लिस्ट किए गए अधिकारियों के नाम बैठक से पहले उपलब्ध नहीं कराए. कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें बुधवार को 212 नाम दिए थे, लेकिन नियुक्ति से 10 मिनट पहले 6 नाम थमा दिए गए. चौधरी ने आरोप लगाया कि उन्होंने समिति बैठक से पहले शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की एक संक्षिप्त सूची मांगी थी, ताकि उन्हें सभी उम्मीदवारों के बारे में जानकारी मिल जाए, लेकिन सरकार ने उन्हें बैठक से एक दिन पहले यानी बुधवार को पूरे 212 अधिकारियों के नाम भेज दिए. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के एलान से ठीक पहले दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है.
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सरकार ने चौधरी को 5 लिस्ट भेजी : सूत्र
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार ने अधीर रंजन चौधरी को 236 नामों वाली 5 सूचियां भेजी थीं. इनमें भारत सरकार से सचिव और सचिव के समकक्ष पदों से रिटायर हुए 92 अधिकारियों की सूची के अलावा सरकार में इस वक्त सचिव और सचिव के समकक्ष पदों पर काम कर रहे 93 अधिकारियों के नाम शामिल थे. इनके अलावा सरकार ने विपक्षी नेता को पिछले एक साल के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मुख्य सचिवों के तौर पर रिटायर हुए 15 अधिकारियों की लिस्ट भी भेजी थी. उन्हें भेजी गई एक और लिस्ट में फिलहाल मुख्य सचिव के पद पर काम कर रहे राज्यों के 28 और केंद्र शासित प्रदेशों के 8 अफसरों के नाम भी शामिल थे.
नाम किस आधार पर छांटे स्पष्ट नहीं : चौधरी
चौधरी ने आरोप लगाया कि नए चुनाव आयुक्तों के चयन के दौरान इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं हो सकी कि 200 से ज्यादा उम्मीदवारों में से 6 अफसरों के नाम किस आधार पर छांटे गए. जिन 6 नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया, उनके नाम हैं - उत्पल कुमार सिंह, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, ज्ञानेश कुमार, इंदीवर पांडे, सुखबीर सिंह संधू, सुधीर कुमार गंगाधर रहाटे. ये सभी पूर्व ब्यूरोक्रेट हैं. चौधरी ने बताया कि इन 6 नामों में से ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के नाम चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए तय किए गए हैं. उन्होंने कहा कि इस समिति में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को शामिल होना चाहिए था.
समिति में CJI की जगह केंद्रीय मंत्री को रखने का कानून
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाई गई समिति में प्रधानमंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री और विपक्ष के नेता को मिलाकर कुल तीन सदस्य हैं. जाहिर है कि समिति में बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला सरकार की मर्जी के मुताबिक ही हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर दिए अपने अंतरिम फैसले में चुनाव आयोग की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को शामिल करने की सिफारिश की थी. लेकिन सरकार ने कानून बनाते समय सीजेआई को बाहर करके प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त एक और केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया. विपक्ष ने इस बदलाव का काफी विरोध भी किया. लेकिन संसद में बहुमत के दम पर सरकार अपना मनचाहा कानून बनाने में सफल रही.