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Gold vs Nifty : सोने ने रिटर्न के मामले में निफ्टी को पीछे छोड़ा, आगे कैसा रहेगा रुझान

Gold vs Nifty 50 : सोने की कीमतों में इस साल तेजी का माहौल रहा है. 1 जनवरी 2024 से अब तक सोने में मिले रिटर्न ने निफ्टी 50 को भी पीछे छोड़ दिया है.

Gold vs Nifty 50 : सोने की कीमतों में इस साल तेजी का माहौल रहा है. 1 जनवरी 2024 से अब तक सोने में मिले रिटर्न ने निफ्टी 50 को भी पीछे छोड़ दिया है.

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Viplav Rahi
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Gold vs Nifty : सोने ने रिटर्न के मामले में शेयर मार्केट के प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 50 को भी पीछे छोड़ दिया है. (Image : Pixabay)

Gold vs Nifty 50 returns this year : निवेश के लिहाज से सेफ हेवन समझे जाने वाले गोल्ड का रिटर्न अगर ज्यादा रिस्की कहे जाने वाले इक्विटी इनवेस्टमेंट से बेहतर हो जाए, तो भला निवेशकों के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है. 2024 के साल में अब तक कुछ ऐसा ही रुझान देखने को मिला है, जिसकी वजह से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड में निवेशकों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है. दरअसल, सोने की कीमतों में मौजूदा कैलेंडर इयर के दौरान इतनी मजबूती आई है कि रिटर्न के मामले में इसने शेयर मार्केट के प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 50 को भी पीछे छोड़ दिया है.

निफ्टी 50 के मुकाबले सोने में बेहतर रिटर्न  

1 जनवरी 2014 से 30 जून 2024 के बीच Nifty 50 में करीब 10.4 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली, जबकि इसी इंडेक्स का साल की शुरुआत से अब तक (YTD) का रिटर्न करीब 11.9 फीसदी रहा है. वहीं सोने का पिछले 6 महीनों का रिटर्न करीब 18 फीसदी और साल की शुरुआत से अब तक (YTD) का रिटर्न 14.78 फीसदी रहा है. ग्लोबल मार्केट में भी इस दौरान गोल्ड में करीब 13 फीसदी की तेजी देखने मिली. 

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गोल्ड ETF में भी बढ़ा निवेश 

सोने में इस तेजी के बीच दुनिया भर में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (Gold ETF) में निवेश का रुझान भी काफी बढ़ा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जून में लगातार दूसरे महीने गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में पॉजिटिव इनफ्लो देखने को मिला है. जून में यह इनफ्लो करीब 1.4 अरब डॉलर का रहा है. कैलेंडर इयर की पहली छमाही के दौरान एशियन गोल्ड ईटीएफ में कुल मिलाकर करीब 3 अरब डॉलर का रिकॉर्ड निवेश देखने को मिला.

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सोने में क्यों आई तेजी

गोल्ड में यह तेजी ऐसे दौर में देखने को मिल रही है, जबकि दुनिया के अधिकांश देशों की ग्रोथ रेट में कमजोरी का माहौल है. ऐसा लगता है कि जोखिम से बचने वाले निवेशक सोने की तरफ बड़े पैमाने पर आकर्षित हुए हैं. इस तेजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जियो-पोलिटिकल टेंशन के बीच तमाम देशों के सेंट्रल बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर गोल्ड की खरीदारी का भी बड़ा हाथ रहा है. सोने को शेयर बाजार की तुलना में हमेशा ही ज्यादा सुरक्षित निवेश माना जाता है. ऐसे में इतना ऊंचा रिटर्न वाकई निवेशकों के लिए काफी बड़ी खुशखबरी है. लगातार ऊंची ब्याज दरों के बावजूद सोने की इस तेजी से पता चलता है कि सेफ हेवन इनवेस्टमेंट के तौर पर सोने की स्थिति कितनी मजबूत है. 

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क्या आगे भी रहेगा तेजी का रुझान

सोने की कीमतें फिलहाल घरेलू और ग्लोबल, दोनों बाजारों में रिकॉर्ड हाई के करीब चल रही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या तेजी का रुझान आगे भी बने रहने के आसार हैं? या फिर इसमें बदलाव देखने को मिलेगा? गोल्ड को मजबूती देने वाले कारणों पर विचार करें तो लगता है कि जियो-पोलिटकल टेंशन की वजह से बढ़ी सेफ हेवन इनवेस्टमेंट वाली डिमांड अभी बनी रहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच आपसी तनाव बने रहने के आसार हैं. इजरायल का फिलिस्तीन पर हमला हो या यूक्रेन और रूस की जंग, उनके भी बहुत जल्द थमने के संकेत नहीं हैं. इसके अलावा अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे सोने की मांग को एक और बूस्ट मिल सकता है. 

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सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले फैक्टर 

दरअसल, सोना एक ऐसा एसेट है, जिसमें निवेश करने पर ब्याज नहीं मिलता. लिहाजा, जब ब्याज दरें घटती हैं, तो सोने में निवेश तुलनात्मक रूप से और आकर्षक हो जाता है. हालांकि अब तक यह बात पूरी तरह साफ नहीं है कि यूएस फेड वाकई ब्याज दरों में कटौती करेगा या नहीं और करेगा तो कब? लेकिन उसके इस दिशा में कदम उठाने की उम्मीद बढ़ती लग रही है. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की अगली बैठक 31 जुलाई को होनी है. पिछले हफ्ते अमेरिका के मैक्रो इकनॉमिक डेटा में खराब आर्थिक प्रदर्शन के संकेत मिलने से इन उम्मीदों को ताकत मिली है कि सितंबर तक ब्याज दरों में राहत मिल सकती है. अमेरिका के खुदरा महंगाई दर के आंकड़े भी जारी होने वाले हैं, जिनका रेट कटौती के फैसले और उसकी टाइमिंग पर काफी असर पड़ सकता है. ऐसे में गोल्ड इनवेस्टमेंट में दिलचस्पी रखने वालों को यूएस फेड के फैसलों और उसके चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयानों पर लगातार नजर रखनी चाहिए. यूएस बॉन्ड यील्ड और यूएस डॉलर के एक्सचेंज रेट में होने वाले बदलावों का असर भी सोने पर पड़ता है. दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने अगर गोल्ड की खरीदारी कम कर दी, तो इससे कीमतों पर दबाव आ सकता है. ये तमाम फैक्टर सोने की डिमांड और कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं.

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