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Education Loan: हायर एजुकेशन के लिए चाहिए लोन, अप्लाई करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

Education Loan : एजुकेशन लोन छात्रों के लिए एक अहम सपोर्ट सिस्टम के रूप में काम करते हैं. इसलिए जरूरी हो जाता है कि इसका इस्तेमाल समझदारी से किया जाए.

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Mithilesh Kumar
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Education Loan : एजुकेशन लोन चुकाने पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80E के तहत छूट मिलती है.

Five things to know before availing an education loan : एजुकेशन लोन (Education loan) छात्रों की शैक्षणिक आकांक्षाओं को आकार देने में अहम भूमिका निभाता हैं. देश में लगातार महंगी हो रही शिक्षा के लिए एक वित्तीय पुल यानी फाइनेंशियल ब्रिज (financial bridge) के रूप में काम कर रही है एजुकेशन लोन. ये लोन लोगों को हायर स्टडीज (higher studies) करने और अपने करियर के लक्ष्यों (career goals) को हासिल करने में सक्षम बनाता है.

छात्रों की शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें वित्तीय सपोर्ट देने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा एजुकेशन लोन की पेशकश की जाती है. ये लोन आमतौर पर ट्यूशन फीस, आवास व्यय, अध्ययन सामग्री और पाठ्यक्रम अवधि के दौरान किए गए अन्य संबंधित लागतों को कवर करते हैं. एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई करने से पहले इन जरूरी बातों पर गौर कर लेना चाहिए.

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फंड की एक्सेसिबिलिटी

एजुकेशन लोन के प्राथमिक लाभों में से एक इसकी एक्सेसिबिलिटी (accessibility) है. विभिन्न आर्थिक पृष्ठभूमि वाले छात्र देश या विदेश के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई करने के लिए इस लोन के लिए बैंक या वित्तीय संस्थानों में अप्लाई कर सकते हैं. उसके बाद बैंक या वित्तीय संस्थान कोर्स फीस (course fee), संस्थान की रिपुटेशन (institution reputation) और अप्लाई करने वाले शख्स की वित्तीय परिस्थितियों के आधार पर लोन की राशि को मंजूरी देते हैं.

एजुकेशन लोन पर ब्याज

एजुकेशन लोन पर ब्याज दरें कर्ज देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान, लोन अमाउंट और मौजूदा बाजार स्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकती हैं. कई बैंक प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों की पेशकश करते हैं, और कुछ स्कीम्स छात्रों के लिए रियायती ब्याज दरें प्रदान करती हैं.

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रिपेमेंट

एजुकेशन लोन के मामले में रिपेमेंट आमतौर पर कोर्स पूरा होने के बाद शुरू होता है. कुछ कर्ज देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान एक ग्रेस पीरियड यानी अनुग्रह अवधि (grace period) देते हैं, जिससे उधार लेने वाले शख्स को रिपेमेंट शुरू करने से पहले एंप्लायमेंट सिक्योरिटी की अनुमति मिलती है. रिपेमेंट टेन्योर कई सालों तक बढ़ सकती है, जिससे छात्रों को शिक्षा के बाद अपने वित्त के प्रबंधन में सहूलियत मिलती है.

बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि उधार लेने वाले लोगों के पास 15 साल तक की अवधि में अपना एजुकेशन लोन चुकाने का विकल्प होता है. इसके अलावा छात्रों को एक भुगतान अंतराल दिया जाता है जिसे अधिस्थगन (moratorium) कहा जाता है. आमतौर पर पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद छात्रों को रिपेमेंट शुरू करने से पहले एंप्लायमेंट सिक्योर करने के लिए आवश्यक समय मिलता है. अधिस्थगन अवधि के लिए विस्तार भी एक संभावना है.

टैक्स में छूट

छात्र की वित्तीय जरूरतों पर पूरी तरह से ध्यान देने के बाद एजुकेशन लोन के कई लाभ हैं. एजुकेशन लोन चुकाने पर कर्ज लेने वाले शख्स को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80E के तहत छूट मिलती है.

 नियम और शर्त चेक कर लें

कई लाभों के बावजूद, एजुकेशन लोन का लाभ उठाने से पहले छात्रों को कुछ पहलुओं पर विचार करना चाहिए. लोन के लिए अप्लाई करने वाले आवेदकों को लोन के ब्याज दर, रिपेमेंट से जुड़े नियम व शर्ते और संबंधित शुल्क या छिपे हुए शुल्क सहित नियमों और शर्तों को अच्छी तरह से समझना चाहिए. इसके अलावा इस तरह के कर्ज के लिए अप्लाई करने पर एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना और समय पर लोन चुकाना अहम है ताकि क्रेडिट हिस्ट्री पर कोई बुरा असर न पड़े.

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