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Report on Apple Threat Notifications: वॉशिंगटन पोस्ट की एक ताजा रिपोर्ट में मोदी सरकार पर आरोप लगाया गया है कि उसने Apple पर iPhone हैकिंग से जुड़ी वॉर्निंग वापस लेने और उसके राजनीतिक असर को कम करने में मदद करने के लिए दबाव डाला था. (Image: Pixabay)
MoS Rajeev Chandrashekhar rebuts Washington Post report: केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भारत में कुछ विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के आईफोन (iPhone) हैक किए जाने से जुड़ी वॉशिंगटन पोस्ट की ताजा रिपोर्ट का खंडन किया है. उन्होंने इस रिपोर्ट में अधूरा सच परोसने और बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप भी लगाया है. वॉशिंगटन पोस्ट की इस रिपोर्ट में मोदी सरकार पर आरोप लगाया गया है कि उसने ऐपल (Apple) पर आईफोन (iPhone) हैकिंग से जुड़ी वॉर्निंग वापस लेने और उसके राजनीतिक असर को कम करने में मदद करने के लिए दबाव डाला था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कुछ पत्रकारों ने वॉर्निंग मिलने के बाद अपने आईफोन जांच के लिए एमनेस्टी की लैब को दिए थे, जिसमें उन पर हैकिंग अटैक किए जाने की पुष्टि हुई है.
ऐपल ने अक्टूबर में दी थी हैकिंग की चेतावनी
दरअसल इसी साल अक्टूबर में कांग्रेस नेता शशि थरूर, टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा समेत देश के कई विपक्षी नेताओं के अलावा कुछ पत्रकारों को भी ऐपल से वॉर्निंग मिली थी कि सरकार द्वारा प्रायोजित अटैकर उनके आईफोन (Apple iPhone) को निशाना बना रहे हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार (Modi Govt) पर फोन हैकिंग का आरोप लगाते हुए काफी हंगामा किया था. वॉशिंगटन पोस्ट की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऐसा होने पर मोदी सरकार के कुछ बड़े अफसरों ने ऐपल कंपनी के अधिकारियों को बुलाकर अपनी वॉर्निंग को वापस लेने या उसकी गंभीरता को कम करने वाले बयान जारी करने के लिए दबाव डाला था.
राजीव चंद्रशेखर ने दिया वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट का जवाब
केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने वॉशिंगटन पोस्ट की इस रिपोर्ट का सोशल मीडिया पर बयान जारी करके खंडन किया है. उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, "वॉशिंगटन पोस्ट की खराब स्टोरीटेलिंग का जवाब देना थकाने वाला काम है, लेकिन किसी को तो ऐसा करना ही होगा :
- इस स्टोरी में अधूरे सच को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.
- इस स्टोरी में ऐपल के इस रिस्पॉन्स को जगह नहीं दी गई है, जो कंपनी ने थ्रेट नोटिफिकेशन जारी होने वाले दिन - 31 अक्टूबर को जारी किया था :
“ऐपल ने खतरे की चेतावनी वाले नोटिफिकेशन के लिए किसी खास सरकार-प्रायोजित अटैकर को जिम्मेदार नहीं बताया है. सरकार-प्रायोजित हमलावर सॉफिस्टिकेटेड होते हैं और उनके पास काफी पैसा होता है और उनके हमले वक्त के साथ-साथ और बेहतर होते हैं. ऐसे हमलों की पहचान करना उन थ्रेट इंटेलिजेंस सिग्नल्स पर निर्भर होता है, जो अक्सर कम सटीक और अधूरे होते हैं. यह संभव है कि ऐपल के कुछ थ्रेट नोटिफिकेशन फॉल्स अलार्म निकलें या कुछ हमलों की पहचान नहीं की जा सके. हम यह जानकारी नहीं दे सकते कि हमने थ्रेट नोटिफिकेशन क्यों जारी किए, क्योंकि ऐसा करने पर सरकार-प्रायोजित हमलावरों को मदद मिल सकती है और वे अपने तौर-तरीकों में इस तरह के बदलाव कर सकते हैं, जिससे भविष्य में उन्हें पहचानना और मुश्किल हो जाए.”
Rebutting @washingtonpost 's terrible story telling is tiresome, but someone has to do it.
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@Rajeev_GoI) December 28, 2023
➡️This story is half facts, fully embellished 😅
➡️Left out of the story is Apples response on Oct 31- day of threat notifications
“Apple does not attribute the threat notifications to… https://t.co/6XhRC8QVBu
ऐपल बताए उनके उपकरण असुरक्षित हैं या नहीं : चंद्रशेखर
राजीव चंद्रशेखर ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में इस विवाद पर मोदी सरकार के रुख को साफ करते हुए लिखा है, "इस बारे में मेरा और भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का रिस्पॉन्स हमेशा से एक जैसा और स्पष्ट है - यह बताना ऐपल की जिम्मेदारी है कि उनके उपकरण (devices) असुरक्षित हैं या नहीं और उन्होंने नोटिफिकेशन्स किस वजह से जारी किए. ऐपल को CERT यानी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम की जांच में सहयोग करने को कहा गया था. इस बारे में बैठकें हुई हैं और जांच जारी है. तथ्य तो यही है. स्टोरी में कही गई बाकी बातें काल्पनिक हैं और पत्रकारिता की आड़ में सनसनी फैलाने की कोशिश है."
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में क्या है?
वॉशिंगटन पोस्ट की ताजा रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ऐपल की थ्रेट वार्निंग पर राजनीतिक हंगामा खड़ा होने के बाद मोदी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐपल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर विराट भाटिया को बुलाकर कहा कि वे अपनी कंपनी से गलती होने का बयान देते हुए वॉर्निंग को वापस ले लें. रिपोर्ट के मुताबिक इस मसले पर काफी बहस होने के बाद ऐपल के इंडिया ऑफिस ने कहा कि वो ज्यादा से ज्यादा एक ऐसा सार्वजनिक बयान जारी कर सकते हैं, जिसमें कंपनी के टेक सपोर्ट पेज पर वॉर्निंग के बारे में पहले से मौजूद सावधानियों (caveats) पर जोर दिया गया हो. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी के बाद ऐपल की तरफ से ईमेल पर ऐसे बयान जारी किए गए, जिनमें कहा गया था कि "ऐसे हमलों की पहचान करना उन थ्रेट इंटेलिजेंस सिग्नल्स पर निर्भर होता है, जो अक्सर कम सटीक और अधूरे होते हैं." और हो सकता है उनसे गलती हुई हो.