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Financial Tips: लोन लेते और चुकाते समय इन 5 बातों का रखें ध्यान, ताकि मुसीबत न बन जाए कर्ज का बोझ

Tips to follow while taking loans: जरूरत पड़ने पर कर्ज लेने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन ऐसा करते समय इन 5 बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आपको आगे चलकर पछताना न पड़े.

Tips to follow while taking loans: जरूरत पड़ने पर कर्ज लेने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन ऐसा करते समय इन 5 बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आपको आगे चलकर पछताना न पड़े.

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Viplav Rahi
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Financial Tips: कर्ज कोई भी हो, उसकी ईएमआई को नियमित रूप से चुकाने पर हमेशा ध्यान देना चाहिए. कर्ज के भुगतान में लापरवाही बरतना लंबे अरसे में आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है.

Golden Rules to follow while taking loans: अचानक कोई जरूरत पड़ जाए या घर, कार जैसी महंगी चीजें खरीदनी हों, तो लोन सभी लेते हैं. नई तकनीक के इस्तेमाल ने तो कर्ज लेना पहले से काफी आसान बना दिया है. लिहाजा, लोग भी आसान क्रेडिट की इस सुविधा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. जरूरत के वक्त लोन लेने में वैसे तो कोई गलत बात भी नहीं है. लेकिन कर्ज लेते समय या उसे चुकाने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आगे चलकर आपको कोई परेशानी न हो. हम यहां आपको ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बताएंगे, जिन पर अमल करके आप अपने लोन लेने और चुकाने के अनुभव को किसी मुसीबत में तब्दील होने से बचा सकते हैें.

1. कर्ज उतना ही लें, जितना आसानी से चुका सकें 

आपको कर्ज हमेशा उतना ही लेना चाहिए, जितना आप आसानी से चुका सकते हों. लोन भले ही कितनी भी आसानी से मिल रहा हो, लेकिन आखिर वो है तो कर्ज ही, जिसे आपको देर-सबेर चुकाना ही है. इसलिए अपनी रीपेमेंट की क्षमता से ज्यादा कर्ज लेने से बचना चाहिए. अगर आपकी आमदनी का बड़ा हिस्सा कर्ज की किस्तें (EMI) चुकाने में चला जाएगा, तो आपकी सारी फाइनेंशियल प्लानिंग बिगड़ने का खतरा है. आमतौर पर माना जाता है कि आपकी होमलोन (Home Loan) की ईएमआई आपकी मंथली इनकम के 35-40 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. वहीं, कार लोन या पर्सनल लोन (Pesonal Loan) की ईएमआई का हिस्सा आपकी मासिक आय के 10 फीसदी से भी कम रहे तो ही बेहतर है.

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2. कर्ज की अवधि कम से कम रखें

कर्ज लेने का फैसला करते समय अक्सर लोग ये देखते हैं कि उसकी ईएमआई कितनी बनेगी और ऐसा करना बिलकुल सही भी है. लेकिन गलती तब हो जाती है, जब क्षमता से ज्यादा लोन लेने के चक्कर में लोग कर्ज की अवधि बढ़ाकर ईएमआई कम करने की कोशिश करते हैं. लेकिन कर्ज की रकम और ब्याज दर (Interest Rate) अगर बराबर है तो ईएमआई कम रखने के लिए लोन की अवधि बढ़ाना हमेशा समझदारी भरा फैसला नहीं होता. ऐसा करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि कर्ज चुकाने में आप जितना ज्यादा वक्त लगाएंगे, ब्याज का बोझ उतना ही बढ़ता जाएगा. होम लोन जैसे कर्ज के मामले में अगर आप शुरुआत में अपनी कम इनकम के कारण ज्यादा अवधि का चुनाव कर भी लेते हैं, तो भी आगे चलकर ईएमआई बढ़ाने की कोशिश करें, ताकि लोन को कम से कम समय में चुकाया जा सके. अगर आपके कई लोन चल रहे हैं, तो सबसे पहले उस लोन को निपटाने की कोशिश करें, जिसकी ब्याज दर सबसे ज्यादा है.

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3. बेहतर ब्याज दर की तलाश जारी रखें

होम लोन जैसे लंबी अवधि के कर्ज लेकर भूल न जाएं. अगर आपको होम लोन पर काफी ऊंची ब्याज दर चुकानी पड़ रही है, तो उसे कम करवाने की कोशिश करें. खासतौर पर अगर आपके लोन लेने के बाद बाजार में ब्याज दरों में नरमी आई है, तो आपको उसका लाभ उठाने की कोशिश जरूर करनी चाहिए. इसके लिए सबसे पहले आपको अपने मौजूदा बैंक या एनबीएफसी से बात करके देखना चाहिए. अगर इससे बात न बने, तो दूसरे बैंकों से संपर्क करके लोन का बैलैंस ट्रांसफर करने पर विचार करना चाहिए. लंबी अवधि के लोन की ब्याज दर में आई थोड़ी भी कमी ब्याज के बोझ को काफी कम कर सकती है.

4. रीपेमेंट में लापरवाही न बरतें

कर्ज कोई भी हो, उसकी ईएमआई को नियमित रूप से चुकाने पर हमेशा ध्यान देना चाहिए. कर्ज के भुगतान में लापरवाही बरतना लंबे अरसे में आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है. क्योंकि ऐसा करने पर आपको जुर्माने के तौर पर एक्स्ट्रा पेमेंट करना पड़ सकता है या ज्यादा ब्याज (Penal Interest) देना पड़ सकता है. इससे आपका क्रेडिट प्रोफाइल और सिबिल स्कोर भी बिगड़ जाता है, जिसके कारण आपको आगे चलकर और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

5. शौक, फिजूलखर्ची या बाजार में निवेश के लिए कर्ज लेने से बचें

एक बात हमेशा याद रखें. कर्ज लेना तभी वाजिब है, जब आप किसी जरूरी काम के लिए ऐसा कर रहे हों. सिर्फ किसी महंगे शौक या फिजूलखर्ची के लिए या फिर कर्ज लेने में जरा भी समझदारी नहीं है. इसी तरह शेयर मार्केट जैसे उतार-चढ़ाव वाले निवेश के लिए कर्ज लेना भी सही नहीं है. इसके लिए तो आपको अपने एक्स्ट्रा फंड का ही इस्तेमाल करना चाहिए. लोन लेना तभी वाजिब है, जब उसका इस्तेमाल आप किसी जरूरत के लिए कर रहे हों. मिसाल के तौर पर महानगर में रहने वाले लोगों के लिए कार जरूरत की चीज हो सकती है, लेकिन अगर आपका काम किसी सामान्य कार से चल सकता है, तो क्षमता से बाहर होने पर भी सिर्फ दिखावे के लिए ज्यादा कर्ज लेकर महंगी लग्जरी कार खरीदना समझदारी भरा फैसला नहीं हो सकता.

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