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कैसे पहचानें असली सोना? हॉलमार्किंग से जुड़ी जरूरी बातें जो हर खरीदार को जाननी चाहिए. (Image: IE File)
भारत दुनिया में सोने के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है, और यहां सोने का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल गहनों के रूप में किया जाता है. हर साल देश में जितना सोना खरीदा जाता है, उसका लगभग आधा हिस्सा सिर्फ आभूषणों के लिए होता है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो सोना आप खरीद रहे हैं, वह वाकई में शुद्ध है भी या नहीं? आजकल नकली सोने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं और लोग अपनी मेहनत की कमाई ऐसे ही झूठे दावे वाले आभूषणों में गंवा रहे हैं.
यह चिंता तब और भी बढ़ जाती है जब सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं. साल 2020 में जहां 10 ग्राम सोना लगभग 50,000 रुपये का था, वहीं आज इसकी कीमत 95,420 रुपये हो गई है, और अप्रैल में यह 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को भी पार कर चुकी है.
ऐसे में सोना बेचने वालों के लिए गुणवत्ता से समझौता करने की संभावनाएं पहले से कहीं ज़्यादा हो गई हैं. हालांकि, यह कहना गलत होगा कि सभी ज्वैलर्स ग्राहकों को धोखा दे रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि कई खरीदारों को घटिया या नकली सोना बेचा गया है.
ये चीजें बताएंगी सोना असली है या नकली
तो सवाल उठता है कि आप कैसे जानें कि जो सोना आप खरीद रहे हैं, वह असली है या नकली? इसका समाधान सरकार ने निकाल लिया है. भारत सरकार ने नए हॉलमार्किंग नियम लागू किए हैं, जिनके तहत अब ज्वैलर्स के लिए केवल हॉलमार्क वाले आभूषण ही बेचना अनिवार्य कर दिया गया है.
अगली बार जब आप 18, 20 या 22 कैरेट सोने के आभूषण खरीदने जाएं, तो अपने जौहरी से “हॉलमार्क” दिखाने को जरूर कहें. कैसे? बस अपने गहनों - चाहे वह कान की बाली हो, हार हो या कोई और आभूषण - पर तीन चीजें दिखने को कहें - भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का लोगो, कैरेट के रूप में प्योरिटी और फाइननेस लेवल, और 6 अंकों की अल्फान्यूमेरिक HUID (हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर).
- BIS लोगो - यह दिखाता है कि गहना भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) द्वारा प्रमाणित है.
- कैरेट में प्योरिटी और फाइननेस लेवेल - जैसे 22K, 18K आदि, जिससे सोने की शुद्धता पता चलती है.
- 6 डिजिट अल्फान्यूमेरिक HUID नंबर - यह एक यूनिक पहचान संख्या है, जिससे आप यह जान सकते हैं कि यह गहना कहां और किसके द्वारा हॉलमार्क कराया गया है.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि पहले यह 6 अंकों वाला HUID अनिवार्य नहीं था. उस समय तक जौहरी BIS लोगो और प्योरिटी का निशान, साथ ही अपना लोगो और हॉलमार्किंग सेंटर नंबर दिखाकर काम चला सकते थे. लेकिन अब यह नियम बदल गया है. 31 मार्च 2023 के बाद से BIS ने बिना HUID वाले हॉलमार्क गहनों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी है. यानी अब सिर्फ वही गहने बेचे जा सकते हैं जिन पर यह 6 डिजिट डिजिट अल्फान्यूमेरिक आईडी नंबर हो.
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नकली और असली में फर्क बताएगा ये 6 अंकों वाला कोड
अब आता है बेहद दिलचस्प हिस्सा जहां आप खुद एक जांचकर्ता बन सकते हैं. हर हॉलमार्क गहने पर मौजूद HUID को आप खुद ट्रेस कर सकते हैं और इसके लिए तरीका बेहद आसान है. बस अपने फोन में BIS Care App डाउनलोड करें. फिर अपने गहने पर जूम करें और HUID पढ़ें. उस नंबर को ऐप में दर्ज करें और ऐसा करते ही आपके सामने गोल्ड ज्वेलरी से जुड़ी पूरी डिटेल आ जाएगी.
- वह जौहरी जिसने गहना हॉलमार्क कराया,
- उसका रजिस्ट्रेशन नंबर,
- आभूषण की शुद्धता,
- गहने का प्रकार,
- और उस हॉलमार्किंग सेंटर की जानकारी जिसने इसे टेस्ट और प्रमाणित किया.
इस HUID से अब सोने की प्योरिटी की पूरी गारंटी मिलती है. इतना ही नहीं, हॉलमार्क वाला गहना आपको भविष्य में सोने का वाजिब बाजार वैल्यू भी दिलाएगा.
अगर आप कभी यह चेक करना भूल जाएं, तो घबराइए मत. आप बाद में भी HUID देखकर जांच कर सकते हैं. और अगर आपके साथ धोखा हुआ है, तो कानून आपके साथ है.
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दावा गलत पाए जाने पर मिलेगा मुआवजा
अगर हॉलमार्क किया गया गहना असल में जितना प्योर दिखा रहा है, उससे कम निकला तो आपको उसका दोगुना मुआवजा मिलेगा. यह मुआवजा उस प्योरिटी की कमी के आधार पर तय होगा, साथ ही उसमें टेस्टिंग चार्ज भी शामिल होंगे.
इसे ही कहते हैं कि जानकारी के साथ समझदारी से खरीदारी. अब सिर्फ जौहरी के वादे पर नहीं, बल्कि जांचे-परखे तथ्यों पर भरोसा कीजिए. तो अगली बार जब आप सोने के गहने खरीदने जाएं, तो इन 3 जरूरी चीजों की जांच जरूर करें - BIS का लोगो, कैरेट में शुद्धता और 6 अंकों वाला HUID नंबर. इससे यह सुनिश्चित होगा कि आप अपनी गाढ़ी कमाई से जो गहना खरीद रहे हैं वह प्योर, असली और सरकार द्वारा प्रमाणित हॉलमार्क वाला है, जिसे आसानी से ट्रेस भी किया जा सकता है.
(Article : Sunil Dhawan)