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Credit Card: क्रेडिट कार्ड एनपीए में भारी इजाफा, एक साल में डिफॉल्ट 28% बढ़कर 6,742 करोड़ पहुचा

Credit Card NPA: क्रेडिट कार्ड का उधार बिना किसी गारंटी के दिया जाता है और इस पर सालाना ब्याज बहुत ज्यादा 42-46% होता है. अगर कोई ग्राहक 90 दिन तक बिल नहीं चुकाता है, तो उसका खाता एनपीए यानी डिफॉल्ट माना जाता है.

Credit Card NPA: क्रेडिट कार्ड का उधार बिना किसी गारंटी के दिया जाता है और इस पर सालाना ब्याज बहुत ज्यादा 42-46% होता है. अगर कोई ग्राहक 90 दिन तक बिल नहीं चुकाता है, तो उसका खाता एनपीए यानी डिफॉल्ट माना जाता है.

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FE Hindi Desk
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दिसंबर 2024 तक क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट बढ़तर 6,742 करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो बीते साल के मुकाबले करीब 28% ज्यादा है. (Express Photo)

Credit Card Defaults: पिछले तीन सालों में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इसकी वजह यह है कि अब लोग डिजिटल पेमेंट ज़्यादा पसंद कर रहे हैं और उनका खर्च भी बढ़ा है. कार्ड यूजर के खर्चों में इजाफा हुआ है, साथ ही समय पर बिल न चुकाने से क्रेडिट कार्ड एनपीए में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2024 तक क्रेडिट कार्ड एनपीए 28.42फीसदी बढ़कर 6,742 करोड़ रुपये पहुंच गया है. जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 5,250 करोड़ रुपये था.

दिसंबर 2023 तक 5,250 करोड़ था क्रेडिट कार्ड एनपीए

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 में क्रेडिट कार्ड से जुड़े डिफॉल्ट यानी एनपीए 5,250 करोड़ रुपये थे, जो अब बढ़कर करीब 6,742 करोड़ रुपये हो गए हैं. यानी एक साल में लगभग 1,500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी उस समय हुई है जब अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी धीमी चल रही है. दिसंबर 2024 में यह एनपीए, बैंकों द्वारा दिए गए कुल 2.92 लाख करोड़ रुपये के क्रेडिट कार्ड कर्ज का 2.3% है, जबकि पिछले साल यह 2.53 लाख करोड़ रुपये कर्ज का 2.06% था. यानी डिफॉल्ट की दर भी बढ़ गई है.

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Photograph: (Express)

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बैंक अपने कुल एनपीए को कम करने में सफल रहे

इंडियन एक्सप्रेस की आरटीआई के जवाब में पता चला है कि दिसंबर 2020 में जहां क्रेडिट कार्ड से जुड़ा डिफॉल्ट (एनपीए) 1,108 करोड़ रुपये था, वह अब 500% से ज्यादा बढ़ चुका है. यह बढ़ोतरी उस वक्त हुई है जब बाकी कर्जों में बैंकों ने सुधार किया है. दिसंबर 2023 में कुल एनपीए 5 लाख करोड़ रुपये था, जो दिसंबर 2024 तक घटकर 4.55 लाख करोड़ रुपये हो गया है. 2020 के मुकाबले क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट 5 गुना बढ़ गया है. जबकि इसी दौरान बैंक अपने कुल डिफॉल्ट (एनपीए) को कम करने में सफल रहे हैं.

पिछले दो सालों में देश के बैंकों ने अपने डूबे हुए कर्ज (एनपीए) को काफी हद तक कम किया है. लेकिन अगर गौर से देखें तो पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे लोन में डिफॉल्ट काफी बढ़े हैं. इसकी वजह यह है कि लोग ज़्यादा कर्ज लेने लगे हैं और समय पर चुका नहीं पा रहे, जिससे इस सेक्टर की तरक्की पर असर पड़ रहा है.

क्रेडिट कार्ड बकाया अनसिक्योर कैटेगरी का होता है और इस पर सालाना ब्याज दरें अधिक होती हैं. जब ब्याज या मूल किस्त 90 दिनों से अधिक समय से बकाया हो, तो लोन एनपीए बन जाता है. जब कोई ग्राहक अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान बिलिंग साइकिल से परे देरी से करता है, तो बैंक बकाया राशि पर सालना 42-46 फीसदी की दर से ब्याज लगाते हैं. ऐसी स्थिति में कार्ड यूजर का क्रेडिट स्कोर भी घट जाता है. बता दें कि कार्ड बकाया वह राशि है जो बैंकों द्वारा दी गई इंटरेस्ट फ्री पीरियड के बाद ग्राहकों को देनी होती है.

वक्त पर क्रेडिट कार्ड बिल न भरने पर 42% ब्याज लेते हैं बैंक

क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में ग्राहकों को आकर्षित करने वाली चीजें हैं अधिक खर्च पर रिवॉर्ड, लोन ऑफर और लाउंज लाभ जैसे ऑफर है. एक बैंक अधिकारी ने कहा - ग्राहकों को यह समझना चाहिए कि अगर वे इंटरेस्ट फ्री पीरियड (interest-free period) से आगे कार्ड बकाया रखते हैं, तो उन्हें कुछ मामलों में 42 फीसदी तक की ब्याज दर चुकानी पड़ती है. यह उन्हें कर्ज के जाल में फंसा देगा.

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