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How to Save More Tax : आयकर से जुड़े तमाम प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी हो तो टैक्स बचाने में काफी मदद मिल सकती है. (Image : Pixabay)
How to Save More Tax Before Submitting Investment Proof: क्या आपको भी अपने ऑफिस में अगले कुछ दिनों के भीतर इनवेस्टमेंट प्रूफ जमा करना है? अगर सारे डॉक्युमेंट जुटाने के बाद आपको पता चलता है कि इस बार आपके निवेश में कुछ कमी रह गई है, जिसके चलते टैक्स ज्यादा कटने की आशंका है, तो आप क्या करेंगे? अगर आपके साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है, तो इनवेस्टमेंट प्रूफ जमा करने से पहले यहां बताई गई बातों को ध्यान से पढ़ हैं. हो सकता है इनकम टैक्स से जुड़े नियमों (Income Tax Rules) के तहत आपके पास अब भी कुछ टैक्स बचाने की गुंजाइश निकल आए.
सेक्शन 80C के तहत निवेश
इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Returns) भरने वाले लोगों में आयकर बचाने के मामले में इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80C सबसे लोकप्रिय तरीका है. इस सेक्शन के तहत आप पीपीएफ (PPF), ईपीएफ (EPF), लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, टैक्स सेविंग बैंक एफडी (bank FD) समेत कई तरह के निवेश पर टैक्स बचा सकते हैं. इस सेक्शन के तहत एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. तो अगर इस सेक्शन के तहत आपका कुल निवेश 1.5 लाख रुपये से कम है, तो आप अब भी इनवेस्टमेंट करके उसका प्रूफ अपने दफ्तर में जमा कर सकते हैं.
एजुकेशन लोन इंटरेस्ट पर टैक्स डिडक्शन
अगर आपने अपने, अपने बच्चों या अपने जीवनसाथी की उच्च-शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन लिया हुआ है, तो उस पर दिए जाने वाले इंटरेस्ट पर भी सेक्शन 80E के तहत टैक्स डिडक्शन हासिल कर सकते हैं. आप इस डिडक्शन का लाभ अधिकतम 8 साल या इंटरेस्ट पेमेंट की वास्तविक अवधि में से जो भी कम हो, उतनी अवधि के लिए ले सकते हैं. अच्छी बात यह है कि इस सेक्शन के तहत डिडक्शन अमाउंट की कोई मैक्सिमम लिमिट नहीं है. यह डिडक्शन सिर्फ लोन के इंटरेस्ट पर मिलता है, प्रिंसिपल अमाउंट के री-पेमेंट पर नहीं. तो अगर आपने अगर एजुकेशन लोन लिया है और अब तक इस सेक्शन के बारे में आपको पता नहीं था, तो आप इसके प्रूफ जमा करके टैक्स बचा सकते हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स बेनिफिट
लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा के लिए दिए गए प्रीमियम पर तो सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है, लेकिन इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस यानी स्वास्थ्य बीमा के लिए भरे गए प्रीमियम पर भी सेक्शन 80D के तहत अलग से टैक्स बेनिफिट मिलता है. यह बेनिफिट 60 साल के कम उम्र वाले लोगों को अधिकतम 25 हजार रुपये तक के प्रीमियम पर मिलता है. लेकिन 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए यह लिमिट 50 हजार रुपये है. यह लिमिट अपने, अपने जीवनसाथी और बच्चों के लिए खरीदे गए स्वास्थ बीमा पर लागू होती है. लेकिन कोई व्यक्ति अपने माता-पिता के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम भरता है, तो उस पर अलग से छूट मिलती है. यह छूट भी माता-पिता की उम्र के हिसाब से मिलती है. अगर पेरेंट्स की उम्र 60 साल से कम तो 25 हजार रुपये और 60 साल से ज्यादा है तो 50 हजार रुपये तक के प्रीमियम पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है. अगर कोई व्यक्ति खुद भी 60 साल से अधिक का है, तो वो अपने और अपने पेरेंट्स को मिलाकर कुल 1 लाख रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट क्लेम कर सकता है. इसके अलावा आप अपने, अपने जीवनसाथी, बच्चों और पेरेंट्स के प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप पर किए गए 5000 रुपये तक के खर्च पर भी टैक्स की छूट हासिल कर सकते हैं.
होम लोन इंटरेस्ट पेमेंट
होम लोन के प्रिंसिपस अमाउंट के पेमेंट पर सेक्शन 80C की 1.5 लाख रुपये की लिमिट के भीतर ही टैक्स छूट मिलती है. जबकि होमलोन के इंटरेस्ट पर एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 2 लाख रुपये तक का री-पेमेंट करने पर अलग से टैक्स छूट मिलती है. यह छूट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24B के तहत मिलती है. तो अगर आपने भी होम लोन पर ब्याज का भुगतान किया है, तो उस पर टैक्स छूट क्लेम करना न भूलें.
सेविंग्स अकाउंट के ब्याज पर डिडक्शन
अगर आप अपने पैसे सेविंग्स अकाउंट में रखते हैं और उस पर आपको ब्याज मिलता है, तो आप उस पर भी साल में 10 हजार रुपये तक की लिमिट में टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. यह छूट सेक्शन 80TTA के तहत मिलती है. ध्यान रहे कि इस सेक्शन के तहत सिर्फ सेविंग्स अकाउंट के इंटरेस्ट पर ही डिडक्शन का लाभ मिलता है. एफडी, रिकरिंग डिपॉजिट या किसी और टाइम डिपॉजिट पर यह लागू नहीं है. सीनियर सिटिजन्स को ब्याज पर टैक्स छूट एक अलग सेक्शन 80TTB के तहत मिलती है, जिसमें अधिकतम लिमिट 50 हजार रुपये की है. इतना ही नहीं, बुजुर्गों को यह लाभ एफडी पर मिले ब्याज पर भी मिलता है.