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Gold Buying on Akshaya Tritiya : अक्षय तृतीया से पहले आसमान छू रहा सोना, क्या होगा डिमांड पर असर

Gold Rate vs Demand: अक्षय तृतीया से पहले सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं. ऐसे में आम ग्राहकों की खरीदारी और डिमांड पर इसका क्या असर पड़ सकता है. क्या है एक्सपर्ट्स की राय.

Gold Rate vs Demand: अक्षय तृतीया से पहले सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं. ऐसे में आम ग्राहकों की खरीदारी और डिमांड पर इसका क्या असर पड़ सकता है. क्या है एक्सपर्ट्स की राय.

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FE Hindi Desk
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Gold Demand On Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया पर सोने की मांग पर आसमान छूती कीमतों का क्या असर पड़ सकता है? (Image : Pixabay)

Gold Rates Vs Demand On Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी आम तौर पर जोर पकड़ती है. लेकिन सोने की फिलहाल आसमान छूती कीमतों का इस त्योहारी डिमांड पर क्या असर पड़ सकता है? यह सवाल इसलिए क्योंकि अक्षय तृतीया का पर्व इस बार 30 अप्रैल को पड़ रहा है और मुंबई बुलियन मार्केट में 24 कैरेट सोने का भाव 1,01,350 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच चुका है, जबकि 22 कैरेट सोना 92,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा है. इस कीमत में तेजी से एक तरफ जहां निवेशकों को फायदा मिल रहा है, लेकिन आम ग्राहकों की खरीदारी क्या इसकी वजह से कमजोर पड़ सकती है? इस बारे में एक्सपर्ट्स की क्या राय है? 

शॉर्ट टर्म डिमांड पर पड़ेगा असर?

जानकारों का मानना है कि शॉर्ट टर्म में जरूर डिमांड पर दबाव दिखेगा, लेकिन अक्षय तृतीया और शादी के सीजन में मार्केट सेंटिमेंट पॉजिटिव बने रहेंगे. ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (All India Gem and Jewellery Domestic Council) के चेयरमैन राजेश रोकड़े का कहना है कि सोने की कीमतों में अचानक हुई इस बढ़ोतरी से निश्चित रूप से डिमांड पर असर पड़ेगा, लेकिन जब इस झटके को लोग स्वीकार कर लेंगे, तो डिमांड फिर से स्थिर हो जाएगी. उन्होंने पीटीआई से कहा, "कुल मिलाकर बाजार की भावनाएं पॉजिटिव बनी हुई हैं और हमें उम्मीद है कि अक्षय तृतीया और शादी के मौजूदा सीजन में ग्राहकों की तरफ से अच्छी डिमांड देखने को मिलेगी." उन्होंने यह भी बताया कि 2023 और 2024 के इंपोर्ट के आंकड़ों से डिमांड को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. "2023 में जहां सोने का इंपोर्ट 741 टन रहा, वहीं 2024 में यह बढ़कर 802 टन हो गया, जबकि इस दौरान कीमतों में 25-30 फीसदी तक की तेजी थी. यह दिखाता है कि बढ़ी हुई कीमतों के बावजूद डिमांड बनी रही."

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बाजार में वॉल्यूम पर दबाव

पीएन गाडगिल ज्वैलर्स (PN Gadgil Jewellers) के चेयरमैन सौरभ गाडगिल का मानना है कि भले ही वॉल्यूम यानी मात्रा के लिहाज से डिमांड पर दबाव बना हुआ है, लेकिन बाजार में काफी आशावाद है. उन्होंने पीटीआई से कहा, "ग्राहकों के सेंटिमेंट सकारात्मक बने हुए हैं और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कीमतें आगे और बढ़ेंगी, जो उद्योग के लिए अच्छा संकेत है."

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डिमांड में भारी गिरावट की आशंका नहीं

ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल के वाइस चेयरमैन अविनाश गुप्ता ने पीटीआई को बताया कि जब कीमतें GST जोड़कर 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के पार जाती हैं, तो इसका असर डिमांड पर जरूर पड़ता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, "हम अनुमान लगा रहे हैं कि डिमांड पर इसका असर लगभग 10-15 फीसदी तक ही होगा, क्योंकि अक्षय तृतीया और शादी के सीजन के चलते ग्राहक अभी भी खरीदारी कर रहे हैं. यह सीजन जून तक चलने की संभावना है." उन्होंने यह भी जोड़ा कि कंज्यूमर अब लगातार बढ़ती कीमतों के साथ तालमेल बैठा चुके हैं और उन्हें उम्मीद है कि कीमतें आगे भी बढ़ने ही वाली हैं.

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कंज्यूमर सेंटिमेंट पर असर

कामा ज्वैलरी (Kama Jewelry) के मैनेजिंग डायरेक्टर कॉलिन शाह ने कहा कि कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के पीछे अमेरिका की राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता की अहम भूमिका है. उन्होंने पीटीआई से कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बीच ब्याज दरों को लेकर तनाव, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के चलते सोने की कीमतों में यह उछाल आया है." उन्होंने आगे कहा, "हालांकि निवेशक इस मौके का फायदा उठाकर सोने में निवेश कर रहे हैं ताकि अपने पोर्टफोलियो को महंगाई से बचाया जा सके, लेकिन कंज्यूमर्स के सेंटिमेंट्स पर इसका निगेटिव असर जरूर पड़ेगा. फिर भी, यह असर धीरे-धीरे घरेलू खरीदारों द्वारा स्वीकार कर लिया जाएगा."

सोने की कीमतों में उछाल ने उपभोक्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन भारत जैसे देश में जहां सोना परंपरा और निवेश दोनों का प्रतीक है, वहां डिमांड पर असर सीमित रहने की संभावना है. विशेषज्ञ मानते हैं कि शादी के मौसम और त्योहार की वजह से सोने की खरीदारी को लेकर बाजार का रुझान पॉजिटिव बना रहेगा. हालांकि इतनी ऊंची कीमतों की वजह से ग्राहकों के खरीदारी को कुछ हद तक टालने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

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