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New Tax Regime : टैक्स सेविंग निवेश बंद कर दें या जारी रखें? न्यू टैक्स रिजीम सेलेक्ट करने के बाद क्या है सही रास्ता

Investment Strategy in New Tax Regime : नई टैक्स रिजीम चुनने वाले कई लोगों के मन में सवाल है कि क्या अब उन्हें पुरानी टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश बंद कर देना चाहिए या फिर उन्हें जारी रखना चाहिए?

Investment Strategy in New Tax Regime : नई टैक्स रिजीम चुनने वाले कई लोगों के मन में सवाल है कि क्या अब उन्हें पुरानी टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश बंद कर देना चाहिए या फिर उन्हें जारी रखना चाहिए?

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Viplav Rahi
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Tax Saving Schemes in New Tax Regime AI

New Tax Regime अपनाने का मतलब यह नहीं कि आपको सभी टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट बंद कर देने चाहिए. (AI Generated Image)

Investment Strategy After Selecting New Tax Regime : नई टैक्स रिजीम अपनाने के बाद बहुत से लोगों के मन में एक बड़ा सवाल है - क्या अब उन्हें टैक्स बचाने के इरादे से ली गई पुरानी इनवेस्टमेंट स्कीम्स में निवेश बंद कर देना चाहिए? या फिर उन्हें जारी रखना चाहिए? पहले की तरह पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), टैक्स सेविंग एफडी या इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करना अब कितना जरूरी रह गया है, जब इनमें पैसे डालने पर टैक्स बेनेफिट नहीं मिल रहा?

न्यू टैक्स रिजीम को समझिए

न्यू टैक्स रिजीम को सरकार ने आसान बनाने की कोशिश की है. 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को टैक्स फ्री करने बाद सैलरीड क्लास को स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में 75,000 रुपये की एक्स्ट्रा छूट भी मिलती है. इसका मतलब है कि अगर आपकी सालाना इनकम 12.75 लाख रुपये तक है, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. इसमें टैक्स स्लैब भी कम हैं.

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लेकिन इन फायदों के बदले में आपको न्यू टैक्स रिजीम अपनाने पर सेक्शन 80C, एचआरए, एलटीए जैसे पुराने टैक्स बेनिफिट्स को छोड़ना होता है. यानी पीपीएफ, एनपीएस, ईएलएसएस या इंश्योरेंस में निवेश करने पर न्यू टैक्स रिजीम के तहत कोई टैक्स छूट नहीं मिलती. न्यू टैक्स रिजीम खास तौर पर उन लोगों के लिए अच्छी है जो टैक्स फाइलिंग की मुश्किलों से बचना चाहते हैं. इसे अपनाने वालों को ज्यादा डॉक्यूमेंटेशन और प्लानिंग की जरूरत नहीं होगी और टैक्स कैलकुलेशन काफी आसान हो जाएगा.

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क्या टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट बंद कर देने चाहिए?

अगर आप सिर्फ टैक्स बचाने के लिए पीपीएफ, ईएलएसएस या इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करते थे, तो अब इसकी जरूरत नहीं है. नई टैक्स रिजीम में इनसे आपको टैक्स में कोई फायदा नहीं मिलेगा. लेकिन सिर्फ इसी वजह से अपने इनवेस्टमेंट प्लान को पूरी तरह बदल देना भी सही नहीं है. क्योंकि बहुत सारी टैक्स सेविंग स्कीम्स ऐसी हैं, जिन्हें लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन के लिहाज से भी बेहतरीन माना जाता है.

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सारे टैक्स सेविंग निवेश बंद करना क्यों सही नहीं?

हालांकि टैक्स छूट खत्म हो गई है, लेकिन बहुत सारी स्कीम्स सिर्फ टैक्स बचाने के लिए नहीं होती हैं. पीपीएफ, ईएलएसएस और एनपीएस जैसे इनवेस्टमेंट ऑप्शन आपकी लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सेफ्टी के लिए जरूरी हैं. ये योजनाएं न सिर्फ रेगुलर सेविंग और इनवेस्टमेंट की आदत डालती हैं, बल्कि भविष्य में रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई या बड़े खर्चों के लिए फंड भी तैयार करती हैं.

ऐसी टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट स्कीम्स हों या इंश्योरेंस कवर, उनके टैक्स बचाने के अलावा दूसरे फायदे भी होते हैं. इसलिए अगर आपने इन योजनाओं को सिर्फ टैक्स बचाने के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की प्लानिंग के तहत चुना था, तो इन्हें जारी रखने में ही समझदारी होगी. साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जिन टैक्स सेविंग स्कीम्स में लॉक-इन पीरियड लागू होता है, उन्हें जारी रखना ही बेहतर होगा.

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स्मार्ट रणनीति क्या होनी चाहिए?

अब समय आ गया है कि आप अपनी निवेश रणनीति को फिर से परखें. अगर आपके किसी निवेश का मकसद केवल टैक्स बचाना था और टैक्स सेविंग को माइनस करने के बाद आपको उसका रिटर्न और बेनिफिट बेहतर नहीं लग रहे, तो आप नए ऑप्शन्स पर विचार कर सकते हैं. लेकिन अगर किसी स्कीम में निवेश का मकसद फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करना है, तो उन योजनाओं को जारी रखें. न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स देनदारी घटने के बाद आपके पास ज्यादा डिस्पोजेबल इनकम बचेगी. तो उस पैसे को सिर्फ खर्च करने की बजाय निवेश में लगाएं.

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स्कीम की खूबियों पर पहले से ज्यादा फोकस करने का मौका 

निवेश से जुड़े नए फैसले करते समय अब आपको टैक्स बेनेफिट को प्राथमिकता नहीं देनी होगी. अब आप इस बात पर पहले से ज्यादा फोकस कर पाएंगे कि कोई स्कीम आपके फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने में किस हद तक मददगार साबित हो सकती है. अगर आप शेयर बाजार में निवेश का रिस्क लेने की क्षमता और तैयारी रखते हैं तो इक्विटी म्यूचुअल फंड या डायवर्सिफाइड फंड जैसे ज्यादा फायदेमंद ऑप्शन्स पर भी विचार कर सकते हैं. एक अच्छा और बैलेंस्ड पोर्टफोलियो वही होता है, जिसमें रिस्क और रिटर्न का संतुलन बना रहे. इस लिहाज से आपको बैंक एफडी और पीपीएफ जैसे सुरक्षित विकल्पों में भी किए गए निवेश को भी जारी रखना चाहिए. इसी तरह एनपीएस को सिर्फ टैक्स सेविंग नहीं, बल्कि कम खर्च में लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन करने और रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम देने वाली वाली स्कीम के तौर पर लेना चाहिए.

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टैक्स सेविंग नहीं, फाइनेंशियल गोल्स पूरे करने के लिए निवेश

कुल मिलाकर देखें तो न्यू टैक्स रिजीम को अपनाने का मतलब यह नहीं कि आपको सभी टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट बंद कर देने चाहिए. आपको अपनी रणनीति बदलनी होगी. टैक्स बचाने के लिए नहीं, बल्कि फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने के लिए निवेश करना होगा. जिन निवेशों से आपको लॉन्ग टर्म बेनिफिट मिलते हैं, उन्हें जारी रखें. न्यू टैक्स रिजीम से जो अतिरिक्त पैसा बचेगा, उसे सही दिशा में लगाकर आप अपनी फाइनेंशियल पोजिशन को और मजबूत बना सकते हैं.

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