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क्रेडिट कार्ड बिल में आमतौर पर 10 से 15 दिन की रिपेमेंट पीरियड या बिलिंग साइकिल डेट से पेमेंट ड्यू डेट होती है. ऐसे में अगर कोई बिल बनाने की डेट महीने की पहली या दूसरी तारीख सेट करता है, तो ड्यू डेट महीने की 10 से 15 तारीख के बीच होगी.
Credit card holders can now set billing cycle and payment due date : क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करने में कभीआपको परेशानी हुई है? संभव है हुई होगी? पेमेंट ड्यू डेट महीने के आखिरी दिन के आसपास होने की वजह से ज्यादातर क्रेडिट कार्ड यूजर के साथ हो सकता है. आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब महीने के आखिरी दिनों में यूजर के पास पैसे किल्लत की होती है. अगले महीने की सैलरी के आने को लोगों को इंतजार होता है. पेमेंट ड्यू डेट अबतक कार्ड जारी करते समय निर्धारित की जाती रही है और कार्डहोल्डर के पास ड्यू डेट तय करने के लिए कोई विकल्प मौजूद नहीं मिली. हालांकि क्रेडिट कार्ड यूजर के लिए अब अच्छी खबर आई है. अब उनके पास अपनी कार्डी की बिलिंग साइकिल ड्यू डेट तय करने का विकल्प होगा.
कार्डहोल्डर के फायदे के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई (RBI) ने कार्ड जारी करने वाले बैंक व वित्तीय संस्थाओं से कहा है कि वे कार्डहोल्डर को कम से कम एक बार बिलिंग साइकिल के शुरुआती (starting day) या समापन दिन (closing day), दोनों में से किसी एक डेट को तय करने का विकल्प दें.
क्रेडिट कार्ड बिल में आमतौर पर 10 से 15 दिन की रिपेमेंट पीरियड या बिलिंग साइकिल डेट से पेमेंट ड्यू डेट होती है. ऐसे में अगर कोई बिल बनाने की डेट महीने की पहली या दूसरी तारीख सेट करता है, तो ड्यू डेट महीने की 10 से 15 तारीख के बीच होगी. इस बीच अच्छी खबर ये आई है कि RBI ने बैंकों को बिलिंग साइकिल और पेमेंट ड्यू डेट बदलने का विकल्प देने को कहा है. नए निर्देश के तहत नए और मौजूदा दोनों कार्डहोल्डर बिलिंग साइकिल की डेट को एक से अधिक बार बदल सकते हैं.
क्या कहते हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स?
खेतान एंड कंपनी के पार्टनर मोइन लाढ़ा बताते हैं कि कार्डहोल्डर अब बिलिंग साइकिल को इस तरह से तय कर सकते हैं जो उनके कैश फ्लो के अनुरूप हो. इसके साथ ही एक से अधिक कार्डहोल्डर अपने वित्त को बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए अपनी ड्यू डेट को भी अपने हिसाब से तय कर सकते हैं. सेंट्रल बैंक के इस फैसले से कार्डहोल्डर को अपना फंड मैनेज करने में सहूलियत होगी.
कार्डहोल्डर को अपना बिलिंग साइकिल इस तरह से सेट करना चाहिए कि उनके बैंक खाते में न केवल कार्ड की बकाया राशि को पूरा करने के लिए पर्याप्त कैश हो बल्कि महीने के दौरान अन्य घरेलू खर्चों के लिए भी पर्याप्त बैलेंस हो. ऐसा करके यूजर कार्ड खर्च पर पेनाल्टी देने और इंटरेस्ट चार्ज से बच सकते हैं.
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इसके अलावा आरबीआई ने कार्डहोल्डर को अपना पसंदीदा कार्ड नेटवर्क चुनने की अनुमति देने वाला एक और नियम पेश किया है, जो जल्द ही यूजर के लिए उपलब्ध होगा. भारत में वीजा, मास्टरकार्ड, रुपे, डाइनर्स क्लब इंटरनेशनल, अमेरिकन एक्सप्रेस जैसे तमाम लोकप्रिय और अधिकृत कार्ड नेटवर्क हैं. अब तक, कार्ड नेटवर्क का चुनने का विकल्प ग्राहकों के लिए उपलब्ध नहीं था. कार्ड जारी करने वाला बैंक या वित्तीय संस्थान अपने संभावित ग्राहकों के नाम कार्ड जारी करते वक्त कई कार्ड नेटवर्क में से किसी एक को चुनने का विकल्प देंगे. मौजूदा कार्डहोल्डर के लिए यह विकल्प अगली बार रिनुअल के समय दिया जा सकता है.
मोइन लाढ़ा का मानना है कि कार्ड जारी करने वाले बैंकों या NBFC को अपने पात्र ग्राहकों को कार्ड जारी करते समय विभिन्न कार्ड नेटवर्क में से चुनने का विकल्प देना चाहिए. हालांकि, अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड के साथ ऐसा नहीं होगा. मतलब ये है कि नया नियम अमेरिकन एक्सप्रेस जैसे कार्ड जारीकर्ताओं पर लागू नहीं होगा जो अपने अधिकृत नेटवर्क पर कार्ड जारी करते हैं. मसलन ऐसे कार्ड जारीकर्ताओं को न तो किसी अन्य नेटवर्क का कार्ड जारी करने की आवश्यकता होगी.
क्या है क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड एक प्रकार का शार्टटर्म लोन है. इसका इस्तेमाल कर खर्च करना एक प्रकार का उधार है, ये एक ऐसा लोन जो क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला बैंक या वित्तीय संस्थान कार्डहोल्डर को देता है. अगर कार्ड की ड्यू डेट पर बकाया राशि का पूरा भुगतान नहीं किया जाता है, तो भुगतान न की गई राशि पर ब्याज लगाया जाता है.
(Article by Sunil Dhawan)