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Can Varun Ganhi join Congress?: बीजेपी में हाशिये पर जा चुके वरुण गांधी के कांग्रेस ज्वाइन करने की अटकलें लगाई जा रही हैं. (Photo : Varun Gandhi/X)
Who will contest Rae Bareli, Amethi Lok Sabha Election from Congress: उत्तर प्रदेश की दो ऐसी लोकसभा सीटों पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, जहां कांग्रेस ने अब तक अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए हैं. ये दो सीटें हैं रायबरेली और अमेठी की. दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों से नेहरू-गांधी परिवार का दशकों पुराना नाता रहा है. लेकिन इस लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम सस्पेंस स्टोरी बने हुए हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि रायबरेली से चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने इस बार बढ़ती उम्र और कमजोर स्वास्थ्य के चलते लोकसभा की बजाय राज्यसभा से संसद में जाने का रास्ता चुन लिया. वहीं, अमेठी में राहुल गांधी को 2019 में हार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते इस बार उनकी उम्मीदवारी पर अनिश्चय के बादल छाए हैं. ऐसे में दोनों ही सीटों के लिए नए नामों की चर्चा लगातार हो रही है. रायबरेली सीट के लिए प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का नाम जोरशोर से लिया जा रहा है, तो अमेठी के लिए उनके पति रॉबर्ट वाड्रा के नाम की चर्चा रह-रहकर जोर पकड़ती रहती है. कहा ये भी जा रहा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पिछले चुनाव में हार के बावजूद इस बार अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उनके नाम का एलान केरल के वायनाड में मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाएगा. कुल मिलाकर इस बार देश के आम चुनाव (General Election 2024) में अमेठी और रायबरेली का सस्पेंस लंबा खिंचता जा रहा है.
क्या अपने पुरखों की पार्टी में लौटेंगे वरुण गांधी?
इन तमाम अटकलों के बीच अब एक और नई चर्चा जोर पकड़ रही है. कहा जा रहा है कि नेहरू-गांधी परिवार के एक और सदस्य वरुण गांधी (Varun Gandhi), अपनी मौजूदा पार्टी बीजेपी का दामन छोड़कर अपने पुरखों की पार्टी कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं. ऐसा होने पर कांग्रेस उन्हें परिवार की दोनों में किसी एक पारंपरिक सीट से चुनाव लड़ा सकती है. इन अटकलों को धार इसलिए भी मिल रही है, क्योंकि वरुण गांधी लंबे अरसे से बीजेपी में हाशिये पर चल रहे हैं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनके समीकरण अच्छे नहीं माने जाते हैं. पीलीभीत से बीजेपी के मौजूदा सांसद होने के बावजूद उन्हें टिकट भी नहीं दिया गया.
किसान आंदोलन समेत कई अहम मुद्दों पर वरुण गांधी अपनी ही पार्टी की सरकारों की नीतियों की खुलकर आलोचना भी करते रहते हैं. हालांकि बीजेपी ने उनकी मां मेनका गांधी को सुलतानपुर से टिकट देकर वरुण को पूरी तरह बागी होने से रोकने की कोशिश की है. पिछले दिनों ऐसी खबरें भी मीडिया में उछलीं कि बीजेपी वरुण को रायबरेली से प्रियंका गांधी के खिलाफ उतारना चाहती है. लेकिन इसी के साथ ऐसी खबरें भी आईं कि वरुण गांधी ने बहन के खिलाफ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है.
वरुण ने कांग्रेस में वापसी का नहीं किया खंडन!
इन तमाम अटकलों के बीच इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी के एक ताजा लेख के मुताबिक वरुण गांधी ने इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस में वापसी की खबरों की न तो पुष्टि की है और न ही खंडन. इस लेख के मुताबिक वरुण ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, "मेरे लिए ऐसी बातचीत की चर्चा सार्वजनिक तौर पर करना ठीक नहीं होगा, जो गोपनीयता बनाए रखने के भरोसे पर की गई हो...वैसे भी मेरा हमेशा से मानना है कि चुनाव मुद्दों से जुड़े होने चाहिए, शख्सियतों से नहीं." वरुण ने अपने इस बयान की और व्याख्या करने से भी इनकार कर दिया, लेकिन उनकी बात से यह तो साफ है कि उन्होंने "गोपनीयता बनाए रखने के भरोसे" के साथ बातचीत की है. अगर यह बातचीत बीजेपी के नेतृत्व से हुई होती तो शायद वे यह कहते कि यह उनके और उनकी पार्टी के बीच का आंतरिक मामला है. लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा. पिछले महीने उन्होंने पीलीभीत की जनता के नाम जो खुला पत्र लिखा था, उसमें भी बीजेपी की मौजूदा राजनीति से उनके मोहभंग के संकेत तलाशे जा सकते हैं. वैसे भी मोदी युग की बीजेपी में, जब तमाम चुनावी और राजनीतिक चर्चाओं की शुरुआत वरुण की दादी इंदिरा गांधी या परदादा जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ निजी हमलों से होती हो, उसमें अगर वे अपने पुरखों की पार्टी में 'घर-वापसी' करने का मन बना लें, तो क्या ये हैरानी की बात होगी?