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टैरिफ और H1-B वीज़ा विवाद के बीच पीएम मोदी का अमेरिका पर परोक्ष प्रहार Photograph: (Reuters)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ और एच-1बी वीज़ा आवेदनों पर $100,000 का भारी शुल्क लगाने के निर्णय पर अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि “दूसरे देशों पर निर्भरता” भारत की सबसे बड़ी दुश्मन है ।
गुजरात में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का दुनिया में कोई भी दुश्मन नहीं है, सिवाय एक के।
उन्होंने आत्मनिर्भर देश बनने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “आज भारत ‘विश्वबंधु’ की भावना से आगे बढ़ रहा है। दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। अगर हमारा कोई दुश्मन है तो वह है दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता। यही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है और हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन, यानी निर्भरता को हराना होगा। हमें इसे हमेशा दोहराना होगा।"
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कुछ देशों के एकतरफा फैसलों के सामने भारत मज़बूती से खड़ा रह सके इसके लिए उसे आत्मनिर्भर बनना ही होगा। उन्होंने कहा, “भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा और दुनिया के सामने मज़बूती से खड़ा होना होगा। भारत में क्षमता की कोई कमी नहीं है, लेकिन आज़ादी के बाद कांग्रेस ने इस क्षमता को नज़रअंदाज़ किया।”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “इसीलिए आज़ादी के 6-7 दशक बाद भी भारत वह सफलता हासिल नहीं कर सका जिसका वह हकदार था। इसके दो बड़े कारण रहे। लंबे समय तक कांग्रेस सरकार ने देश को लाइसेंस-कोटा राज में उलझाए रखा और उसे विश्व बाज़ार से अलग-थलग कर दिया। और फिर जब वैश्वीकरण का दौर आया, तो केवल आयात का रास्ता अपनाया गया।”
‘सौ दुखों की एक ही दवा’
भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह भारत कई बुनियादी ज़रूरतों के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के स्थिर और समृद्ध भविष्य के लिए भारत भारी विदेशी निर्भरता का जोखिम नहीं उठा सकता।
पीटीआई के अनुसार उन्होंने कहा, “जितनी ज़्यादा विदेशी निर्भरता, उतनी बड़ी देश की असफलता। वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश आत्मनिर्भर होना चाहिए। अगर हम दूसरों पर निर्भर रहेंगे तो हमारे आत्मसम्मान को चोट पहुँचेगी। हम 140 करोड़ देशवासियों का भविष्य दूसरों के हाथों में नहीं छोड़ सकते।”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “हम देश के विकास का संकल्प दूसरों पर निर्भरता के हवाले नहीं कर सकते। आने वाली पीढ़ियों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता,” और उन्होंने यह भी कहा कि “सौ दुखों की एक ही दवा है – आत्मनिर्भर भारत।”
‘चिप्स हों या शिप्स, भारत में ही बनाना होगा’
प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे सेमीकंडक्टर चिप्स हों या बड़े जहाज़, भारत के पास इन्हें अपने देश में बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा, “आत्मनिर्भर भारत बनने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। देश के 140 करोड़ नागरिकों को एक ही संकल्प लेना होगा – चाहे चिप हो या शिप, हमें इसे भारत में ही बनाना होगा।”
उन्होंने आगे कहा:“यहाँ मौजूद विशेषज्ञ जानते हैं कि शिपबिल्डिंग कोई साधारण उद्योग नहीं है। वैश्विक स्तर पर शिपबिल्डिंग उद्योग को ‘सभी उद्योगों की जननी’ कहा जाता है। इसे जननी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह केवल जहाज़ ही नहीं बनाता, बल्कि इससे जुड़े कई क्षेत्रों की वृद्धि भी करता है। इस्पात, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स, पेंट, आईटी सिस्टम और कई अन्य सेक्टर शिपिंग उद्योग से लाभ पाते हैं। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को भी सहारा मिलता है…”
प्रधानमंत्री ने बताया कि देश हर साल लगभग ₹6 लाख करोड़ विदेशी कंपनियों को दुनिया भर में माल ढुलाई के लिए चुकाता है, जो कि “लगभग हमारे रक्षा बजट के बराबर है।”
ट्रम्प का नया एग्ज़िक्यूटिव ऑर्डर
ज्ञात हो, एक नए कार्यकारी आदेश में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1बी वीज़ा आवेदनों पर $100,000 शुल्क की घोषणा की। उन्होंने कंपनियों पर आरोप लगाया कि वे एच-1बी का दुरुपयोग कर अमेरिकी कर्मचारियों को सस्ते विदेशी मज़दूरों से बदल रही हैं।
आदेश में अमेरिका में कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स की बढ़ती बेरोज़गारी, एच-1बी हायरिंग से जुड़ी बड़े पैमाने पर छंटनियाँ और यहां तक कि राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों का भी हवाला दिया गया।
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आदेश में कहा गया, “एच-1बी नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा प्रोग्राम उच्च-कुशल कामगारों को अस्थायी रूप से अमेरिका लाने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसका जानबूझकर दुरुपयोग कर अमेरिकी कर्मचारियों को बदलने के लिए किया गया है। इससे अमेरिकी कर्मचारियों के लिए मज़दूरी स्तर कम हुए हैं और साथ ही सबसे योग्य अस्थायी कामगारों को आकर्षित और बनाए रखना मुश्किल हो गया है, खासकर STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में।”
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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