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Gold Silver Ratio : गोल्ड-सिल्वर रेशियो का क्या है मतलब और इतिहास? बाजार के रुझान को समझने में कैसे मिलती है मदद

Gold Silver Ratio Explained : सोने और चांदी के निवेशकों के लिए गोल्ड-सिल्वर रेशियो एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर का काम करता है. लेकिन इस रेशियो का मतलब क्या है?

Gold Silver Ratio Explained : सोने और चांदी के निवेशकों के लिए गोल्ड-सिल्वर रेशियो एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर का काम करता है. लेकिन इस रेशियो का मतलब क्या है?

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Viplav Rahi
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Gold Silver Ratio सोने और चांदी में निवेश करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर है. (Image : Freepik)

Gold vs Silver : सोने और चांदी में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए गोल्ड-सिल्वर रेशियो एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर है. यह रेशियो सोने और चांदी की कीमतों के अनुपात को बताता है. यह भी कह सकते हैं कि गोल्ड सिल्वर रेशियो से पता चलता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितने औंस चांदी की जरूरत पड़ेगी. सोने-चांदी की कीमतों के रुझानों को समझने में मदद करने वाले इस रेशियो का इतिहास काफी पुराना है. समय के साथ-साथ इस रेशियो में उतार-चढ़ाव होते रहे हैं, जो सोने और चांदी की कीमतों में संभावित बदलाव का संकेत देते हैं. आइए समझते हैं कि यह रेशियो क्या है, इसका इतिहास कैसा रहा है और यह निवेशकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है.

उदाहरण से समझें गोल्ड-सिल्वर रेशियो

गोल्ड-सिल्वर रेशियो बताता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितनी चांदी की जरूरत पड़ेगी. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर सोने की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस और चांदी की कीमत 33 डॉलर प्रति औंस है, तो गोल्ड-सिल्वर रेशियो करीब 90:1 होगा, यानी एक औंस सोना खरीदने के लिए 90 औंस चांदी की जरूरत होगी. यह रेशियो का इस्तेमाल यह अंदाजा लगाने के लिए किया जाता है कि दोनों में से कौन सी कीमती धातु (Precious metal) अभी ओवर-वैल्यूड या अंडर-वैल्यूड है. यानी इससे सोने-चांदी की कीमतों के बारे में तुलनात्मक नजरिया बनाने में मदद मिलती है.

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गोल्ड-सिल्वर रेशियो से निवेशकों को कैसे मिलती है मदद

निवेशक गोल्ड-सिल्वर रेशियो की मदद से यह अनुमान लगा सकते हैं कि उन्हें सोने में अधिक निवेश करना चाहिए या चांदी में. मिसाल के तौर पर जब गोल्ड-सिल्वर रेशियो अधिक होता है, तो इसका मतलब होता है कि चांदी तुलनात्मक रूप से अंडरवैल्यूड यानी सस्ती है और इसे खरीदने का अच्छा मौका हो सकता है. जब गोल्ड-सिल्वर रेशियो कम होता है, तो इसका मतलब है कि सोना तुलनात्मक रूप से सस्ता है और इसमें निवेश किया जा सकता है. हालांकि सिर्फ इसी रेशियो के आधार पर निवेश का फैसला करना सही नहीं होता. लेकिन इसे डिमांड, सप्लाई और ग्लोबल इंडिकेटर्स के साथ जोड़कर देखा जाए, तो निवेशकों को बाजार का रुझान समझने में मदद जरूर मिल सकती है.

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Gold Silver Ratio : मौजूदा हाल और पिछला रुझान

फिलहाल गोल्ड-सिल्वर रेशियो 91:1 के आसपास चल रहा है. इसका मतलब है कि चांदी अपने मौजूदा भाव पर सोने की तुलना में सस्ती बनी हुई है. 2020 में, जब बाजार में भारी अस्थिरता थी, तब यह रेशियो 123.5:1 तक पहुंच गया था. वहीं, 1980 में जब यह अनुपात 17:1 तक आ गया था. आमतौर पर 70:1 के गोल्ड-सिल्वर रेशियो को ज्यादा सामान्य माना जाता है, जिसमें दोनों कीमती धातुओं की कीमतें ज्यादा संतुलित स्थिति में होती हैं. वैसे गोल्ड-सिल्वर रेशियो के काफी पुराने आंकड़ों का जिक्र भी मिलता है. मिसाल के तौर पर माना जाता है कि 19वीं सदी के अंत में यह रेशियो 15:1 के आसपास था.

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