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Equity, Debt, Gold तीनों मिलकर ऐसा मजबूत पोर्टफोलियो बनाते हैं जो हर हालात में आपके काम आ सकता है. (Image : Pixabay)
Retirement Planning With Equity, Debt and Gold Investment : रिटायरमेंट के बाद खर्च कैसे चलेगा, इसकी फिक्र हर नौकरीपेशा शख्स को रहती है. भविष्य को सुरक्षित और आरामदायक बनाना है, तो समय रहते सही निवेश की योजना बनाना जरूरी है. अगर आप एक सही रिटायरमेंट प्लान के लिए असरदार रणनीति की तलाश में हैं, तो इनवेस्टमेंट का बैलेंस्ड अप्रोच लेकर चलना होगा. इसका मतलब ये कि आप अपने पैसों को किसी एक ही एसेट क्लास में इनवेस्ट करने की जगह इक्विटी, गोल्ड और डेट जैसे तीन प्रमुख एसेट क्लास में बाँटकर निवेश करें. यह डायवर्सिफिकेशन आपको बाजार की अस्थिरता और इंफ्लेशन के असर से बचाते हुए लंबे समय में बेहतर रिटायरमेंट कॉर्पस तैयार करने में काफी मददगार साबित हो सकता है.
इक्विटी से होगा लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन
अगर आप लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन करना चाहते हैं, तो इक्विटी में निवेश इसका बेहतरीन तरीका हो सकता है. यह निवेश आप सीधे शेयर बाज़ार में या इक्विटी म्यूचुअल फंड के जरिये कर सकते हैं. भारत के कई डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स देश की इकनॉमिक ग्रोथ स्टोरी में हिस्सेदारी के जरिये पिछले 15-20 या उससे ज्यादा अवधि के दौरान भी सालाना 12 फीसदी या उससे ज्यादा एवरेज रिटर्न देते रहे हैं.
हालांकि, इक्विटी में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है. अगर आप युवा हैं और आपकी निवेश अवधि लंबी है, तो इक्विटी में ज़्यादा निवेश करने से बेहतर रिटर्न मिल सकता है. लेकिन इसे डेट और गोल्ड जैसे सुरक्षित निवेश के साथ बैलेंस करना जरूरी है, ताकि रिस्क का लेवल कम रहे.
डेट में निवेश से मिलेगी स्टेबिलिटी और सुरक्षा
डेट (Debt) इनवेस्टमेंट में सरकारी बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट और डेट म्यूचुअल फंड आते हैं. ये निवेश इक्विटी की तुलना में कम रिस्की होते हैं. इनमें एफडी और पीपीएफ जैसे कई निवेश रेगुलर और फिक्स्ड रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं. शेयर बाजार में गिरावट के दौरान डेट में किया गया निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्टेबिलिटी के साथ-साथ लिक्विडिटी भी (liquidity) भी देता है.
अगर आप रिटायरमेंट के करीब हैं या अगले कुछ वर्षों में पैसों की जरूरत है, तो डेट में किया गया इनवेस्टमेंट काफी काम आता है. अगर डेट का सपोर्ट न हो तो बाजार में गिरावट का दौर मुश्किल में डाल सकता है.
गोल्ड यानी महंगाई और संकट से बचाने वाला निवेश
गोल्ड यानी सोने को दुनिया भर में एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. जब भी आर्थिक या राजनीतिक संकट आते हैं, सोने की कीमत इसी वजह से बढ़ती है. यह महंगाई के खिलाफ हेजिंग (Hedging) का काम भी करता है यानी आपके निवेश की रियल वैल्यू को गिरने से बचाता है.
आजकल फिजिकल गोल्ड के अलावा गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड ETF या डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के ऑप्शन भी मौजूद हैं. इनमें बेहतर लिक्विडिटी और सुरक्षा का फायदा मिलता है. अगर आप 5-10% हिस्सा गोल्ड में लगाते हैं, तो यह आपके रिटायरमेंट पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन और सुरक्षा को बढ़ा सकता है.
रिटायरमेंट के लिए बैलेंस्ड पोर्टफोलियो कैसे बनाएं
रिटायरमेंट पोर्टफोलियो बनाते समय आपको अपनी उम्र, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि को ध्यान में रखना चाहिए. मिसाल के तौर पर अगर आप 30 साल के हैं, तो आपका फोकस लंबी अवधि के रिटर्न पर होना चाहिए, इसलिए इक्विटी का अनुपात 70-80% तक हो सकता है. वहीं 50 साल के व्यक्ति को अधिक स्टेबिलिटी और कम रिस्क पर जोर देते हुए डेट में निवेश को बढ़ाकर कम से कम 50 फीसदी तक ले जाना चाहिए. 55 साल की उम्र के बाद जब रिटायरमेंट करीब होता है, तब पूंजी की सुरक्षा सबसे जरूरी हो जाती है. ऐसे में इक्विटी का हिस्सा और भी घटाकर डेट और गोल्ड में निवेश बढ़ा देना चाहिए. अगर आप अपने पोर्टफोलियो के इस बैलेंस वक्त के साथ-साथ सही अनुपात में बदलते रहेंगे, तो आपका निवेश सुरक्षित होने के साथ ही साथ बढ़ता भी रहे.
बेफिक्र रिटायरमेंट के लिए बैलेंस्ड अप्रोच जरूरी
अगर आप चाहते हैं कि आपकी रिटायरमेंट लाइफ बिना पैसों की चिंता के आराम से बीते, तो अभी से सही रणनीति अपनाना जरूरी है. इक्विटी से ग्रोथ मिलेगी, डेट से सुरक्षा और गोल्ड से स्थिरता. साथ ही, अगर किसी एक एसेट क्लास में नुकसान होता है, तो बाकी दो इसे संभाल सकते हैं. तीनों एसेट क्लास मिलकर ऐसा मजबूत पोर्टफोलियो बनाते हैं जो हर हालात में आपके काम आ सकता है. एक बात और, इस रणनीति पर अमल की शुरुआत जितनी जल्दी करेंगे, रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी आर्थिक रूप से उतनी ही बेहतर बन पाएगी.