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India vs China: CLSA का बड़ा एलान: अब चीन से ज्यादा भारत पर फोकस, इंटरनेशनल ब्रोकरेज के रुख में क्यों आया बदलाव?

India vs China: CLSA ने अपने रुख में बदलाव के जो कारण बताए हैं, उनमें अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत भी शामिल है, जिसे चीन के लिए निगेटिव फैक्टर माना है.

India vs China: CLSA ने अपने रुख में बदलाव के जो कारण बताए हैं, उनमें अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत भी शामिल है, जिसे चीन के लिए निगेटिव फैक्टर माना है.

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Viplav Rahi
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India vs China : CLSA ने भारत पर फोकस बढ़ाने और चीन में निवेश घटाने का एलान किया है. (Image : Pixabay)

CLSA shifts focus to India, will cut China investments : इंटरनेशनल ब्रोकरेज CLSA ने भारत और चीन को लेकर अपने निवेश से जुड़े रुख में बड़े बदलाव का एलान किया है. CLSA ने घोषणा की है कि वह अब भारत में अपने निवेश को बढ़ाएगा और चीन में निवेश कम करेगा. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब चीन की अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है और भारत में निवेश की संभावनाएं बेहतर नजर आ रही हैं. CLSA का यह रुख भारतीय बाजारों के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारत से बड़े पैमाने पर पैसे बाहर निकाले हैं, जिसका मार्केट पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज का बदला रुख आने वाले दिनों में बेहतरी का संकेत दे रहा है. सीएलएसए ने इस नये रुख की जानकारी अपनी एक ताजा रिपोर्ट (Pouncing Tiger, Prevaricating Dragon) में दी है.

CLSA की नई रणनीति 

CLSA ने भारत में निवेश बढ़ाने और चीन में निवेश कम करने की रणनीति अपनाई है. इसके तरह उसने भारत में निवेश को 10% से बढ़ाकर 20% करने का एलान किया है. वहीं चीन की अनिश्चित आर्थिक स्थिति को देखते हुए निवेश में कटौती करने की बात कही है. CLSA का मानना है कि भारतीय बाजार में विदेशी निवेशक एक बार फिर से खरीदारी के लिए तैयार हैं.

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चीन से नजरें फेरने की क्या है वजह? 

अहम सवाल ये है कि CLSA ने अचानक अपने रुख में ये बड़ा बदलाव क्यों किया है. इसका जवाब CLSA ने अपनी ताजा रिपोर्ट में विस्तार से दिया है. उसने इस रिपोर्ट में भारत और चीन के बाजारों में निवेश पर अपने बदले रुख के जो कारण गिनाए हैं, उनमें अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत भी शामिल है, जिसे चीन के लिए निगेटिव माना जा रहा है. इसके अलावा CLSA के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव ने चीन की एक्सपोर्ट आधारित अर्थव्यवस्था पर निगेटिव असर डाला है. चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) द्वारा घोषित इन्सेंटिव पॉलिसी को भी CLSA ने नाकाफी बताया है. ब्रोकरेज फर्म का यह भी मानना है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के साथ-साथ बढ़ती महंगाई ने चीन की मॉनेटरी पॉलिसी के लिए चुनौती बढ़ा दी है. इसके अलावा चीन के मार्केट में एसेट्स पर मिलने वाला रिस्क प्रीमियम भी घट गया है, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए यह बाजार कम आकर्षक हो गया है. कुल मिलाकर CLSA का मानना है कि चीन का मार्केट अब उतना प्रॉफिटेबल नहीं दिख रहा है.

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भारत को क्यों माना बेहतर विकल्प?

CLSA ने चीन की तुलना में भारतीय बाजार को निवेश के लिए बेहतर विकल्प मानने के पीछे कई ठोस कारण बताए हैं. मिसाल के तौर पर उसका मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों के साथ वैसा कोई ट्रेड रिलेटेड टेंशन नहीं जुड़ा है, जैसा अमेरिका के साथ तनाव की वजह से चीन के लिए दिखाई दे रहा है. CLSA के अनुसार क्षेत्रीय बाजारों में भारत पर किसी तरह के ट्रेड टेंशन का असर सबसे कम पड़ने के आसार हैं. इसके अलावा भारतीय बाजार में डोमेस्टिक डिमांड मजबूत बनी हुई है, जो विदेशी निवेशकों की बिकवाली के असर को बैलेंस कर रही है. ब्रोकरेज के मुताबिक एक्सचेंज रेट स्टेबिलिटी के लिहाज से भी भारत तुलनात्मक रूप से ज्यादा सुरक्षित मार्केट है, बशर्ते एनर्जी प्राइसेज स्थिर बनी रहें. CLSA ने इस बात पर भी गौर किया है कि भारत की विकास दर मजबूत बनी हुई है. CLSA के अनुसार उभरते बाजारों के बीच ग्रोथ का सबसे सबसे मजबूत मौका भारत में ही नजर आ रहा है. इसके अलावा भारतीय स्टॉक्स की लॉन्ग टर्म वैल्यूएशन अब निवेशकों को आकर्षक लगने लगी हैं.

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भारत में संभावित चुनौतियां  

हालांकि CLSA ने भारत के साथ जुड़े पॉजिटिव फैक्टर्स के साथ ही साथ कुछ चुनौतियों का भी जिक्र किया है, जिनमें मार्केट में नए शेयर्स की ‘ओवर-सप्लाई’ महत्वपूर्ण है. ब्रोकरेज के मुताबिक पिछले 12 महीनों के दौरान पूरे मार्केट कैप में नए शेयर इश्यू का हिस्सा 1.5% रहा है, जो काफी अधिक है. इसके अलावा रिपोर्ट के मुताबिक भारत की इंपोर्टेड फ्यूल पर निर्भरता काफी अधिक है, जिससे एनर्जी प्राइसेज में अस्थिरता बड़ा रिस्क फैक्टर हो सकती है. 

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भारतीय बाजार के लिए पॉजिटिव संकेत

इन चुनौतियों के बावजूद CLSA के बदले रुख से साफ है कि उसे कुल मिलाकर मजबूत घरेलू मांग, स्टेबल करेंसी और बेहतर आर्थिक संभावनाओं की वजह से भारत में निवेश के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन नजर आ रहा है. दूसरी ओर, चीन की आर्थिक समस्याओं और व्यापारिक तनाव की संभावना ने निवेशकों के सेंटिमेंट को प्रभावित किया है. CLSA के रुख में यह बदलाव भारतीय बाजार के लिए पॉजिटिव संकेत है, क्योंकि उसका यह कदम दूसरे निवेशकों को भी जो अपने रुख पर नए सिरे से विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है.

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