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Gold vs Stocks: सोना या स्टॉक्स, किसमें छिपा है कामयाबी का फॉर्मूला?

सोना न केवल जल्दी फायदा दिलाता है, बल्कि लंबे समय तक भी शेयरों से आगे रहा है, जो दिखाता है कि कभी-कभी डर के चलते किया गया निवेश भारतीय निवेशकों के लिए बड़ा फायदा ला सकता है.

सोना न केवल जल्दी फायदा दिलाता है, बल्कि लंबे समय तक भी शेयरों से आगे रहा है, जो दिखाता है कि कभी-कभी डर के चलते किया गया निवेश भारतीय निवेशकों के लिए बड़ा फायदा ला सकता है.

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FE Hindi Desk
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FEATURE IMAGE 2025 06 07

Warren Buffett : वॉरेन बफेट के अनुसार, शायद डर ही सबसे सफल निवेश रणनीति हो सकती है. (Image: FE File)

by Asad Dossani

सबसे मशहूर वैल्यू इन्वेस्टर वॉरेन बफेट सोने से दूर रहने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने एक बार कहा था, "सोना डर के आगे लंबे समय तक टिकने का एक तरीका है." साथ ही उन्होंने सोने के बारे में यह भी कहा, "यह कुछ नहीं करेगा… बस आपको देखने के अलावा." उनका पहला कथन यह बताता है कि सोना तभी अच्छा प्रदर्शन करता है जब निवेशक भयभीत होते हैं. वहीं उनका दूसरा कथन यह दर्शाता है कि सोना मूल रूप से एक अनुत्पादक संपत्ति है.

असल में, ये दोनों बातें सही हैं. जब बाजार में उथल-पुथल होती है, तो सोना अच्छा प्रदर्शन करता है जबकि शेयर बाजार गिर जाता है. सोना वाकई अनुत्पादक है, क्योंकि यह न तो कोई आय देता है और न ही लाभांश. और अन्य वस्तुओं के विपरीत जिनका उपयोग माल या भोजन बनाने में होता है, अधिकांश सोना तिजोरियों में रखा जाता है. लेकिन क्या इसका मतलब है कि हमें सोने से दूर रहना चाहिए? बिलकुल नहीं, क्योंकि आंकड़े हमें कुछ और ही बताते हैं.

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सोना बनाम निफ्टी 50

आइए सोने को एक निवेश विकल्प के रूप में देखें और इसकी तुलना निफ्टी 50 इंडेक्स यानी शेयर बाजार से करें. इस साल के पहले पांच महीनों में सोने ने लगभग 16.3% की बढ़त दिखाई, जबकि शेयर बाजार ने केवल 4.3% का मुनाफा दिया. मान लीजिए कि आपने पिछले साल के अंत में सोने और शेयरों में 100 डॉलर का निवेश किया था, तो नीचे दिया गया चार्ट दिखाता है कि आज आपका निवेश कितना होगा.

nifty gold yr

इस साल सोना स्पष्ट रूप से विजेता रहा है, और इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है. खासकर वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की टैरिफ नीति की अनिश्चितता ने बाजार में डर और अस्थिरता बढ़ाई है. जब अनिश्चितता और भय अपने उच्च स्तर पर होते हैं, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं.

लेकिन अगर आप लंबे समय के निवेशक हैं, तो केवल पांच महीने के आंकड़े पर्याप्त नहीं हैं. इसलिए अब हम उसी तुलना को पिछले दस सालों की अवधि में करते हैं. कल्पना करें कि दस साल पहले आपने सोने और शेयर बाजार में 100-100 डॉलर लगाए थे. नीचे दिया गया चार्ट दिखाता है कि आज उन दोनों निवेशों का मूल्य कितना होगा.

nifty gold long

रोचक बात यह है कि सोना अभी भी शेयर बाजार से बेहतर प्रदर्शन करता है, हालांकि फर्क अब कम हो गया है. पिछले दस वर्षों में सोने का औसत वार्षिक रिटर्न 12.9% रहा, जबकि शेयर बाजार का औसत रिटर्न 10.6% रहा. दोनों की रिटर्न लाइनें लगभग साथ-साथ चलती हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान एक बड़ा अंतर दिखा, जब सोना बेहतर प्रदर्शन करता रहा, लेकिन बाद में शेयर बाजार ने वापसी की.

फिर भी, यह आंकड़ा थोड़ा चौंकाने वाला है. क्योंकि सामान्यत: लंबी अवधि (जैसे दस साल) में शेयर बाजार को सबसे अच्छा निवेश माना जाता है. छोटे समय के अंतरालों या डर के दौर में सोने का अच्छा प्रदर्शन समझ आता है, लेकिन इतने लंबे समय तक ऐसा होना थोड़ा अजीब लगता है.

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क्या डर के साथ भी हो सकती है जीत?

यहां बात शेयर बाजार के खराब प्रदर्शन की नहीं है. 10.6% का औसत वार्षिक रिटर्न भी अच्छा है. असली सवाल यह है कि सोना 12.9% रिटर्न कैसे दे पाया. वॉरेन बफेट की बात याद करें, तो लगता है कि "डर" वाकई में एक सफल निवेश रणनीति बन गया है.

पिछले 18 सालों के मार्केट रिपोर्टिंग एक्पीरियंस साझा करते हुए लेख के रचनाकार कहते हैं कि मुझे ऐसा कोई समय याद नहीं जब निवेशक डर से मुक्त रहे हों. कई बार तो अर्थव्यवस्था और बाजार अच्छे होने के बावजूद भी भय बना रहता है. अधिकतर बार ये डर वास्तविक नहीं होते, लेकिन यह मानव स्वभाव का हिस्सा हैं. हम खासतौर पर उन घटनाओं को लेकर चिंतित रहते हैं जो शायद कभी हों ही न. और शायद यही वजह है कि सोना निवेशकों के लिए हमेशा एक पसंदीदा विकल्प बना रहता है.

(Note: Asad Dossani is an assistant professor of finance at Colorado State University. His research covers derivatives, forecasting, monetary policy, currencies, and commodities. He has a PhD in Economics. He has previously worked as a research analyst at Equitymaster, and as a financial analyst at Deutsche Bank.)

To read this article in English, click here.

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