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सीनियर सिटिजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पर अच्छी खबर, कंपनियां हर साल 10% से ज्यादा नहीं बढ़ा सकेंगी प्रीमियम, IRDAI का निर्देश

वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की दरें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. IRDAI ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है.

वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की दरें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. IRDAI ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है.

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FE Hindi Desk
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Health Insurance

IRDAI ने कहा है कि बीमा बाजार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए पेश किए जा रहे स्वास्थ्य बीमा उत्पादों की लगातार निगरानी के दौरान यह देखा गया है कि कुछ स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के प्रीमियम में तेजी से वृद्धि हुई है. Photograph: (Pixabay)

इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी इरडा (IRDAI) ने बीमा कंपनियों को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम रेट को स्टैंडर्डाइज करने के लिए कई कदम उठाने का निर्देश दिया है. सरकार का मानना ​​है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना यानी पीएमजेएवाई (PMJAY) मॉडल का अनुसरण करके ऐसा किया जा सकता है.

बीमा सेक्टर रेगुलेटर इरडा ने 30 जनवरी को जारी एक सर्कुलर में कहा कि भारतीय बीमा बाजार में पेश किए जाने वाले बीमा उत्पादों की चल रही निगरानी के तहत यह देखा गया है कि वरिष्ठ नागरिकों को पेश किए जाने वाले कुछ हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत प्रीमियम दरों में भारी वृद्धि हुई है. 

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सर्कुलर में कहा गया है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) में अस्पताल में भर्ती होने के खर्च केंद्रीय स्तर पर पैकेज दरों के लिए तय किए जाते हैं और इस प्रकार विभिन्न अस्पतालों में मानकीकृत होते हैं. लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में ऐसी कोई मानकीकरण नहीं है. इससे अस्पताल में भर्ती होने का खर्च बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बीमा कंपनियों द्वारा पेश किए जाने वाले स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के तहत दावों का खर्च बढ़ रहा है

बीमापे फिनश्योर (Bimapay Finsure) के सीईओ और को-फाउंडर हनुत मेहता (Hanut Mehta) ने कहा कि IRDAI द्वारा बीमाकर्ताओं को मानकीकृत अस्पताल पैनल अपनाने और पैकेज दरों पर बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करना एक महत्वपूर्ण पहलू है. PMJAY के समान मॉडल का पालन करके इंडस्ट्री अस्पताल में भर्ती होने की लागत में विसंगतियों को कम कर सकता है, जिससे बीमा कंपनियों के लिए बेहतर फाइनेंशियल मैनेजमेंट में आसानी हो सकती है और पॉलिसीहोल्डर के लिए हेल्थकेयर सर्विस अधिक सस्ती और सुलभ हो सकती है. इसके अलावा यह रणनीति निष्पक्ष और कुशल सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए बीमा कंपनियों और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देती है.

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मेहता ने कहा कि आईआरडीएआई के निर्देश में यह भी जोर दिया गया है कि बीमा कंपनियों को वरिष्ठ नागरिकों के लिए लागू की जा रही पहलों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि पॉलिसी लाभ और परिवर्तनों के बारे में पारदर्शी संचार ग्राहकों को सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक ज्ञान से सशक्त बनाएगा, जिससे अंततः स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में उपभोक्ता विश्वास मजबूत होगा.

बीमा कंपनियों को ग्रीवांस चैनल बनाने का निर्देश

सीनियर सिटिजन के लाभ के लिए इरडा ने सभी बीमा कंपनियों को उनके स्वास्थ्य बीमा से संबंधित दावों और शिकायतों के समाधान के लिए एक अलग चैनल बनाने का कहा है.ऐसे चैनल का विवरण संबंधित बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना आवश्यक है. 

मेहता ने कहा कि बीमा कंपनियों के लिए वरिष्ठ नागरिकों के लिए समर्पित शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता से सेवा की गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि में उल्लेखनीय सुधार होगा. उन्होंने कहा कि जो कंपनियां सहायता प्रणालियों को सुव्यवस्थित करती हैं और जवाबदेही बढ़ाती हैं, उन्हें पॉलिसी होल्डर्स का अधिक विश्वास मिलने और बाजार में अपनी प्रतिष्ठा मजबूत करने की संभावना है.

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वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी प्रीमियम दरों में वृद्धि पर इरडा ने अफसोस जाहिर किया कि भारतीय बीमा बाजार में पेश किए जाने वाले इंश्योरेंस प्लान की चल रही निगरानी के तहत, यह देखा गया है कि कुछ स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के तहत प्रीमियम दरों में भारी वृद्धि हुई है.

प्रीमियम दर मुख्य रूप से अनुमानित दावों की राशि और बीमा पॉलिसियों को प्राप्त करने और उनकी सेवा करने के लिए बीमा कंपनी द्वारा किए गए अधिग्रहण लागत सहित व्यय पर आधारित है. दावों की राशि काफी हद तक अस्पतालों द्वारा विभिन्न उपचारों और सर्जरी के लिए ली जाने वाली राशि पर निर्भर करती है.

इरडा वरिष्ठ नागरिकों को सबसे कमजोर आयु वर्ग के रूप में देखता है, जिनके पास आय के सीमित स्रोत हैं. इसने आगे कहा कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में भारी वृद्धि होने पर यह समूह सबसे अधिक प्रभावित होता है. "यह मामला IRDAI का ध्यान आकर्षित कर रहा है और यह एक विनियामक चिंता का विषय है. इसलिए, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 की धारा 14 के प्रावधानों के तहत बीमा अधिनियम, 1934 की धारा 34 के साथ पढ़ें.

इरडा ने ने सभी सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे वरिष्ठ नागरिकों के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट्स का प्रीमियम हर साल 10% से ज्यादा न बढ़ाएं.

IRDAI के अनुसार प्रीमियम में 10% की अधिकतम वृद्धि लगाकर, यह नियम वरिष्ठ नागरिकों को बढ़ती लागत के बोझ से बचाएगा. इससे बीमा कंपनियों को अपने ग्राहकों को बनाए रखने में मदद मिलेगी और महंगे प्रीमियम के कारण पॉलिसी रद्द होने से रोका जा सकेगा.

IRDAI ने कहा है कि अगर किसी बीमा कंपनी को प्रीमियम 10% से ज्यादा बढ़ाना है, तो उसे पहले नियामक से अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, यदि कोई कंपनी वरिष्ठ नागरिकों के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट्स को बंद करना चाहती है, तो उसे भी पहले अनुमति लेनी होगी.

इरडा ने कहा कि नीचे दिए गए मामलों में कंपनियों को बीमा सेक्टर रेगुलेटर से पहले अनुमति लेनी होगी.

  • यदि वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम में प्रस्तावित वृद्धि प्रति वर्ष 10% से अधिक है.
  • वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को वापस लेने की स्थिति में.

बीमा कंपनियों को वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों की व्यापक जानकारी देने का भी निर्देश दिया गया है. इसके अलावा, IRDAI ने अस्पतालों के सामान्य पैनलिंग के लिए आवश्यक कदम उठाने और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) की तर्ज पर पैकेज दरों पर बातचीत करने का भी निर्देश दिया है.

(Credit : Mithilesh Jha)

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