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आयकर विभाग की सख्ती के बाद 40,000 टैक्सपेयर्स ने 1,045 करोड़ के गलत टैक्स रिफंड क्लेम (ITR) वापस लिये. Photograph: (AI Image)
आयकर विभाग ने देशभर में फर्जी टैक्स कटौतियों और छूटों के आधार पर रिफंड लेने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है. इस अभियान के तहत विभाग ने 150 से ज्यादा जगहों पर सर्च ऑपरेशन चलाया है, ताकि ऐसे धोखाधड़ी करने वाले नेटवर्क को पकड़ा जा सके और कानूनी कार्रवाई की जा सके. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि पिछले 4 महीनों में करीब 40,000 टैक्सपेयर्स ने खुद 1,045 करोड़ रुपये की अपनी गलत क्लेम को वापस लिया है.
जारी नोटिफिकेश के जरिए मंत्रालय ने कहा - पिछले एक साल में आयकर विभाग ने लोगों को सही टैक्स भरने के लिए जागरूक करने का बड़ा अभियान चलाया है. इसमें SMS और ईमेल के ज़रिए संदिग्ध टैक्सपेयर्स को संदेश भेजे गए, ताकि वे अपनी रिटर्न सुधारें और सही टैक्स भरें. इसके अलावा, विभाग ने कई जगहों पर आमने-सामने जाकर जानकारी देने वाले कार्यक्रम भी किए. इन कोशिशों का असर ये हुआ कि पिछले चार महीनों में करीब 40,000 टैक्सपेयर्स ने खुद अपनी टैक्स रिटर्न अपडेट की है और 1,045 करोड़ रुपये की फर्जी क्लेम वापस ले ली है. हालांकि अब भी कई लोग ऐसे हैं जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. माना जा रहा है कि ये लोग टैक्स चोरी के पीछे काम करने वाले गड़बड़ी करने वालों के असर में हैं.
फर्जी टैक्स रिटर्न का पता कैसे चला?
आयकर विभाग को थर्ड पार्टी डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम और ज़मीनी जानकारी के जरिए ये संकेत मिले कि बड़ी संख्या में लोगों ने झूठी कटौतियों और छूटों का दावा करके गलत तरीके से टैक्स रिफंड लिया है. इसके बाद विभाग ने महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में 150 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की.
इन टैक्स रिटर्न में लोगों ने ऐसी छूटें और कटौतियां दिखाई थीं जो असल में थीं ही नहीं. जैसे कि -
- नकली House Rent Allowance (HRA) का दावा
- पढ़ाई के लिए लिए गए लोन पर ब्याज को लेकर गलत जानकारी
- हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर फर्जी डिडक्शन
- होम लोन के ब्याज पर झूठा दावा
- और कुछ मामलों में राजनीतिक पार्टियों को दान दिखाकर छूट लेने की कोशिश भी की गई
- इन गलत दावों की वजह से उन्होंने झूठे रिफंड हासिल किए.
आयकर विभाग के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में सिर्फ आम टैक्स भरने वाले लोग ही नहीं, बल्कि सरकारी विभागों के कर्मचारी, सरकारी कंपनियों (PSUs) के लोग, मल्टीनेशनल कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके अलावा, कई छोटे व्यापारी भी इसमें पाए गए हैं. अक्सर ये लोग आईटीआर फाइलिंग एजेंटों के कहने पर गलत डिडक्शन दिखा देते हैं ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा टैक्स रिफंड मिल सके.
आयकर विभाग ने साफ कर दिया है कि ये तो सिर्फ शुरुआत है. अगर कोई टैक्सपेयर्स अब भी गलत जानकारी देता है और उसे सुधारता नहीं है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर उस पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. विभाग ईमेल और SMS के जरिए लगातार लोगों को अलर्ट भी भेज रहा है.
टैक्सपेयर्स के लिए सबक
डिडक्शन का दावा सिर्फ फॉर्म 16 या असली दस्तावेजों के आधार पर ही करें.
अगर कोई ITR एजेंट आपको ज्यादा रिफंड का लालच देकर गलत जानकारी भरने को कहे, तो तुरंत सतर्क हो जाएं.
अगर आपसे गलती से फर्जी दावा हो गया है, तो अभी भी समय है - अपना रिटर्न दोबारा भरें (रिवाइज करें).
अब टैक्स सिस्टम पूरी तरह डिजिटल और डेटा-आधारित हो गया है, ऐसे में गलत जानकारी छिपा पाना लगभग नामुमकिन है.