/financial-express-hindi/media/media_files/2025/03/21/fvV9nOvnTMFSt3k14Xe9.jpg)
Gold vs Silver : गोल्ड-सिल्वर रेशियो का मौजूदा स्तर संकेत दे रहा है चांदी में अभी और तेजी देखने को मिल सकती है. (File Photo : Reuters)
Silver vs Gold : Silver Outlook : चांदी की कीमतों में बीते एक साल के दौरान भले ही 34% की जबरदस्त तेजी देखने को मिली हो, लेकिन सोने की तुलना में यह अब भी अंडरवैल्यूड नजर आ रही है. यह बात केडिया एडवाइजरी की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक एमसीएक्स (MCX) पर चांदी का भाव हाल में 1,01,999 रुपये तक जा चुका है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती और बढ़ती इंडस्ट्रियल डिमांड ने चांदी को जबरदस्त सपोर्ट दिया है. इसके बावजूद ऊंचा गोल्ड-सिल्वर रेशियो (Gold-Silver Ratio) यह संकेत दे रहा है कि चांदी अब भी सोने के मुकाबले अंडरवैल्यूड बनी हुई है. रिपोर्ट में सप्लाई और डिमांड से जुड़े कई और फैक्टर्स को भी चांदी के भाव (Silver Rate) में संभावित तेजी की वजह बताया गया है. कुल मिलाकर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले दिनों में चांदी में और तेजी देखने को मिल सकती है.
क्या बता रहा 89:1 का गोल्ड-सिल्वर रेशियो
रिपोर्ट के मुताबिक गोल्ड-सिल्वर रेशियो फिलहाल 89:1 के स्तर पर है, जो इसके ऐतिहासिक औसत 70:1 से काफी अधिक है. इससे संकेत मिलता है कि चांदी अभी भी गोल्ड के मुकाबले सस्ती है. इसी आधार पर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर यह रेशियो ऐतिहासिक स्तरों पर लौटता है, तो चांदी की कीमत (Silver Price) में भारी उछाल देखने को मिल सकता है. इन अनुमानों के अनुसार सोने की कीमत अगर 3,000 डॉलर प्रति औंस के ऊपर जाती है, तो चांदी 50 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है. इतिहास बताता है कि बुल मार्केट के अंतिम दौर में चांदी का प्रदर्शन सोने से बेहतर रहता है.
अमेरिका में रेट कट से बढ़ेगी चमक?
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में महंगाई दर (CPI 2.8%, PPI 3.2%) में गिरावट के चलते जून 2025 तक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है. ब्याज दरों में कटौती से अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है, जिससे सोने और चांदी जैसे नॉन-यील्डिंग एसेट्स की मांग बढ़ जाती है. ऐसा होने पर चांदी की ओर निवेशकों का रुझान और बढ़ेगा, जिससे कीमतों में तेजी बनी रहने की संभावना है.
इंडस्ट्रियल डिमांड ने बढ़ाया चांदी का आकर्षण
रिपोर्ट में कहा गया है कि चांदी की बढ़ती इंडस्ट्रियल मांग भी इसके दाम को मजबूती दे रही है. 2024 में चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड 700 मिलियन औंस तक पहुंच गई, जिसमें सोलर पैनलों, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) और 5G टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका रही. सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग में सालाना 80 मिलियन औंस चांदी की खपत होती है, जबकि हर EV के लिए 25-50 ग्राम चांदी की जरूरत पड़ती है. चीन और अमेरिका में रिन्यूएबल एनर्जी पर जोर देने की पॉलिसी से भी चांदी की मांग में और इजाफा होने की संभावना है.
चीन की नीतियों का असर
दुनिया में चांदी के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल कंज्यूमर चीन ने अपनी आर्थिक विकास दर को रफ्तार देने के लिए नए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज यानी इनसेंटिव का एलान किया है. इस इंसेंटिव में मुख्य जोर सोलर पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर और सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन बढ़ाने पर रहने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक इससे आने वाले दिनों में चांदी की मांग और बढ़ने के आसार हैं. चीन की सरकार ने सोलर एनर्जी के विस्तार के लिए खर्च बढ़ाया है, जिससे इस क्षेत्र में चांदी की खपत और अधिक होगी.
चांदी की सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें
केडिया एडवाइजरी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल मार्केट में चांदी की सप्लाई लगातार पांचवें साल गिरावट का रुझान दिख रहा है. 2025 में चांदी की सप्लाई में डिमांड के मुकाबले 149 मिलियन औंस की कमी का अनुमान है. माइनिंग से होने वाले चांदी के प्रोडक्शन में हुई महज 2.4% की बढ़ोतरी चांदी की बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पा रही है. 72% चांदी कॉपर और जिंक जैसे मेटल्स की माइनिंग के दौरान बाई-प्रोडक्ट के रूप में निकाली जाती है, जिससे इसका प्रोडक्शन बढ़ाना मुश्किल होता जा रहा है. साथ ही, मैक्सिको में सिल्वर प्रोडक्शन के दौरान ओर ग्रेड (Ore Grade) में 15% की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सप्लाई घट रही है और उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी हो रही है.
जियो-पोलिटिकल टेंशन का असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में ग्लोबल लेवल पर बढ़ते जियो-पोलिटिकल टेंशन ने चांदी की मांग को और मजबूती दी है. अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच टैरिफ से जुड़ा विवाद बढ़ता जा रहा है, जिसका असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ सकता है. रूस-यूक्रेन की जंग और पश्चिम एशिया में तनाव से भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है. जब फाइनेंशियल मार्केट्स अस्थिर होते हैं, तो निवेशक सुरक्षित विकल्पों की तलाश में सोने और चांदी की ओर रुख करते हैं.
कुल मिलाकर केडिया एडवाइजरी की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले महीनों में चांदी में और तेजी देखने को मिल सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल लेवल पर चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड, सप्लाई शॉर्टेज, जियो-पोलिटिकल टेंशन और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित रेट कटौती जैसे दूसरे फैक्टर्स भी इस संकेत को और मजबूती दे रहे हैं.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है. निवेश की सलाह देना नहीं. इसमें बताए गए अनुमान संबंधित रिपोर्ट में दिए गए हैं, यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अपने विचार नहीं हैं. निवेश से जुड़े फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)