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सरकार ने बताया कि कई लोग पेशेवर टैक्स सलाहकारों और सीए की मदद से आयकर कानून की छूटों का गलत फायदा उठा रहे थे. इसी धोखाधड़ी के चलते आयकर विभाग ने अब सख्त जांच और कार्रवाई शुरू की है. (AI Image)
14 जुलाई 2025 को आयकर विभाग ने देशभर में कई जगहों पर एक बड़ा जांच अभियान चलाया. यह कार्रवाई उन लोगों और संस्थाओं के खिलाफ की गई जो आयकर रिटर्न भरते समय गलत तरीके से टैक्स में एग्जम्पशन और डिडक्शन का दावा कर रहे थे. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि ऐसे लोग झूठे दस्तावेजों और गलत जानकारियों के आधार पर टैक्स से बचने की कोशिश कर रहे थे.
सरकार ने बताया कि आयकर अधिनियम, 1961 के तहत मिलने वाले टैक्स बेनिफिट्स का गलत फायदा उठाया जा रहा था. जांच में यह भी सामने आया है कि कई मामलों में यह धोखाधड़ी अकेले नहीं बल्कि कुछ पेशेवर सलाहकारों जैसे टैक्स सलाहकारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की मिलीभगत से की जा रही थी. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए विभाग ने सख्त कार्रवाई शुरू की है.
जांच में यह बात सामने आई है कि कुछ आयकर रिटर्न भरने वाले एजेंट और दलालों ने मिलकर एक संगठित तरीके से फर्जीवाड़ा किया है. ये लोग ऐसे लोगों के नाम से रिटर्न भर रहे थे, जिनके लिए वे मनगढ़ंत टैक्स कटौती और छूट का दावा करते थे, यानी ऐसी छूट और कटौतियां जो असल में होती ही नहीं थीं. प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि इन लोगों ने आयकर कानून में दी गई रियायतों का गलत फायदा उठाया. कुछ मामलों में तो धोखाधड़ी इस हद तक पहुंच गई कि फर्जी टीडीएस रिटर्न दाखिल किए गए ताकि गलत तरीके से ज्यादा टैक्स रिफंड हासिल किया जा सके.
झूठे दावों को पकड़ने में एडवांस टूल का हो रहा इस्तेमाल
वित्त मंत्रालय ने बताया कि आयकर विभाग ने फर्जी टैक्स दावों की पहचान करने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया है. इसमें डेटा एनालिटिक्स, बाहरी स्रोतों से मिली जानकारी, गुप्त सूचनाएं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक टूल्स की मदद ली गई है. मंत्रालय ने यह भी बताया कि हाल ही में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और कर्नाटक में की गई तलाशी और जब्ती की कार्रवाई से इन तकनीकी जांचों की पुष्टि हुई है. इन राज्यों में छापेमारी के दौरान ऐसे कई लोगों और समूहों के खिलाफ सबूत मिले हैं जिन्होंने गलत तरीके से टैक्स में छूट और रिफंड का दावा किया था.
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वित्त मंत्रालय ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई है कि टैक्स कानून की कई धाराओं के तहत मिलने वाली कटौतियों और छूटों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है. खास तौर पर सेक्शन 10(14), 80GG यानी किराये की कटौती, 80E यानी शिक्षा ऋण पर ब्याज, 80D यानी स्वास्थ्य बीमा, 80EE और 80EEA यानी होम लोन पर ब्याज, 80G और 80GGA यानी दान पर छूट और सेक्शन 10(13A) यानी एचआरए छूट जैसी सुविधाएं ऐसे लोग ले रहे हैं जो असल में इसके पात्र नहीं हैं. सरकार ने यह भी बताया कि केवल निजी कंपनियों के कर्मचारी ही नहीं बल्कि मल्टीनेशनल कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और सरकारी विभागों में काम करने वाले कुछ कर्मचारी भी इन टैक्स छूटों का गलत फायदा उठा रहे हैं.
कई मामलों में सैलरी पाने वाले लोगों ने अपने आयकर रिटर्न में झूठे या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए कटौती के आंकड़े भर दिए ताकि उनका टैक्स कम लगे या उन्हें ज़्यादा रिफंड मिल जाए. कुछ लोगों ने तो टैक्स सिस्टम को चकमा देने के लिए जानबूझकर अपनी आमदनी बढ़ाकर दिखाई या कटौतियों में गड़बड़ी की जिससे ज़्यादा रिफंड मिल सके, लेकिन जब विभाग ने जांच शुरू की तो पेनल्टी से बचने के लिए उन्होंने वह रिफंड वापस कर दिया.
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झूठे दावों से सरकार को भारी नुकसान
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस तरह के फर्जी टैक्स दावों से सरकार को भारी नुकसान होता है क्योंकि इससे सरकारी खजाने की आमदनी घटती है. इसके अलावा जो लोग ईमानदारी से टैक्स भरते हैं, उन पर अप्रत्यक्ष रूप से बोझ बढ़ जाता है. साथ ही जिन टैक्सपेयर्स को वाकई में टैक्स रिफंड मिलना चाहिए, उनकी रिफंड प्रक्रिया में भी देरी होती है.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि ‘टैक्सपेयर्स पर भरोसा पहले’ की नीति के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड का हमेशा यह प्रयास रहा है कि ईमानदार करदाताओं का भरोसा कायम रखा जाए लेकिन साथ ही जो लोग जानबूझकर टैक्स चोरी करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी जरूरी है. इसी दिशा में आयकर विभाग ने अब कदम उठाते हुए ऐसे लोगों की पहचान शुरू कर दी है और उनके खिलाफ कानून के तहत जरूरी कार्रवाई शुरू की गई है. इसमें उन आयकर रिटर्न्स की विशेष जांच शामिल है जहां गड़बड़ी की आशंका है. साथ ही ऐसे मामलों में टैक्स रिफंड को रोका जा रहा है और जिन मामलों में धोखाधड़ी साबित होती है, वहां जुर्माना और कानूनी कार्यवाही जैसे मुकदमा भी शुरू की जा रही है.
आयकर विभाग ने कहा है कि वह ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करेगा जहां यह साबित हो जाता है कि किसी व्यक्ति ने जानबूझकर गलत तरीके से टैक्स में छूट या रिफंड पाने की कोशिश की है. ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जाएगा और ज़रूरत पड़ी तो उस पर मुकदमा भी चलाया जाएगा. विभाग की यह कार्रवाई और जांच आगे और विस्तृत हो सकती है. इसका उद्देश्य ऐसे लोगों और गिरोहों की पहचान करना और उन्हें कानून के दायरे में लाकर जवाबदेह बनाना है जो इस तरह की धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं. फिलहाल इस मामले में और भी जांचें चल रही हैं.
साथ ही आयकर विभाग ने सभी टैक्सदाताओं को एक बार फिर सलाह दी है कि वे अपनी आय और व्यक्तिगत जानकारी बिल्कुल सही-सही भरें और ऐसे किसी एजेंट या बिचौलिए की बातों में न आएं जो यह दावा करते हैं कि वे ज़्यादा रिफंड दिलवा सकते हैं क्योंकि ये एजेंट ज़्यादातर अनधिकृत होते हैं और ऐसे फर्जी वादों में फंसा कर बाद में कानूनी मुसीबत में डाल सकते हैं.