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Home Buying: भारत में घर खरीदने की सही उम्र क्या है? पढ़िए फुल डिटेल

घर खरीदना हर किसी के जीवन की बड़ी उपलब्धियों में एक होता है. घर खरीदने के फैसले को सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक सहित कई कारक प्रभावित करते हैं.

घर खरीदना हर किसी के जीवन की बड़ी उपलब्धियों में एक होता है. घर खरीदने के फैसले को सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक सहित कई कारक प्रभावित करते हैं.

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FE Hindi Desk
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अपना खुद का घर खरीदने से पहले अपनी परिस्थितियों, बाजार की स्थितियों और भविष्य के लक्ष्यों का मूल्यांकन करना आवश्यक है. (Image: Freepik)

Ideal age to buy your own house: घर खरीदना हर किसी के जीवन की बड़ी उपलब्धियों में एक होता है. घर खरीदने के फैसले को सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक सहित कई कारक प्रभावित करते हैं. ये कारक लोग, उनकी पृष्ठभूमि और परिस्थितियों के आधार पर काफी भिन्न होते हैं. पहले ज्यादातर लोग 40 से 50 साल की उम्र में अपने घर का सपना पूरा कर लेते थे. हालांकि बदल रहे आर्थिक परिवेश, शहरीकरण और बदलती लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ घर खरीदने का यह पड़ाव भी बदल रहा है. 

होम लोन हासिल करने और खुद के सपनों का घर खरीदने पर आने वाले खर्चों को संभालने के लिए अच्छी और स्थिर कमाई का जरिए होना जरूरी है. बहुत से लोग अब 20 या 30 साल की उम्र में यह स्थिरता हासिल कर लेते हैं. अगर आप अपने सपनों के घर का मालिक बनने चाह रखते हैं, तो यहां समझ लीजिए कि आज की पीढ़ी लिए सही उम्र क्या है?

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बचत और डाउन पेमेंट

डाउन पेमेंट घर खरीदते समय किया जाने वाला एक शुरुआती भुगतान है, जो आमतौर पर संपत्ति की कीमत का 20 फीसदी हिस्सा हो सकता है. डाउन पेमेंट के रूप में जमा की गई शुरूआती रकम जरूरी लोन अमाउंट को कम कर देती है और इस तरह से खुद का घर खरीदने के लिये गए लोन अमाउंट की शेष राशि चुकाने के लिए मंथली किस्त और लोन पर लागू कुल ब्याज लागत कम हो जाती है.

जब डाउन पेमेंट के रूप में जमा की जाने वाली शुरूआती राशि अधिक हो तो, उसके लिए फंड का इंतजाम यानी बचत करने में  ज्यादा वक्त लग सकता है, लेकिन ये कई फायदे देता है, जिनमें बेहतर लोन शर्तें, कम ब्याज दरें और कम रिस्क शामिल हैं. जो लोग अपने सपनो का घर खरीदने की सोच रहे हैं उन्हें डाउन पेमेंट के लिए बचत करनी चाहिए. हाउसिंग मार्केट में उतरने से पहले अपनी वित्तीय स्थिरता और परचेजिंग पावर बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. नया घर खरीदने वक्त आमतौर पर प्रापर्टी वैल्यू का 20% हिस्सा डाउन पेमेंट के रूप में जमा करना पड़ता है. डाउन पेमेंट के लिए पर्याप्त फंड का इंतजाम करने में कई साल लग सकते हैं. यह अक्सर घर खरीदने की उम्र को 30 वर्ष से लेकर मध्य तक धकेल देता है.

स्थिर करियर

एक बार आपने फैसला कर लिया कि आपको घर खरीदना है, तो यह समझ लीजिए कि घर खरीदना एक लंबी अवधि का निवेश होता है और कमाई का स्थिर जरिए जैसे बेहतर करियार लंबी अवधि के निवेश के साथ प्रतिबद्ध होने के लिए वित्तीय सुरक्षा और जरूरी पूर्वानुमान प्रदान करता है. कई लोगों के पास 30 साल की उम्र में स्थिर करियर होता है. उम्र के इस पड़ाव पर वे खुद को पेशेवर रूप से स्थापित करते हैं.

