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आपकी EMI में और कितनी होगी कटौती? महंगाई दर गिरने के बाद जून में कहां तक घट सकती है ब्याज दर

Inflation : रिटेल और थोक महंगाई दर, दोनों के ताजा आंकड़े राहत देने वाले रहे हैं, ऐसे में सवाल ये है कि जून में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में RBI ब्याज दरों में कितनी कटौती कर सकता है?

Inflation : रिटेल और थोक महंगाई दर, दोनों के ताजा आंकड़े राहत देने वाले रहे हैं, ऐसे में सवाल ये है कि जून में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में RBI ब्याज दरों में कितनी कटौती कर सकता है?

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Viplav Rahi
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Inflation : रिटेल और थोक महंगाई दर में गिरावट से ब्याज दरें और घटने की उम्मीद बढ़ गई है. (Image : Freepik)

Interest Rate Cut Likely After Latest Inflation Data: महंगाई दर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI) करीब छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. वहीं, थोक महंगाई दर (WPI) भी अप्रैल में घटकर 13 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. यह राहत भरी खबर लोन लेने वालों के लिए एक और राहत की उम्मीद लेकर आई है. उम्मीद ये कि अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) जून की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है. और अगर ऐसा होता है, तो आपकी EMI भी और घट सकती है. इस संभावना पर आगे बात करेंगे, लेकिन पहले देखते हैं कि थोक और खुदरा महंगाई दर में हाल में आई गिरावट कितनी अहम है.

खुदरा और थोक महंगाई दर में आई बड़ी गिरावट

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर 3.16 फीसदी रही, जो मार्च 2025 में 3.34 प्रतिशत और अप्रैल 2024 में 4.83 फीसदी थी. यह जुलाई 2019 के बाद यानी करीब 6 साल का सबसे निचला स्तर है. खास बात यह है कि फूड इंफ्लेशन में भी अच्छी खासी कमी देखी गई है, जो अप्रैल में सिर्फ 1.78 प्रतिशत रही.

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अगले ही दिन यानी बुधवार को आए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर के आंकड़े भी राहत देने वाले हैं. थोक महंगाई दर अप्रैल 2025 में घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई, जो 13 महीने का सबसे निचला स्तर है. इससे पहले मार्च 2025 में यह 2.05 प्रतिशत रही थी, जबकि अप्रैल 2024 में यह आंकड़ा 1.19 फीसदी था. थोक महंगाई में यह गिरावट फूड आइटम्स, फ्यूल और मैन्युफैक्चर्ड गुड्स के दाम घटने से आई है. खास तौर पर सब्जियों की महंगाई में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई. अप्रैल में सब्जियों की महंगाई दर माइनस (-) 18.26 प्रतिशत रही. 

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RBI पर बन रहा ब्याज दर कटौती का दबाव

रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) खुदरा महंगाई को ध्यान में रखकर ब्याज दरों में बदलाव करती है. चूंकि खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत के टारगेट से लगातार नीचे चल रही है, इसलिए जानकारों का मानना है कि जून 2025 में RBI ब्याज दरों में एक बार फिर कटौती कर सकता है. अप्रैल में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6 प्रतिशत कर दिया था. यह इस साल की दूसरी कटौती थी. महंगाई के लगातार काबू में रहने से जून में कटौती की संभावना और बढ़ गई है.

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25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक घट सकती है ब्याज दर

ICRA की चीफ इकॉनमिस्ट अदिति नायर का कहना है कि "वित्त वर्ष 2026 में औसत महंगाई दर 3.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. दूसरी और तीसरी तिमाही में महंगाई दर MPC के प्रोजेक्शन से काफी कम रहेगी, जिससे इस कैलेंडर ईयर में कुल 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गुंजाइश बनती है." उनके मुताबिक  "जून 2025 में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती तय मानी जा रही है. इसके बाद अगस्त और अक्टूबर में भी 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है. अगर GDP ग्रोथ में तेजी नहीं दिखी तो जून की समीक्षा में ही 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती भी की जा सकती है."

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर परास जसराय का मानना है कि "महंगाई के लगातार तीन महीने तक 4 प्रतिशत से कम रहने के बाद RBI के पास अब ब्याज दरों में कटौती करने का पूरा मौका है. जून 2025 की मौद्रिक समीक्षा में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की संभावना है...आगे की कटौती इस बात पर निर्भर करेगी कि महंगाई का रुझान और आर्थिक विकास की रफ्तार किस हालत में है."

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मौजूदा माहौल में महंगाई काबू में रहना अहम 

दुनियाभर में आर्थिक अस्थिरता और जियो-पोलिटिकल टेंशन के बीच भारत में महंगाई में नरमी एक बड़ा पॉजिटिव संकेत है. जानकारों का मानना है कि RBI अब ब्याज दरों में राहत देकर आर्थिक विकास दर को तेजी देने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है.

आपकी EMI पर क्या असर पड़ेगा?

अगर जून 2025 में RBI रेपो रेट में फिर से कटौती करता है, तो इसका सीधा असर बैंक लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा. बैंकों की ब्याज दरें कम होने पर आपके होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI में कटौती हो सकती है. इससे मौजूदा उधार लेने वालों को राहत मिलेगी और नए लोन लेने वालों को कम ब्याज पर कर्ज मिलेगा. पिछले दो महीनों में RBI द्वारा दो बार दरों में कटौती के बाद अब जून में तीसरी कटौती की उम्मीद की जा रही है. इससे आम आदमी की मासिक बचत बढ़ सकती है और कंजम्प्शन में इजाफा हो सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी.

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