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Tax Saving : टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट की पास आ गई डेडलाइन, 80C का फायदा उठाने के लिए कहां लगाएं पैसे?

Tax Saving Deadline : ओल्ड टैक्स रिजीम अपनाने वालों के पास सेक्शन 80C के तहत निवेश करके टैक्स बचाने के लिए कुछ ही दिन बाकी बचे हैं, क्योंकि 31 मार्च 2025 को वित्त वर्ष खत्म हो रहा है.

Tax Saving Deadline : ओल्ड टैक्स रिजीम अपनाने वालों के पास सेक्शन 80C के तहत निवेश करके टैक्स बचाने के लिए कुछ ही दिन बाकी बचे हैं, क्योंकि 31 मार्च 2025 को वित्त वर्ष खत्म हो रहा है.

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Viplav Rahi
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Tax Saving Under Section 80C : ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स बचाने के लिए निवेश का मौका 31 मार्च तक ही है. (Financial Express)

Income Tax Saving Options Under Section 80C : अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम को फॉलो कर रहे हैं, तो आपके पास टैक्स बचाने के लिए कुछ ही दिन बचे हैं, क्योंकि मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने की आखिरी तारीख, 31 मार्च 2025, बेहद नजदीक है. अगर आपने अब तक अपने टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट (Tax Saving Investments) पूरे नहीं किए हैं, तो अगले कुछ दिनों में यह काम पूरा कर सकते हैं.

टैक्स बचाने में बेहद कारगर है सेक्शन 80C

टैक्स सेविंग के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला इनकम टैक्स का प्रावधान है सेक्शन 80C. इस सेक्शन का इस्तेमाल करके आप अपनी टैक्सेबल इनकम को 1.5 लाख रुपये तक घटा सकते हैं. इसके लिए निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं. इन टैक्स सेविंग स्कीम (Tax Saving Scheme) में निवेश करके आप न केवल अपना टैक्स बचा सकते हैं, बल्कि भविष्य के लिए मजबूत आर्थिक आधार भी तैयार कर सकते हैं.

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लास्ट मिनट टैक्स सेविंग के लिए क्या करें?

लास्ट मिनट टैक्स सेविंग ऑप्शन्स (Last Minute Tax Saving Options) में प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund), ईएलएसएस (ELSS), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC), टैक्स सेवर एफडी (Tax Saver FD), सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम शामिल हैं. इनके अलावा कुछ खर्चों पर भी 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है. आइए जानते हैं टैक्स बचाने वाले इन विकल्पों की खास बातें. 

EPF, PPF और सुपरएन्यूएशन फंड

प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) और सुपरएन्यूएशन फंड (Superannuation Fund) में एक वित्त वर्ष के दौरान 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. इनमें एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF)औरपब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) में किए गए निवेश भी शामिल है. साथ ही इसमें आंशिक निकासी और लोन की सुविधा भी होती है. ट्रिपल ई (EEE) स्कीम होने की वजह से इस पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स-फ्री होता है.

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)

म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस स्कीम में किया गया निवेश सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स बेनिफिट एलिजिबल है. हालांकि, इसमें 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है और शेयर बाजार से जुड़े होने के कारण इसमें बाकी इनवेस्टमेंट ऑप्शन्स की तुलना में ज्यादा रिस्क होता है.

राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC)

राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) में किया गया निवेश भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट के लिए एलिजिबल होता है. इसमें 5 साल का लॉक-इन होता है.

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टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट

किसी भी शिड्यूल्ड बैंक या पोस्ट ऑफिस में 5 साल के टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax Saving Fix Deposit) में किए गए निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है. लेकिन इस पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है.

SCSS और सुकन्या समृद्धि योजना

वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) में किए गए निवेश पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है.

लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम

जीवन बीमा पॉलिसी के लिए किया गया पेमेंट यानी लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स कटौती के लिए एलिजिबल है. यह छूट टैक्सपेयर द्वारा खुद अपने लिए, अपने लाइफ-पार्टनर, बच्चों या हिंदू अनडिवाडेड फेमिली (HUF) के किसी सदस्य के लिए किए गए पेमेंट पर भी मिलती है.

एन्युइटी स्कीम में निवेश

रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के लिए खरीदी जाने वाली एन्युइटी स्कीम में किए गए निवेश पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है. हालांकि इसके लिए स्कीम में एन्युइटी के बदले एकमुश्त कैश पेमेंट का ऑप्शन मौजूद नहीं होना चाहिए.

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इन खर्चों पर भी मिलती है टैक्स छूट

निवेश के अलावा कुछ खर्चों पर भी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है. इन खर्चों में बच्चों की स्कूल, कॉलेज या दूसरे एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन की ट्यूशन फीस भी शामिल है. यह छूट मैक्सिमम दो बच्चों की फीस पर ली जा सकती है. इसके अलावा अगर आप होम लोन चुका रहे हैं, तो केवल प्रिंसिपल अमाउंट का पेमेंट सेक्शन 80C के तहत टैक्स कटौती के लिए एलिजिबल होता है. इसके अलावा, अगर आपने नया घर खरीदा है, तो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस भी इस सेक्शन के तहत कटौती के लिए एलिजिबल होते हैं.

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