क्रेडिट स्कोर

एक अच्छा क्रेडिट स्कोर, जो आमतौर पर समय के साथ बनता है. बेहतर क्रेडिट स्कोर लोन की शर्तें पूरी करने के लिए जरूरी होता है. बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि घर खरीदते की राह में क्रेडिट स्कोर काफी अहम भमिका अदा कर सकता है. क्रेडट स्कोर होम लोन को सुरक्षित करने की आपकी क्षमता और उसकी शर्तों के लिए प्रमुख रूप से प्रभावित करता है. क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. 750 से अधिक स्कोर अच्छा माना जाता है. किसी शख्स को कर्ज देने से पहले बैंक या वित्तीय संस्थान रिस्क का आकलन करने के लिए क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल करते हैं. आदिल शेट्टी कहते हैं कि अच्छा क्रेडिट स्कोर बताता है कि कर्ज के लिए अप्लाई किए शख्स ने जिम्मेदारी से वित्त को मैनेज किया है. उसने लिये गए लोन को वक्त पर चुकाया है. अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन चुकाने की क्षमता के बारे में आश्वस्त करता है और ऐसी स्थिति में लोन अप्रूव किए जाने की संभावना बढ़ जाती है.

अच्छा क्रेडिट स्कोर न सिर्फ आपके लोन जारी किए जाने की संभावनाको बढ़ाता है बल्कि आपको कम ब्याज दर और बेहतर लोन शर्तों को सुरक्षित करने में भी मदद करता है. कम ब्याज दरें पैसे की बजट करने में मददगार साबित हो सकती है. वहीं क्रेडिट स्कोर खराब होने की स्थिति में महंगे लोन मिलते हैं या लोन अप्लिकेशन रिजेक्ट भी किया जा सकते है.

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शादी और परिवार अक्सर घर खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं. बहुत से लोग उम्र के उस पड़ाव पर पहुचने के बाद घर खरीदना पसंद करते हैं जब वे पैरेंट्स बनने की प्लानिंग करते हैं, आमतौर पर शुरुआती 30 साल की उम्र में. पर्सनल स्पेस की चाह युवा लोगों को घर खरीदने के लिए निवेश करने में प्रेरित कर सकती है. इस तरह की स्थिति ज्यादातर 20-30 साल की उम्र में महसूस हो सकती है.

प्रापर्टी की वैल्यू ध्यान रखकर करें फैसला

रियल एस्टेट बाजार के रुख घर खरीदने के फैसलों को मुख्य रूप से प्रभावित करते हैं. तेजी से बढ़ते बाजारों में, लोग तब तक खरीदारी में देरी कर सकते हैं जब तक कि उन्हें अनुकूल परिस्थितियां न मिल जाएं, अक्सर घर खरीदने की चाह मिड 30 साल की उम्र हो सकती है. हालांकि, भारत में प्रापर्टी की वैल्यू जगह और टाइप के आधार पर तय होती है. ऐसे में घर खरीदने की योजना करते समय जगह और प्रापर्टी टाइप को ध्यान में रखना चाहिए और घर खरीदने का फैसला लेते समय अपने बजट पर गौर करना चाहिए.

ब्याज दर

कम ब्याज दर होम लोन को अधिक सस्ती बना सकती हैं. सस्ते होम लोन युवाओं को करियर के शुरूआती स्टेज में घर खरीदने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. कम ब्याज दर वाले लोन चुकाने पर मंथली किस्त कम आती हैं. इसके उलट अधिक ब्याज दर वाले लोन चुकाने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं.

घर खरीदारों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की नीतियों और बाजार के रुख पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि ये ब्याज दरों को प्रभावित करते हैं. कम ब्याज दर और कम टन्योर वाले लोन पैसे बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि कम टेन्योर वाले लोन की मंथली किस्त अधिक आ सकती है. होम के लिए अप्लाई करते समय टेन्योर और इंटरेस्ट रेट को ध्यान में रखना चाहिए.

ज्यादातर लोग इस उम्र में खरीदते हैं घर

इन तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद एक नसीहत दी जा सकती है कि भारत में ज्यादातर लोग 30 से 40 साल की उम्र में अपने सपनों का घर खरीदने का मन बना पाते हैं. दरअसल उम्र के इस दहलीज पर लोगों के पास वित्तीय स्थिरता, वेल सेटल करियर और फैसला करने को लेकर बैलेंस बनाने खुद को सक्षम पाते हैं. साथ ही 20 से 30 साल के स्थिर करियर को रखकर सही फैसले पर आगे बढ़ पाते हैं.

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